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गाँव में राजू, रवि, सोनू और मोनू नाम के चार शरारती दोस्त रहते थे। वे पूरे गाँव में अपनी मस्ती और मजेदार कारनामों के लिए मशहूर थे। लेकिन उनके गाँव की सबसे बड़ी मुसीबत थी—भोलू काका का आँगन!
🏡 भोलू काका का बगीचा
भोलू काका बहुत गुस्से वाले थे। उनका बगीचा गाँव के सबसे मीठे आम के पेड़ से भरा था, लेकिन किसी को वहाँ घुसने की इजाजत नहीं थी। अगर कोई बच्चा गलती से भी उधर चला जाता, तो काका लाठी लेकर दौड़ा देते!
राजू और उसके दोस्त रोज़ सोचते, "काश हम भी भोलू काका के बगीचे के आम खा सकते!" लेकिन उन्हें ऐसा कोई उपाय नहीं मिल रहा था जिससे आम भी मिल जाएँ और डंडे से बच भी जाएँ।
💡 चालाकी भरा प्लान!
एक दिन सोनू के दिमाग में एक गज़ब का आइडिया आया। उसने कहा,
"क्यों न हम ऐसा नाटक करें कि भोलू काका खुद हमें आम तोड़ने दें!"
🎭 भोलू काका को डराने की योजना!
चारों दोस्तों ने मिलकर "नकली सांप" बनाने का फैसला किया। उन्होंने काले रंग का रस्सी का टुकड़ा लिया, उसकी दो आँखें बना दीं, और उसे भोलू काका के बगीचा में छोड़ दिया।
रात के समय, पिंकी और मोनू छिपकर साँप की आवाजें निकालने लगे—"फुफ्फ्फ्फ़! फुफ्फ्फ्फ़!"
😱 भोलू काका का डर!
जैसे ही भोलू काका ने सांप को देखा, वे डर के मारे चारपाई पर चढ़ गए और जोर-जोर से चिल्लाने लगे,
"बचाओ! कोई इस सांप को भगाओ!!"
राजू और सोनू तुरंत वहाँ पहुँचे और नकली साँप को पकड़कर ऐसा दिखाया जैसे वे उसे दूर फेंक रहे हों। भोलू काका बहुत खुश हुए और बोले,
"अरे बेटा, तुमने मेरी जान बचा ली! बदले में क्या लोगे?"
बस, राजू ने मुस्कुराकर कहा, "काका, हमें बस आपके आम चाहिए!"
भोलू काका ने तुरंत हाँ कर दी और बोले, "हाँ-हाँ, जितने आम चाहिए, ले लो!" 🍋😂
🎉 अंजाम – मजेदार जीत!
राजू और उसके दोस्तों ने ढेर सारे आम खाए और मज़े किए। सबसे मजेदार बात, भोलू काका को आज तक नहीं पता चला कि वह साँप असली नहीं, बल्कि नकली था! 😂
📖 सीख:
अगर अक्ल से काम लिया जाए, तो "सांप भी मरे, लाठी भी न टूटे!" 🧠😆
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