मोंटी और उसका जादुई हेलमेट - गांव के बीचो-बीच मोंटी नाम का एक शरारती लड़का रहता था। उसकी शरारतें इतनी मशहूर थीं कि लोग उसे देखते ही सतर्क हो जाते। एक दिन मोंटी को कबाड़ में एक अजीब-सा पुराना हेलमेट मिला। हेलमेट पहनते ही उसने सोचा, "वाह! ये तो जादुई हेलमेट लगता है!"
हेलमेट पहनते ही मोंटी ने खुद को सुपरहीरो समझ लिया। वह दौड़ता हुआ अपने दोस्त पप्पू के पास पहुंचा और बोला, "पप्पू, ये जादुई हेलमेट है। इसे पहनते ही मैं कुछ भी कर सकता हूं!"
पप्पू, जो मोंटी की हरकतों से पहले ही परेशान रहता था, बोला, "अच्छा? तो चलो, तुम इस हेलमेट से मेरे टूटे हुए खिलौने ठीक करके दिखाओ।"
मोंटी ने हेलमेट पहना, आंखें बंद कीं और जोर से कहा, "टूटे खिलौने ठीक हो जाओ!"
खिलौना वैसे का वैसे ही पड़ा रहा। पप्पू हंसने लगा, "जादुई हेलमेट? ये तो मजाक है!"
मोंटी झेंप गया, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने सोचा, "चलो, गांव के लोगों को दिखाता हूं कि ये हेलमेट कितना खास है।"
गांव के चौपाल पर पहुंचते ही उसने ऐलान किया, "सुनो, सुनो! ये हेलमेट मुझे जादुई ताकत देता है। अब मैं गांव का सुपरहीरो हूं!"
गांव वाले मोंटी की बात पर हंसने लगे। तभी पास से एक बकरी दौड़ती हुई आई और मोंटी के हेलमेट पर टक्कर मार दी। हेलमेट नीचे गिर गया और उसमें से एक छिपकली निकलकर भाग गई।
अब मोंटी का झूठ सबके सामने आ गया। पप्पू ने हंसते हुए कहा, "तो ये है तुम्हारा जादुई हेलमेट?"
मोंटी ने सिर खुजलाते हुए कहा, "ठीक है, मानता हूं कि ये हेलमेट जादुई नहीं है। पर ये बात तो माननी पड़ेगी कि ये हेलमेट सबको हंसा जरूर सकता है!"
गांव के सभी लोग मोंटी की इस बात पर जोर-जोर से हंसने लगे। मोंटी ने अपनी शरारत को भले ही जादू बताया हो, लेकिन उसने पूरे गांव को हंसी का बहाना जरूर दिया।
सीख:
हर चीज में जादू नहीं होता, लेकिन हंसी बांटना भी किसी जादू से कम नहीं। 😄