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जीवन में उपवास और व्रत का महत्व
Health जीवन में उपवास और व्रत का महत्व:- एक समय था जब भारत देश में विशेषकर स्त्रियां नियमित रूप से व्रत रखती थीं मेरी मां स्वयं भी व्रत रखती थीं और मेरी बहनों से भी अनुरोध करती थीं कि वे सप्ताह में एक दिन व्रत अवश्य रखें। साथ ही दोनों नवरात्रों में कम से कम दो दिन व्रत अवश्य रखें। (Health)
मुझे याद है कि व्रत के दिन भोजन में अनाज का प्रयोग नहीं किया जाता था। कुट्टू या सिंघाड़े का आटा, समां के चावल और चैलाई का साग व्रत का भोजन बनाने में प्रयोग किये जाते थे।
बचपन में हमें व्रत के महत्व का ज्ञान नहीं था। आज व्रत का रिवाज समाप्त सा हो गया है। और परिणाम स्वरूप लोग अनेक रोग जैसे मधुमेह और हृदय रोग का शिकार होते जा रहे हैं। (Health)
इन बीमारियों का मुख्य कारण भोजन में कार्बोहायड्रेट की बहुतायत है। धार्मिक इतिहास में केवल...
इन बीमारियों का मुख्य कारण भोजन में कार्बोहायड्रेट की बहुतायत है। धार्मिक इतिहास में केवल एक राजा दशरथ का नाम आता है, जिनकी मृत्यु हृदय निश्क्रिय होने के कारण हुई थी। उस काल में लोगों को इस प्रकार के रोग नहीं होते थे। पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव में हमारे भोजन में मैदा, सफेद चीनी का प्रयोग बढ़ गया है। (Health)
एक नवीनतम सर्वे में यह बात सामने आयी है कि जो स्त्रियां नियमित रूप से व्रत और उपवास रखती हैं उनमें इस प्रकार के रोगों की सम्भावना बहुत कम होती है।
आज स्त्रियां और युवतियां व्रत और उपवास का महत्व नहीं समझतीं। यह आवश्यक है कि व्रत और उपवास के ‘डाॅक्टरी’ महत्व का प्रचार किया जाये। व्रत को आसान बनाने के लिए फलाहार की क्रिया अत्यंत सहायक हो सकती है। मेरी सलाह है कि हम सभी को सप्ताह में एक दिन व्रत रख कर केवल फल और हरी सब्जियों को अपने आहार में सम्मलित करना चाहिए। इस अवसर पर अनाज और विशेषकर मैदा, चीनी और तली हुई चीजों से परहेज करना चाहिए। यहां तक की यदि मन करें तो बेसन का चीला भी व्रत के भोजन में सम्मलित किया जा सकता है। (Health)
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