शिक्षा देती एक प्रेरक कहानी क्षमा-दान आधी रात का समय था। छत्रपति शिवाजी गहरी नींद में सो रहे थे। तभी पहरेदारों की नजरें बचाकर बारह-तेरह साल का एक किशोर महाराज के शयन-कक्ष में घुस आया। इधर- उधर देखकर झटपट उसने अपनी कमर में खोंसी कटार निकाल ली और सो रहे शिवाजी पर अभी वह वार करने ही जा रहा था। कि किसी ने पीछे से आकर उसे मजबूती से पकड़ लिया। By Lotpot 05 Aug 2020 | Updated On 05 Aug 2020 13:32 IST in Stories Moral Stories New Update Hindi Kids Story प्रेरक कहानी क्षमा-दान: आधी रात का समय था। छत्रपति शिवाजी गहरी नींद में सो रहे थे। तभी पहरेदारों की नजरें बचाकर बारह-तेरह साल का एक किशोर महाराज के शयन-कक्ष में घुस आया। इधर- उधर देखकर झटपट उसने अपनी कमर में खोंसी कटार निकाल ली और सो रहे शिवाजी पर अभी वह वार करने ही जा रहा था। कि किसी ने पीछे से आकर उसे मजबूती से पकड़ लिया। बुरी तरह चैंक कर बालक ने पीछे पलटकर देखा, तो उसके रोंगटे खडे़ हो गये। उसे पकड़ने वाले स्वंय सेनापति तानाजी थे। उन्होंने उसे राजमहल में प्रवेश करते देख लिया था। लेकिन, वे यह देखने के लिये बालक के पीछे-पीछे दबे पांव आये थे कि यह क्या करना चाहता हैं। और पढ़ें : बच्चो के लिए बाल कहानी : लड़ाई साँप और नेवले की आहट पाकर छत्रपति की नींद टूट गई। उन्होंने चांैक कर बालक से प्रश्न किया। कौन हो तुम? तुम्हारे हाथ में कटार क्यों है? बालक ने उत्तर दिया। मेरा नाम मालोजी छत्रपति... मैं आपकी हत्या करने के उद्देश्य से यहाँ आया था, परन्तु दुर्भाग्य से सेनापति जी ने रंगे हाथों मुझे पकड़ लिया। शिवाजी को बालक की बातों से उस पर विस्मय हुआ। पूछ बैठे-मेरी हत्या तुम क्यों करना चाहते थे? मालोजी ने भराई हुई आवाज में कहा। हत्यायें शत्रुओं की जाती है। महाराज... परन्तु, आप मेरे शत्रु नहीं हैं... विवश होकर ही मैं आपकी हत्या करना चाहता था। छत्रपति शिवाजी ने उस सर्वथा अपरिचित बालक को सिर से पांव तक देखते हुए पुनःप्रश्न किया। तुम्हारी वह कौन-सी विवशता है, जिसने मेरा वध करने के लिये तुम्हें प्रेरित किया था। बालक? Hindi Kids Story और पढ़ें : मजेदार बाल कहानी : जब जान पर बन आये तब मालोजी अब फूट-फूटकर रो पड़ा। मुझे क्षमा करें। छत्रपति... मैं अपनी गरीब और विधवा मां की इकलौती संतान हूँ बेचारी कई दिनों से भूखी है। आपके शत्रु सुभागराय ने मुझे यह कहकर प्रलोभित किया था कि यदि मैं आपकी हत्या कर डालूँ, तो वह मुझे एक हजार सोने की मुहरें देगा इतना सुनते ही सेनापति तानाजी ने कड़कती हुई आवाज में कहा। दुष्ट... नीच... लोभी, धन के लोभ से तू महाराष्ट्र गौरव का प्राण-नाश करना चाहता था? अभी तुझे मैं यमलोक पहुँचा देता हूँ! कहकर उन्होंने म्यान से तलवार खींच ली। शिवाजी ने उन्हें संकेत से रोकते हुए मालोजी से पूछा-बालक तुमने जो घोर अपराध किया है। उसका दंड जानते हो? मालोजी ने मरी हुई मुस्कान के साथ उत्तर दिया। आप मुझे प्राण-दंड से दंडित करेंगे। यह मैं जानता हूँ छत्रपति... मैं मरने से तनिक भी नहीं डरता। परन्तु एक निवेदन अवश्य करूँगा। कि दंडित करने से पूर्व मुझे अपनी भूखी और बीमार मां को अन्तिम बार देख पाने का अवसर प्रदान करें! कहकर उसने घुटने टेक दिये। शिवाजी कुछ कहते, इसके पूर्व ही तानाजी ने कर्कश स्वर में कहा। तूँ हमें मनगढंत कहानी सुनाकर धोखा देना चाहता हैं। दुष्ट? मालोजी ने शिवाजी को संबोधित करते हुये दृढ़तापूर्वक कहा। सेनापति जी एक असहाय पुत्र की मानसिकता नहीं समझ पायेंगे। परन्तु आप दया के अवतार और महाराष्ट्र के रक्षक हैं। छत्रपति... मेरी उम्र कम है लेकिन मैं भी मराठा हूँ। मैं आपको वचन देता हूँ कल सुबह को ही मैं आपके पास दंडित होने के लिए लौट आऊँगा। Hindi Kids Story और पढ़ें : बाल कहानी : मेहनती लकड़हारा दयालु और दूरदर्शी शिवाजी ने सेनापति ताना को आदेश दिया कि अपराधी को छोड़ दिया जाये। मालोजी महाराज की चरण धूल लेकर अपने घर चला गया। दूसरे दिन अब छत्रपति राज दरबार में बैठे। तो द्वारपाल ने आकर सूचना दी। महाराज एक बालक आपके दर्शन करना चाहता हैं। उसे भेज दो! शिवाजी ने आदेश दिया। वह बालक और कोई नहीं। मालोजी ही था। उसने छत्रपति को अभिवादन करते हुये निवेदन किया। मैं आपकी उदारता के लिये कृतज्ञ हूँ। मैंने मां के दर्शन कर लिये है। अब मुझे दंडित कर कृतार्थ करें। राजाधिराज! बालक की ईमानदारी, निर्भीकता और मातृभक्ति से प्रभावित होकर छत्रपति सिंहासन से उतर आये। आगे बढ़कर उन्होंने मालोजी को हृदय से लगा लिया। भावविह्वल स्वर में बोले। महाराष्ट्र के लिये यदि मैं शक्तिशाली वर्तमान हूँ तो तुम लोग उसके स्वर्णिम भविष्य हो। तुम्हें मैं प्राणदंड से दंडित कर राष्ट्र की क्षति करना नहीं चाहता बालक! मातृभक्त और मालोजी छत्रपति शिवाजी की स्नेह-छाया में राजमहल में रहने लगा। उसकी विधवा मां को भी वहाँ बुला लिया गया। आगे चलकर मालोजी मराठा सेना का एक विश्वस्त और पराक्रमी सैनिक भी बना। इतना ही नहीं। जो मालोजी एक दिन शिवाजी का जीवन नाश करना चाहता था। वही अन्तिम क्षणों तक उनका अंग रक्षक बना रहा। Facebook Page #Acchi Kahaniyan #Bacchon Ki Kahani #Best Hindi Kahani #Hindi Story #Inspirational Story #Jungle Story #Kids Story #Lotpot ki Kahani #Mazedaar Kahani #Moral Story #Motivational Story #जंगल कहानियां #बच्चों की कहानी #बाल कहानी #रोचक कहानियां #लोटपोट #शिक्षाप्रद कहानियां #हिंदी कहानी #बच्चों की अच्छी अच्छी कहानियां #बच्चों की कहानियां कार्टून #बच्चों की कहानियाँ पिटारा #बच्चों की नई नई कहानियां #बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ #बच्चों के लिए कहानियां You May Also like Read the Next Article