Jungle Kahani : नए साल का सूरज- नए साल की पहली किरण जैसे ही आसमान में टिमटिमाने लगी, गुलमोहर के पेड़ पर सोया किटू बंदर तुरंत जाग गया। उछलकर जोर से चिल्लाया, "जंगल के सभी प्राणियों की ओर से, सूरज दादा, मैं तुम्हें बधाई देता हूं।"
तभी उसके अन्य साथी किटू बंदर के पास आकर बोले, "आज सुबह-सुबह तुम किसे और किस बात के लिए बधाई दे रहे हो?"
किटू ने जवाब दिया, "हर वर्ष की भांति, इस वर्ष भी हम नए साल के उपलक्ष्य में वृक्षारोपण करेंगे।"
साथियों ने आश्चर्य से पूछा, "वृक्षारोपण? क्यों?"
किटू ने समझाते हुए कहा, "हम सब मिलकर पिछले सात वर्षों से नए साल के अवसर पर वृक्षारोपण करते आ रहे हैं। इस बार हम नई किस्म के वृक्ष जंगल में लगाएंगे, ताकि ये पेड़ हरे-भरे होकर पानी के बादलों को आकर्षित कर सकें। जब पानी की कमी नहीं होगी, तो फसलें भरपूर होंगी और सभी का जीवन बेहतर होगा।"
जब किटू ने यह बताया, तो वनराज वहां आकर गरजते हुए बोले, "तुम लोगों ने जंगल के तमाम रास्तों में बाधा डाल दी है। इन पेड़ों के कारण मैं सीधे दौड़कर शिकार भी नहीं कर पाता। कई बार तो पेड़ों से टकरा जाता हूं और इसी बीच शिकार गायब हो जाता है। चूंकि जंगल में मेरा कानून चलता है, मैं इजाजत नहीं देता कि कोई बिना अनुमति के वृक्षारोपण करे। यदि ऐसा हुआ तो मैं उन पेड़ों को उखाड़ फेंकूंगा!"
यह कहकर वनराज अपनी गुफा की ओर चला गया।
हालांकि, किटू और उसके साथियों का उत्साह कम नहीं हुआ। उन्होंने फैसला किया कि जंगल के भले के लिए वे हर वर्ष की तरह इस बार भी वृक्षारोपण करेंगे और जंगल को हरा-भरा बनाएंगे। यह अजीब बात है कि बंदर किटू और उसके साथी चर्चा कर रहे थे, "हम तो कुदरत के सौंदर्य में चार चांद लगाने की बात सोच रहे थे, ताकि हर प्राणी जंगल में वृक्षों की बढ़ती संपत्ति देखकर खुश हो सके।"
अब किटू ने अपने सभी साथियों से कहा, "नए वर्ष पर वृक्षारोपण करने की हमने जो परंपरा बनाई है, उसे ताउम्र निभाएंगे। यदि हमारे इस प्रयास को किसी ने तोड़ना चाहा, तो हम जान की बाजी लगाकर ही दम भरेंगे।"
इसके बाद किटू अपने साथियों के साथ नई किस्म के वृक्ष रोपने लगा। यह खबर वनराज तक पहुंची। वनराज अपने चमचों के साथ वहां आ धमका और गरजते हुए बोला, "वृक्षारोपण करना बंद करो! नहीं तो सारे वृक्षों में आग लगवा दूंगा।"
यह बात पेड़ के पीछे खड़े हाथी दादा भी सुन रहे थे। उन्होंने तुरंत आकर कहा, "वनराज जी! आज नव वर्ष का प्रथम दिन है। जंगल में इस खुशी के मौके पर वृक्षारोपण करना हमारा फर्ज है। आज का आदमी बड़ा निठल्ला हो गया है। वह वृक्ष नहीं लगाता, केवल काटता है। यदि इसी तरह चलता रहा, तो जंगल वृक्षहीन हो जाएगा। फिर हम सब कहां रहेंगे? हमारी भलाई के लिए ही तो किटू और उसके साथी हर वर्ष वृक्षारोपण करते हैं।"
हाथी दादा की बातों से वनराज प्रभावित हुआ। उसने आगे बढ़कर खुद अपने हाथों से वृक्ष लगाना शुरू किया और बोला, "नए साल पर हाथी दादा का संदेश अमर रहेगा।"
सीख:
यह कहानी हमें सिखाती है कि प्रकृति का संरक्षण और वृक्षारोपण हमारी जिम्मेदारी है। जैसे किटू और उसके साथी जंगल को हरा-भरा रखने के लिए हर साल वृक्षारोपण करते हैं, वैसे ही हमें भी अपनी धरती के पर्यावरण को संरक्षित करने का संकल्प लेना चाहिए। जंगल के राजा वनराज भी यह समझ गए कि वृक्ष केवल बाधा नहीं हैं, बल्कि सभी जीवों के जीवन का आधार हैं। हमें यह सीखना चाहिए कि अपने निजी स्वार्थों से ऊपर उठकर, सामूहिक भलाई के लिए कार्य करना ही सच्चा कर्तव्य है। प्रकृति की रक्षा ही हमारी असली संपत्ति है।