जंगल की कहानी : गजराज को मिली दोस्ती की मिसाल - बहुत समय पहले, एक घना जंगल था जिसे सभी जानवर 'मित्रवन' कहते थे। इस जंगल में हर जानवर खुशी-खुशी रहता था, क्योंकि वहाँ के राजा शेरसिंह ने सभी के बीच सच्ची दोस्ती और सहयोग का नियम बनाया था।
मित्रवन में हलचल
एक दिन जंगल में अचानक एक अजीब हलचल हुई। एक बड़ा हाथी, गजराज, घायल होकर जंगल के किनारे पर गिरा पड़ा था। सभी जानवर दौड़कर उसकी मदद करने पहुँचे। खरगोश चीकू ने चिंतित होकर पूछा, "गजराज भैया, आपको क्या हुआ?"
गजराज ने कराहते हुए कहा, "मैं जंगल के बाहर के शिकारियों से बचकर यहाँ तक आया हूँ। मेरे पैर में कांटा चुभ गया है और दर्द से चल नहीं पा रहा हूँ।"
मदद का प्लान
जंगल के सभी जानवर एक साथ इकट्ठे हुए। तोते टीटो ने सुझाव दिया, "हमें मिलकर गजराज की मदद करनी होगी। लेकिन शिकारियों से भी सावधान रहना होगा।"
सभी जानवरों ने अपना-अपना काम बाँटा। बंदर मोनू ने कहा, "मैं ऊँचाई से देखूंगा कि शिकारी कहाँ हैं।" खरगोश चीकू ने कहा, "मैं गजराज भैया के पैर से कांटा निकालने की कोशिश करूंगा।" और लोमड़ी रूबी ने कहा, "मैं पास के झरने से पानी लाकर गजराज भैया को पिलाऊंगी।"
शिकारी का डर
जब सब जानवर अपनी-अपनी तैयारी में थे, तभी टीटो ने देखा कि शिकारी जंगल के अंदर आ रहे हैं। उसने तुरंत आवाज दी, "सावधान! शिकारी आ रहे हैं।"
शेरसिंह ने सभी जानवरों को हिम्मत देते हुए कहा, "डरो मत। अगर हम सब एक साथ रहेंगे, तो शिकारी हमारा कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे।"
जंगल की एकता
सभी जानवर शेरसिंह की बात मानकर एकजुट हो गए। खरगोश ने जल्दी से गजराज के पैर से कांटा निकाला। लोमड़ी ने गजराज को पानी पिलाया और बंदर ने शिकारियों को घेरने का तरीका बताया।
जैसे ही शिकारी करीब आए, सभी जानवरों ने जोर-जोर से आवाजें निकालनी शुरू कर दीं। उनकी आवाज इतनी तेज थी कि शिकारी डर गए और भाग खड़े हुए।
मित्रता की जीत
गजराज अब ठीक हो चुका था। उसने सभी का धन्यवाद किया और कहा, "आप सभी ने मुझे जो दोस्ती और सहयोग दिखाया, वह कभी नहीं भूलूँगा। यह जंगल सच में मित्रवन है।"
सभी जानवरों ने खुशी-खुशी गजराज का स्वागत किया। शेरसिंह ने कहा, "इस घटना ने साबित कर दिया कि एकता और दोस्ती में कितनी ताकत होती है। अगर हम साथ रहें, तो कोई भी हमें नहीं हरा सकता।"
सीख:
यह कहानी हमें सिखाती है कि दोस्ती, एकता, और सहयोग से बड़े से बड़े संकट का सामना किया जा सकता है।