Fun Story: नन्हें पटाखे

विजया दशमी पर रावण फूंकने के साथ ही बच्चों का मूड ‘धांय धूं’ वाला हो जाता है और वे धमाकेदार पटाखों के साथ-साथ महताबी अनार की रंगीन कल्पनाओं में विचरते दीपावली के पर्व की प्रतीक्षा करने लगते हैं।

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नन्हें पटाखे

Fun Story नन्हें पटाखे:- विजया दशमी पर रावण फूंकने के साथ ही बच्चों का मूड ‘धांय धूं’ वाला हो जाता है और वे धमाकेदार पटाखों के साथ-साथ महताबी अनार की रंगीन कल्पनाओं में विचरते दीपावली के पर्व की प्रतीक्षा करने लगते हैं। घर की सफाई पुताई हो जाने के बाद तो बच्चों का पूरा-पूरा ध्यान खील बताशों, खिलौने, और पटाखों पर केन्द्रित हो जाता है। (Fun Stories | Stories)

अभी दीपावली के कई दिन बाकी थे, लेकिन अतुल अभी से इस उधेड़ बुन में उलझा हुआ था...

अभी दीपावली के कई दिन बाकी थे, लेकिन अतुल अभी से इस उधेड़ बुन में उलझा हुआ था कि अब की दीपावली पर घर की कुछ ऐसी सजावट और रौशनी हो जाए कि सारा मोहल्ला दाँतों तले ऊंगली दबा ले। अतुल के छोटे भाई आशीष के दिल में अभी से पटाखे छूटने लगे थे। वह सोच रहा था कि अब की बार वह घिर्री और चुटपुटिया के चक्कर में न फंस कर दागने वाले बम पटाखे अधिक खरीदेगा। (Fun Stories | Stories) अबकी वह थोड़ा सब्र से काम करेगा और जब मौहल्ले के बच्चे अपना ‘स्टाक’ फूंक कर हाथ पर हाथ धर के बैठ जाएंगे तब वह अपने दिल की भड़ास निकाल कर लोगों को बता देगा कि दीपावली कैसी होती है और पटाखे कैसे छोड़े जाते हैं। उधर नन्हीं मनीषा सोच रही थी कि अपनी आदत से मजबूर उसके दोनों भाई इस बार भी दीपावली पर किसी भौंडी कला का प्रदर्शन अवश्य करेंगे, क्योंकि बिना किरकिरी किए तो उन्हें दाल भात भी हजम नहीं होता है। ऐसी स्थिति में उसे अपने दिमाग का संतुलन ठीक रखना होगा अन्यथा ये सिर फिरे उसका भी मज़ा खराब कर देंगे। और बातों-बातों में मनीषा ने बड़ी होशियारी से दोनों भाईयों की योजना समझ ली कि अब की बार वे कौन-सा गुल खिलाना चाहते हैं। (Fun Stories | Stories)

सब कुछ जानकर उसे बड़ी निराशा हुई और उस रात तो उसे ठीक से नींद भी नहीं आ पाई। वह सोचने लगी कि आखिर अतुल बिजली की भारी सजावट क्यों चाहता है? क्या उसे नहीं लगता है कि भारी बल्बों और ‘फ्लड लाईट’ की चकाचौंध रौशनी से दीप वर्तिकाओं के इस पवित्र और शान्तिमय पर्व का पूरा महत्व ही समाप्त हो जाएगा। वैसे भी बिजली की फिजूल खर्ची से भला कौन-सा लाभ! (Fun Stories | Stories) जब घर में एक किलो शक्कर तक बहुत किफायत से खर्च की जाती है। एक-एक रुपया बहुत सोच विचार कर खर्च किया जाता है तो फिर एक रात में सैकड़ों वाट बिजली खर्च करते हुए लोगों के कलेजे में कसक क्यों नहीं होती? उसे याद आया कि पिछली दीपावली पर मन्सा राम चाचा के यहां बिजली की भारी सजावट की गई थी परन्तु उसी रात उनका बिजली का मीटर जल गया और बत्ती गुल हो गई। बिजली की सजावट कितनी महंगी पड़ी ये तो वही जानते होंगे। उसे यह भी याद आया कि बम दागने के चक्कर में ही एक बार बिरजू मामा का हाथ जल गया था। जब बड़े लोगों से भी चूक हो जाती है तो फिर बच्चे तो बच्चे ही हैं। क्षण भर की असावधानी से घर भर का त्यौहार फीका पड़ सकता है। (Fun Stories | Stories)

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उसने मन ही मन फैसला कर लिया कि वह दोनों भाईयों को एक बार अवश्य समझाएगी और इस तरह समझाएगी कि उन्हें बुरा भी न लगे, उनका दिल भी न टूटे और फिर वही हुआ जिसकी पहले से ही आशंका थी। पापा की घुड़की से दोनों भाईयों का उत्साह ठंडा पड़ गया और उनका मुंह फूल गया। ऐन वक्त पर मनीषा ही सामने आई और उसी ने बात साधी। उसने पापा को राय दी कि मामूली खर्च से भी घर को अच्छी तरह सजाया जा सकता है, यदि छत की बाउन्ड्री पर सामने की ओर छोटे-छोटे बल्बों की मात्र एक झालर सजाई जाए तो उससे न तो अधिक बिजली खर्च होगी और न ही अधिक पैसा खर्च होगा, वरना सच मानिए तो सजावट में थोड़ा-सा ‘ग्रेस’ आ जाएगा तथा अतुल का शौक भी पूरा हो जाएगा। (Fun Stories | Stories) मुख्य द्वार के ऊपर केवल एक सुन्दर सी कन्दील लटकाई जाएगी बाकि पूरा घर केवल दीयों की कतार से सजाया जाएगा। बम पटाखे और हवाई सुरसुरिया घर में क्या, बाहर भी नहीं छुड़ाई जाएंगी परन्तु दस पाँच लहसुनिया और छोटे पटाखे अवश्य छुड़ाए जाएंगे ताकि भाईयों का दिल न टूटे, हाँ! रंगीन महताब और अनार अवश्य आएंगे और फुलझड़ियां तो मम्मी पापा और दादा जी को भी छुड़ानी पड़ेंगी क्योंकि दीपावली तो सभी की है। फिर बिटिया बचा ही क्या!’ पापा मुस्कुरा उठे ‘लेकिन जितना तुमने कहा है उतना तो हर हाल में होगा ही’। और पापा के द्वारा इतना कहते ही बच्चे खुशी से उछल पड़े और अतुल आशीष ने ‘मनीषा जिन्दाबाद’ का नारा बुलन्द कर दिया। पता नहीं, खिड़की की ओट में छिपे दादा जी न जाने कब से पापा बच्चों की बातें सुन रहे थे जो बात बन जाने पर बच्चों की खुशी में शरीक हो गए। ‘पटाखों में कोई आवाज नहीं होती है बच्चों’ दादा जी ने बड़ी सफाई से अपनी बूढ़ी आंखों की भीगी कोर पोंछ ली। ‘आवाज तो तुम जैसे नन्हें पटाखों के उत्साह से पैदा होती है, आशाओं की रंग बिरंगी फुलझड़ियों..। तुम चाहो तो अपनी बुद्धि की जगमगाहट से पूरे घर और समाज को रौशन कर सकते हो...।’ (Fun Stories | Stories)

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