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पाँच हजार का इनाम
Fun Story पाँच हजार का इनाम:- छत्रपति शिवाजी के शासनकाल की घटना है। मुगल बादशाह औरंगजेब से उनकी बनती नहीं थी। औरंगजेब हरदम इस ताक में रहता था कि किसी प्रकार शिवाजी को कैद कर लूँ। आखिर यह मौका उसे मिल ही गया और शिवाजी अपने दो सेवकों के साथ कैद कर लिये गये। (Fun Stories | Stories)
कैद खाने में ही शिवाजी ने एक योजना बनायी और निकल भागे। भागते भागते वह मुर्शिदाबाद...
कैद खाने में ही शिवाजी ने एक योजना बनायी और निकल भागे। भागते भागते वह मुर्शिदाबाद पहुँचे किन्तु थक कर बीमार पड़ गये। उन्हें आराम की सख्त जरूरत थी। रात्रि का अंधकार सर्वत्र छाया था शिवाजी ने अपने सेवक तानाजी से विचार विमर्श किया और एक ग्रामीण के घर ठहर गये। उस ग्रामीण का नाम विनायकदेव था। बेचारा निहायत सज्जन एवं भोला था तथा इस बात से भी अन्जान था कि ये दोनों आगन्तुक कौन हैं। (Fun Stories | Stories)
विनायकदेव की सेवा से शिवाजी चंगे होने लगे किन्तु घर की निर्धनता के कारण विनायक कुछ परेशान था। कभी कभी तो ऐसा होता कि शिवाजी को खिलाने के बाद घर में कुछ नहीं बचता तब विनायकदेव पानी पी कर ही चुप से रहता या थोड़ा सा नमक चाट लेता। (Fun Stories | Stories)
एक दिन शिवाजी ने विनायक को नमक चाटते देख लिया। मन ही मन वह खूब रोये और निश्चय किया कि इस सज्जन की गरीबी जरूर दूर करूँगा।
कैद खाने से शिवाजी को फरार देख औरंगजेब ने घोषणा कराई कि जो कोई भी शिवाजी का पता बतायेगा उसे पाँच हजार स्वर्ण मुद्राओं का नगद पुरस्कार दिया जायेगा।
शिवाजी ने घोषणा सुनी तो सोचन लगे- ‘‘मैं यदि पकड़ा जाऊँ तो इस निर्धन सज्जन को पाँच हजार स्वर्ण मुद्राओं का पुरस्कार मिल सकता है।’’
ऐसा सोचकर उन्होंने लिखा ‘‘मैं जिस से पत्र भिजवा रहा हूँ उसी के घर में मौजूद हूँ......।’’ पाँच हजार स्वर्ण मुद्राएं इस निर्धन को दे दो और मुझे पकड़ ले जाओ।’’
पत्र लिखकर शिवाजी ने विनायक को थमाया और कहा- ‘‘यह मुगल सूबेदार को दे आओ।’’ (Fun Stories | Stories)
विनायक भोला-भाला था ही उसने पत्र मुगल सूबेदार को थमा दिया। पत्र पढ़कर सूबेदार खुशी से विभोर हो गया और विनायक के साथ रूपयों की थैली लेकर आया। वायदे के अनुसार शिवाजी मौजूद थे। सूबेदार ने पाँच हजार मुद्राएं विनायक को दे दी और शिवाजी को हथकड़ी पहनाकर ले चला। (Fun Stories | Stories)
तानाजी लौटे तो शिवाजी को न पाकर स्तब्ध रह गये। विनायक ने रो-रोकर बताया कि मुगल सूबेदार उन्हें पकड़ ले गये। ताना जी अपने स्वामी शिवाजी की उदारता से परिचित थे। वह समझ गये कि इसी भोले आदमी के कारण उन्होंने अपने को संकट में डाला है। तब सारी सच्ची बातें उन्होंने विनायक को बताते हुए कहा। ‘‘तुम्हारे अतिथि स्वंय छत्रपति शिवाजी थे और मैं उनका सेवक ताना जी हूँ।’’ (Fun Stories | Stories)
अब तो विनायक के दुख का ठिकाना न रहा। पाँच हजार मुद्राओं की थैली वह आग में जलाने को उद्यत हुआ तो ताना जी ने समझाया। ‘‘चलो इन मुद्राओं से कुछ आदमी भाड़े पर लें और लड़कर शिवाजी को छुड़ायें।’’ (Fun Stories | Stories)
विनायक तुरन्त तैयार हो गया। सूबेदार जंगल के रास्ते से शिवाजी को ले जा रहा था। अचानक तानाजी उस पर टूट पड़े। भारी युद्ध हुआ किन्तु अन्त में सूबेदार मारा गया। शिवाजी मुक्त हुए और उन्हें सूबेदार की टुकड़ी का बहुत सारा सामान भी प्राप्त हुआ। (Fun Stories | Stories)
विनायक ने उन्हें प्रणाम किया और फूट फूट कर रो पड़ा। शिवाजी ने उसे सांत्वना दी और अपने राज्य को वापस लौट गए। (Fun Stories | Stories)
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