Fun Story: मध्यावधि चुनाव क्लास-टीचर गोविन्द सहाय ने कक्षा में कदम रखा। रजिस्टर खोलने से पहले उन्होंने घोषणा की- ‘‘तुम्हें याद ही होगा कि प्रधानमंत्री और विरोधी दल के नेता में जूते चल जाने के कारण प्रिंसीपल ने स्कूल की संसद भंग कर दी थी। By Lotpot 02 Jan 2024 in Stories Fun Stories New Update मध्यावधि चुनाव Fun Story मध्यावधि चुनाव:- क्लास-टीचर गोविन्द सहाय ने रजिस्टर हाथ में लिये कक्षा में कदम रखा। रजिस्टर खोलने से पहले उन्होंने घोषणा की- ‘‘तुम्हें याद ही होगा कि प्रधानमंत्री और विरोधी दल के नेता में जूते चल जाने के कारण प्रिंसीपल ने स्कूल की संसद भंग कर दी थी। छात्रों के बहुत जोर देने पर प्रिंसीपल महोदय, संसद के लिये मध्यावधि चुनाव कराने के लिये मान गये हैं। हमें भी अपनी कक्षा से एक सदस्य संसद में भेजना है। चुनाव कल होगा। जो विद्यार्थी चुनाव लड़ने के लिए इच्छुक हों, वे अपना नाम मुझे दे दें।’’ (Fun Stories | Stories) पहले नाम लिखाया विजय कुमार ने। वह इस अखाड़े का पुराना खिलाड़ी था। विजय पिछले दो वर्षों से संसद सदस्य था। उसके विरूद्ध खड़ा हुआ नरेश चंद्र। नरेश इस वर्ष स्कूल की क्रिकेट टीम में आ गया था और कक्षा का मानीटर भी था। उन दो महारथी के विरोध में किसी तीसरे उम्मीदवार को खड़े होने का साहस न हुआ। भले ही इस चुनाव में जमानत जब्त होने का डर न था किन्तु केवल दो ढाई वोट मिलने पर अपमान तो हो ही सकता था। फिर कक्षा में गुल-गपाड़ा मच गया। मास्टर जी ने मेज पर डस्टर थपथपा कर कक्षा को शांत किया। कहने को तो कक्षा शांत हो गई किन्तु किसी का पढ़ाई में जी न लगा। ज्यों ही, मास्टर जी ब्लैक-बोर्ड पर कुछ लिखने के लिये चेहरा घुमाते, खुसर फुसर चालू हो जाती। (Fun Stories | Stories) दो पीरियड बीते, आज हिन्दी के मास्टर जी छुट्टी पर थे इस लिये तीसरा पीरियड भी खाली मिल गया। कहावत प्रसिद्ध है, बड़े मियां घर नहीं, हमें किसी का डर नहीं। पीरियड खाली मिला तो लड़के अपनी करनी पर उतर आये। नरेश ने कक्षा में शान्ति स्थापित की। फिर चाक से बोर्ड पर बड़े-बड़े अक्षरों में सजा कर लिखा ‘भाइयों, अपना अमूल्य वोट नरेश चंद्र को दीजिये। विजय उछल कर सीट से बाहर आ गया। उसने नरेश से अपना नारा लिखने के लिये चाक मांगा। नरेश ने साफ इंकार कर दिया। विजय चिल्लाया- ‘‘तब तुम ने क्यों चाक का प्रयोग किया?’’ ‘‘मैं कक्षा का मोनिटर हूँ।’’ (Fun Stories | Stories) सारे जनों को उत्सुकता हो गई कि अब दोनों गुत्थमगुत्था हो जायेंगे और कक्षा में रौनक आ जायेगी। किन्तु विजय ने सब को निराश करते हुए कहा- ‘‘लेडीज एण्ड जेण्टलमैन....’’ ‘‘अजी, यहां लेडिज कहां है?’’ किसी ने टोका। सत्यानाश! भाषण के शुरू में ही गड़बड़! सिर मुंडाते ही ओले पड़े। (Fun Stories | Stories) विजय ने सुधार कर कहा-‘‘सॉरी! केवल जेण्टल मैन! क्या आप एक ऐसे लड़के को संसद में भेजेंगे जो कक्षा की सम्पत्ति का अपने चुनाव के लिये प्रयोग करता है।’’ नरेश क्यों पीछे रहता- ‘‘साथियों। विजय कुमार ने दो वर्ष संसद सदस्य रह कर आपके लिये क्या किया? कुछ नहीं! अभी भी आपको वार्षिक परीक्षा ज्यों की त्यों देनी पड़ती है।’’ विजय ने विरोध किया- ‘‘किन्तु अब पेपर आसान आते हैं। यह संसद में मेरे प्रयत्नों का फल है।’’ (Fun Stories | Stories) नरेश गरजा- ‘‘बकवास! संसद की बैठकों में आपने सिवाय सोने के कभी पूंछ तक हिलाई।’’ दोनों बिना दूसरे की बात सुन कड़कने लगे। इतना शोर मचा कि लगा जैसे गलती से जम्बो जेट... दोनों बिना दूसरे की बात सुन कड़कने लगे। इतना शोर मचा कि लगा जैसे गलती से जम्बो जेट रोशन दान से कमरे में घुस आया हो और बाहर निकलने का रास्ता न पा कर कमरें में ही इधर उधर उड़ रहा हो। विजय एक पल सांस लेने के लिये रूका तो नरेश का स्वर सुनाई दिया- ‘‘विजय के संसद सदस्य होते प्रिंसीपल साहब ने स्कूल के सामने से रामू चाट वाले का ठेला हटवा दिया।’’ (Fun Stories | Stories) चटपटी, मसालेदार चाट बनाने वाले रामू की चाट से कई लड़कों के मुंह में पानी भर आया, कई की आंख में। हरीश ने लार टपकाते हुए नरेश से पूछा- ‘‘क्या संसद में जाकर आप रामू चाट वाले को वापिस बुला देंगे।’’ नरेश ने सीना तान कर कहा- ‘‘अवश्य! मै संसद में पहुंचते ही संसद की ओर से रामू को अपना ठेला वापिस ले आने के लिये प्रार्थना-पत्र लिखूंगा।’’ विजय ने छाती फुलाई- ‘‘मेरे होते आप संसद में कदम भी नहीं रख सकते।’’ (Fun Stories | Stories) इस गरमा-गरमी का अन्त होता, कि साथ वाली कक्षा के टीचर इधर आ निकले उन्हें देखते ही सब को सांप सूंघ गया। नरेश और विजय ने चुपके से अपनी सीटें संभाल लीं। उन मास्टर जी ने धुड़क कर पूछा- ‘‘यहां क्या हो रहा था?’’ एक कोने से दबी आवाज़ उभरी- ‘‘चुनाव प्रचार!’’ ‘‘कक्षा का मानीटर कौन है?’’ (Fun Stories | Stories) थोड़ी देर पहले बरसात में उमड़े घनघोर बादलों की तरह गरजता नरेश डरते-डरते उठा। मास्टर जी ने आदेश दिया- ‘‘जो लड़का शोर मचाये उसे पकड़ कर मेरे पास लेकर आना।’’ मास्टर जी चले गये। कक्षा में शान्ति छा गयी किन्तु वियतनाम की शान्ति की भाँति यह शान्ति भी पाँच मिनट ही टिकी। पहले कनबतियां चलीं फिर मुँह बतियां होने लगीं।नरेश और विजय अपने-अपने वोट पक्के करने लगे। अच्छा था कि उनकी सीटें दूर दूर थीं नहीं तो उन में अवश्य हाथापाई हो जाती।’’ आखिर, पीरियड खत्म होने की घण्टी बजी। चैथा पीरियड क्लास-टीचर गोविन्द सहाय जी का था। उसके बाद आधी छुट्टी! मास्टर जी अभी पढ़ा कर कमरे से बाहर निकले भी न थे कि विजय ने घोषणा की-‘‘जैटलमैनों! चुनाव की खुशी मे मैं आप सब को चाय पिलाना चाहता हूँ मेरी सब से हाथ जोड़ कर प्रार्थना है कि फ्री जल-पान में भाग लेकर कैंटीन की शोभा बढ़ायें।’’ (Fun Stories | Stories) क्लास टीचर ने दरवाज़े पर यह घोषणा सुनी और मुस्कुरा कर स्टाफ-रूम की तरफ चले गये। विजय की जेब में महीने का जेब खर्च पड़ा था। नरेश को जेब खर्च रोज़ का रोज़ मिलता था। वह मन मसोस कर रह गया। लड़कों का झुण्ड नारे लगाता विजय के पीछे हो लिया। नरेश के सारे पक्के दोस्त और चुनाव प्रचारक भी चाय के लालच में इस झुण्ड में शामिल हो गये। नरेश अकेला बैठा सोच रहा था कि अब चुनाव में हार पक्की है। सहसा उसके दिल में विचार आया और वह खुशी से झूम उठा। (Fun Stories | Stories) अगली प्रातः जब लड़के कक्षा में आये तो प्रत्येक के डेस्क में एक चाकलेट पड़ी हुई थी जिसके साथ एक छोटी सी कागज की चिट नत्थी की हुई थी। चिट पर लिखा था- ‘कृपया अपना वोट लोक प्रिय मानीटर नरेश चंद्र को दीजिये। चाकलेट मीठी थी। जनमत का एक भाग फूट कर तुरन्त नरेश के पक्ष में हो गया। कक्षा में ऐसा सन्नाटा छाया था कि सुई भी गिरे तो साफ आवाज़ सुनाई देती। आज संसद का मध्य चुनाव जो था। मास्टर जी ने हाजिरी लेने के बाद कहा- ‘‘आज हमें अपनी कक्षा से संसद सदस्य चुनना है।’’ (Fun Stories | Stories) दोनों उम्मीदवारों की नब्ज़ें तेज़ हो उठीं। क्या पता, जनता किस की लुटिया डुबो दे। विजय को अपनी चाय पर विश्वास था तो नरेश को चाकलेट पर। किन्तु जनता को क्या चीज़ पसन्द आई है, यह तो आने वाला समय ही बता सकता था। कुछ क्षण की चुप्पी के पश्चात मास्टर जी ने कहा- ‘‘मैंने निश्चय किया कि संसद सदस्य के लिये चुनाव उचित न होगा क्योंकि हमारी कक्षा मे ऐसे महारथी हैं जो वोट पाने के लालच में छात्रों को चाय पिला सकते हैं, चाकलेट खिला सकते हैं। मैं पिछली परीक्षा में प्रथम आने वाले राजेन्द्र नाथ का नाम संसद सदस्य के लिये रखता हूँ। किसी को कोई आपत्ति। (Fun Stories | Stories) लड़के एक स्वर में चिल्लाये- ‘‘नो सर!’’ विजय और नरेश का चेहरा ऐसा बन गया जैसा चुनाव में जमानत जब्त हुये अम्मीदवार का। (Fun Stories | Stories) lotpot-e-comics | short-hindi-stories | hindi-short-stories | short-stories | hindi-stories | hindi-kids-stories | hindi-fun-stories | fun-stories | लोटपोट | lottpott-i-konmiks | hindii-baal-khaanii | baal-khaanii | chottii-hindii-khaanii | hindii-khaaniyaan | bccon-kii-mnornjk-khaanii यह भी पढ़ें:- Fun Story: चोरी की चॉकलेट Fun Story: गधे के कमरे में गधा Fun Story: स्मरण Fun Story: पाँच हजार का इनाम #बाल कहानी #लोटपोट #Lotpot #Hindi Kids Stories #Kids Stories #लोटपोट इ-कॉमिक्स #lotpot E-Comics #बच्चों की मनोरंजक कहानी #हिंदी बाल कहानी #छोटी हिंदी कहानी #hindi stories #Fun Stories #Hindi fun stories #hindi short Stories #Short Hindi Stories #short stories #हिंदी कहानियाँ You May Also like Read the Next Article