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छोटे हकीम जी
मजेदार हिंदी कहानी: छोटे हकीम जी:- भारत के किसी प्रान्त में एक गांव था, उस गांव के आस पास 10 कि.मी तक कोई अस्पताल नहीं था। जब भी कोई बीमार पड़ता उसका एक मात्र सहारा गांव के हकीम ही थे। दवाईयों के नाम पर उनके पास कुछ जड़ी बूटियां थीं और उन्हीं के सहारे उनका काम ठीक ठाक चल जाता था।
गांव के लोगों का जीवन बड़ा सरल था। सभी स्वस्थ रहते थे। कभी कभी जब गांव में किसी के घर कोई भोज होता तो सभी लोग बहुत खुल कर खाते थे। और इसी करण कुछ लोगों को पेट कि शिकायत हो जाती थी। हकीम भी अपने तजुर्बे के आधार पर उन्हें जुलाब की दवा दे देते थे। पेट साफ होते ही सभी मरीज़ एक बार फिर सामान्य जीवन व्यतीत करने लगते थे।
हकीम जी की मृत्यु के बाद यह जिम्मेदारी उनके लड़के पर आ पड़ी। दवाओं को लेकर उसका ज्ञान केवल...
हकीम जी की मृत्यु के बाद यह जिम्मेदारी उनके लड़के पर आ पड़ी। दवाओं को लेकर उसका ज्ञान केवल जुलाब कि पुड़िया तक सीमित था। हकीम जी कुछ ज्योतिष का ज्ञान भी रखते थे। हकीम होने के साथ साथ वे नजमी होने का भी दावा करते थे। गांव के लोगों को यकीन था कि उनका बेटा भी भविष्यवाणी करने की योग्यता रखता होगा। “मेरा गधा खो गया है वह शाम को चरने गया था और फिर लौट कर नहीं आया कुछ ऐसा कीजिये कि मेरा गधा मिल जाए” ग्रामवासी और गधे का मालिक बड़ी उम्मीद लेकर छोटे हकीम जी के पास आये थे।
छोटे हकीम जी ने अपने ज्ञान के अनुसार जुलाब की पुड़िया दे दी। पुड़िया का असर यह हुआ कि सुबह होने से पहले ही गधे का मालिक पेट हल्का करने के लिये गांव के बाहर निकल पड़ा। वहीं उसने देखा कि उसका गधा चोट खाया हुआ एक पेड़ के नीचे दर्द से कराह रहा है। गधे को चोट लगी हुई थी।
मालिक गधे को देख कर बहुत खुश हुआ वह धीरे धीरे उसको घर ले आया। गधा मिलने की खबर सारे गांव में फैल गई और हकीम जी के ज्योतिष ज्ञान की दूर-दूर तक चर्चा होने लगी। कई दिन बाद गांव के राजा को खबर मिली कि उनके दुश्मन कि सेना उनपर आक्रमण करने के लिए निकल पड़ी है।
राजा मुकाबले के लिए तैयार नही था। इसलिए उसने छोटे हकीम ज्योतिषी से सलाह मांगी। पर हकीम जी के पास केवल एक ही सलाह थी। उन्होने आदेश दिया कि जुलाब की एक एक पुड़िया दुश्मन राजा के हर सैनिक को खिला दी जाए। प्रत्येक दुश्मन सैनिक को मुकाबले के लिये और अधिक सशक्त बनाने के लिये तीन तीन पुड़िया खिला दी गयी। परिणाम भयंकर हुये। दुश्मन के सैनिको का सारा समय शौचालय में ही बीतने लगा ज्यो त्यों कर के वे सभी वापस लौट गये।
एक बार फिर छोटे हकीम जी की दवा ने अपना कमाल दिखला दिया था। छोटे हकीम जी की हकीम और ज्योतिषी की सफलता की छवी अब दूर दूर तक फैल चुकी थी।