हिंदी नैतिक कहानी: मासूम चोर राजा विक्रम सिंह ने अपने राज्य में चोर पकड़वाने पर इनाम देने की घोषणा की। मां की दवा के लिए, एक भाई अपनी बहन को चोर बताकर राजा के पास ले जाता है। राजा ने बहन को जेल से बाहर बुलाया, और उसे दवा के लिए अतिरिक्त पैसे दिए, ताकि वह अपनी मां की देखभाल कर सके। By Lotpot 05 Aug 2024 in Stories Moral Stories New Update मासूम चोर Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 हिंदी नैतिक कहानी: मासूम चोर:- सुंदरगढ़ का राजा विक्रम सिंह बहुत ही परोपकारी और न्यायप्रिय था। वह चाहता था कि उसकी प्रजा ईमानदार बने। एक दिन उसने अपने राज्य में घोषणा करवाई कि जो कोई व्यक्ति किसी चोर को पकड़कर राजा के हवाले करेगा, उसे ढेर सारा ईनाम दिया जाएगा। मासूम भाई-बहन की कठिनाई और समाधान उसी शहर में एक स्त्री अपने दो बच्चों के साथ रहती थी। दोनों भाई-बहन अपनी मां को बहुत प्यार करते थे। एक दिन स्त्री बीमार हो गई। घर में दवा के लिए पैसे नहीं थे। दोनों बच्चों के पास रोने के अलावा कोई उपाय नहीं था। दिन भर ऐसे ही गुजरा। अचानक लड़की को ध्यान आया। ध्यान आते ही उसने अपने भाई से कहा- "राजा ने चोर पकड़वाने की घोषणा कर रखी है"। "किंतु हम क्या कर सकते हैं?" भाई उदास स्वर में बोला। भाई द्वारा बहन को चोर बताने की योजना "भैया एक तरकीब से हम मां की जान बचा सकते हैं। तुम मेरे दोनों हाथ बांधकर धकेलते हुए राजा के पास ले चलो और कहो कि यह लड़की चोर है। राजा तुम्हें ईनाम देंगे जिससे तुम मां के लिए दवा खरीद लाना"। भाई को भी यह सुझाव पसंद आया, पर वह स्वयं चोर बनना चाहता था। बहन ने उसे समझाया कि मां की सेवा वह ज्यादा अच्छी तरह से कर सकेगा। किसी तरह वह तैयार हो गया। वह अपनी प्यारी बहन के हाथ बांधकर राजा के पास ले गया और बोला, "महाराज! यह लड़की हमारे यहां चोरी करने आई थी। मैं इसे पकड़ लाया हूं"। राजा बोला, "तुमने बहुत अच्छा किया"। फिर उसने लड़की को जेल में बंद करने और लड़के को इनाम देने का हुक्म दिया। जब लड़के को इनाम दिया जा रहा था तो उसकी आंखो से आंसू टपक पड़े। राजा को संदेह हुआ। उसने एक सिपाही को चुपचाप लड़के के पीछे पीछे जाने को कहा। राजा का संदेह और सिपाही द्वारा सच्चाई की खोज लड़का मां के लिए दवा लेकर घर लौटा। देखते ही मां ने पूछा, "तेरी बहन कहां है? लड़का अपने आप को रोक न सका और फूट-फूट कर रोने लगा। राजा का भेजा सिपाही छिपकर यह सब देख रहा था। उसने बुरंत लौट कर राजा को सारी बात बता दी। राजा की आंखे करूणा से भर आई। जेल से लड़की को बुलाया गया और उसे कुछ और रूपये देकर कहा, "बेटी, मुझे सब पता चल गया है। तुम जल्दी घर जाओ और अपनी मां की सेवा में हाथ बटाओ। कहानी से सीख: सच्ची न्यायप्रियता और करुणा केवल बाहरी प्रमाणों पर निर्भर नहीं करती, बल्कि वास्तविकता और सच्चाई को समझने पर आधारित होती है। जब हम दूसरों की मदद और सच्चाई को समझते हैं, तो वास्तविक न्याय और करुणा की सच्ची तस्वीर सामने आती है। यह भी पढ़ें:- हिंदी नैतिक कहानी: योग्य राजा का चुनाव हिंदी नैतिक कहानी: आपस की फूट हिंदी नैतिक कहानी: मेहनत का फल Moral Story: इनाम का हकदार #भाई बहन की कहानी #मासूम चोर की कहानी #Hindi story of Brother and Sister #Hindi story of an Innocent Thief #kids hindi moral story #हिंदी नैतिक कहानी You May Also like Read the Next Article