Jungle Story: जैसी करनी वैसी भरनी

मनोहारी वन में एक बड़ा तालाब था। उस तालाब के किनारे एक दुर्बुद्धी नामक बगुला रहता था। वह बूढ़ा था इसलिये असमर्थ था। बूढ़ा होने पर अधिक मछलियाँ नहीं पकड़ सकता था।

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Crab, Fish and Crane in pond cartoon image

जैसी करनी वैसी भरनी

Jungle Story जैसी करनी वैसी भरनी:- मनोहारी वन में एक बड़ा तालाब था। उस तालाब के किनारे एक दुर्बुद्धी नामक बगुला रहता था। वह बूढ़ा था इसलिये असमर्थ था। बूढ़ा होने पर अधिक मछलियाँ नहीं पकड़ सकता था। आसानी से पेट भरने के लिए उसने एक ढोंग रचा। तालाब के किनारे उदास सा होकर खड़ा हो गया तो मछली उसके पास पहुँची, उसको भी उसने नहीं पकड़ा। यह देखकर उस तालाब के सुबुद्धी नामक केंकडे़ ने कुछ पास आकर पूछा, चाचाजी, आज क्या बात है कि तुम और दिन की तरह प्रसन्न नहीं दिख रहे हो मैं देखता हूँ आज तो तुम अपने प्रिय आहार की ओर से भी विरक्त हो, बात क्या है? (Jungle Stories | Stories)

लंबी सांस लेकर बगुला बोला, अरे सुबुद्धी। क्या कहूं? मैं बड़ा सोच में पड़ा हूँ इन मछलियों के भरोसे तो मैं यहाँ सुख चैन से बेफिक्र होकर रह रहा था। मुझे अपने भोजन की चिंता नहीं थी, परंतु देखता हूं चैन की बंसी अब अधिक दिन नहीं बजेगी। अब तो इस तालाब के सभी प्राणियों पर मुसीबत आ रही है।

उत्सुकता से सुबुद्धी केंकडे़ ने कुछ और आगे बढ़कर आग्रहपूर्वक पूछा। (Jungle Stories | Stories)

क्यों, क्या बात है चाचा?

दुर्बुद्धी बगुला बोला-अरे भाई, क्या बताऊं, बड़ी बुरी खबर है...

दुर्बुद्धी बगुला बोला-अरे भाई, क्या बताऊं, बड़ी बुरी खबर है। आज सुबह कई मछुआरे अपने जाल लेकर इधर से जा रहे थे। वे आपस में चर्चा कर रहे थे कि यह तालाब तो मछलियों से भरा हुआ है। अब जैसे ही हमारे पहले तालाब की मछलियाँ खत्म हो जाएंगी, हम जल्दी ही इस तालाब में जाल डाल कर मछलियाँ पकड़नी शुरू करेंगे। मैं तो इन मछलियों की विपत्ति को अपनी ही विपत्ति समझता हूँ। क्योंकि इनके चले जाने पर मैं भी भूखा मर जाऊँगा। (Jungle Stories | Stories)

जल्दी ही सब मछलियों को सुबुद्धी केंकडे़ से इस आने वाली विपत्ति का पता चल गया। वे घबरा कर बगुले के पास आईं और अनुनय विनय करके बोलीं। हे चाचा! हे चाचा!  तुम ही इस दुख से हमें बचाओ! तुम बुद्धिमान हो विचारशील हो, बचने की कोई तरकीब ढूंढ निकालो। हम तो अब तुम्हारी ही शरण में हैं हमें बचाओ। (Jungle Stories | Stories)

तब दुर्बुद्धी बगुला सोचकर बोला। जरा तुम सब भी सोचो कि मैं भी तो एक पक्षी मात्र हूँ। बुद्धिमान और शक्की वाले मनुष्य से लोहा लेने की कैसे हिम्मत कर सकता हूँ? हाँ, तुम्हारी इतनी सहायता कर सकता हूँ कि तुम्हें इस तालाब से ले जाकर दूसरे बड़े तालाब में छोड़ दूँ। 

भोली मछलियाँ बातों में आ गईं और सभी विनम्रता से बोलीं-कृपया मुझे पहले ले चलो, कृपया मुझे पहले ले चलो।
यह सुन कर वह धोखेबाज बगुला मन ही मन बड़ा प्रसन्न हुआ और मन में सोचने लगा-अहा! अब तो सब भोली मछलियाँ मेरे जाल में फंस गई हैं। मैं इन्हें चैन से खाऊँगा। बस, वह प्रतिदिन कुछ मछलियों को ले जाकर एक चट्टान पर उन्हें मजे से खा-पीकर फिर तालाब पर लौट आता और इस प्रकार अपनी करनी का बखान करता मानों इतने चक्कर लगा कर वह एकदम से थक गया है। (Jungle Stories | Stories)

पर खैर वे मछलियाँ जिन्हें वह गहरे तालाब में छोड़ आया है अब कितनी खुश हैं यही क्या कम संतोष की बात है, इस प्रकार की बातें सुनसुन कर दूसरे दिन अधिक से अधिक मछलियाँ उसको घेर लेतीं और कहतीं, चाचा! हमें भी जल्दी छोड़ आओ, उस गहरे और सुंदर तालाब में।

बस, दुर्बुद्धी बगुला उस झुंड़ में से मनचाही मछलियाँ पसंद करके फिर उन्हें चट्टान पर खाने को ले जाता। (Jungle Stories | Stories)

इस प्रकार कई दिन बीत गए किसी को भी बगुले पर संदेह नहीं हुआ। इतनी मछलियों को जाते देखकर एक दिन सुबुद्धी केकड़े ने भी सोचा कि यहाँ रहने में खतरा है इसलिये दूसरे तालाब में चलना ही ठीक है। यह विचार कर उसने बगुले से ले चलने की प्रार्थना की दुर्बुद्धी बगुले ने सोचा, रोज़ रोज़ मछलियाँ खाते खाते मैं भी ऊब गया हूँ, आज इस केकड़े का स्वाद तो चखूँ। दिखता तो अच्छा है। (Jungle Stories | Stories)

Crab, Fish and Crane in Pond cartoon image

बस बगुला राजी हो गया। पहाड़ियों और सूखे खेतों पर से उड़ते हुए बगुले से केंकडे़ ने मार्ग में पूछा। चाचा, यहां तो दूर दूर तक कहीं पानी नजर नहीं आता, वह जल से भरा हुआ बड़ा तालाब किधर है?

यह सुन दुर्बुद्धी बगुला हंस कर बोला, अभी वह तालाब दिखाता हूँ... देख वह सामने जो चट्टान चमक रही है न, वहाँ पर तुझे जरूर छुटकारा मिल जाएगा। (Jungle Stories | Stories)

सामने चट्टान पर खाई हुई मछलियों की हड्ड़ियों का ढेर देखकर सुबुद्धी केकड़े को स्थिति समझने में देर नहीं लगी पर उसने हिम्मत नहीं हारी। उसने सोचा आज इस विश्वासघाती को मजा चखा कर ही रहूंगा। ज्योंही बगुला चट्टान पर केकड़े को लेकर उतरने लगा, केकड़े ने अपने चारों पंजों में उसकी पतली गरदन कस कर जकड़ ली और काट डाली। इसी तरह सुबुद्धी केकड़े ने विश्वासघाती दुर्बुद्धी बगुले को मार कर अन्य मछलियों की जान बचाई। (Jungle Stories | Stories)

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