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कछुए भाई चले सैर पर
Jungle Story कछुए भाई चले सैर पर:- कछुआ सोच रहा था जाड़ा बीतने को है, कुछ दिनों मे पानी की कमी हो जायेगी। बहुत दिन हुए कहीं सैर सपाटा भी नसीब नहीं हुआ। चलों कहीं यात्रा पर निकल जाएँ। तुरंत उसने, उत्तर की ओर पर्वतों की तलहटी में, लाल पोखरों में, भाई बंधुओं से मिलजुल कर आने का कार्यक्रम बना डाला, यूं मिलते रहने से ही अच्छे आपसी संबंध बने रहते हैं। (Jungle Stories | Stories)
बीवी को अपना विचार बताया। बीवी बच्चे बड़े खुश हुए कम से कम कछुए की इस यात्रा से उन्हें दूर दूर के स्थानों के वर्णन देखने को मिलेंगे वहां की नई नई चीजें घर में आएँगी।
दिन का काम निपटा कर कछुई घर के बाहर, चबूतरे पर बैठ गई पास पड़ोस में बात बता दी कछुए जी उत्तर की तरफ यात्रा पर जा रहे हैं।
पडोसियों ने पूरी बात पूछ ली- ‘कहां और किन किन रास्तों से जायेंगे?’ (Jungle Stories | Stories)
बात कछुई की जुबान से निकली और बस्ती की हो गई। सारे जान गये- कछुए भाई यात्रा पर जा रहे हैं।
बस फिर क्या था शाम के वक्त गौरैया आई बोली क्या हो रहा है, काकी? एक काम से आई थी...
बस फिर क्या था शाम के वक्त गौरैया आई बोली क्या हो रहा है, काकी? एक काम से आई थी मैं, कछुई ने पूछा कहो कैसा काम गौरैया बोली सुना है काका यात्रा पर जा रहे है गंगा नदी के पार नीम सरोवर भी जायेंगे ना? उधर फलों के बागानों में हमारे रिश्तेदार रहते हैं सगी मौसी भी रहती हैं उन्हें थोडा सा महुआ भेजना था। छोटी सी पोटली है बस उन्हें बिल्कुल तकलीफ नही होगी और फिर उन्हे तो सुविधा भी है। (Jungle Stories | Stories)
कैसी सुविधा? कछुई आश्चर्य से सुन रही थी।
यही कि वे पानी में और जमीन पर आराम से चल सकते हैं हमारी तरह थोड़े ही हैं कि दो ही पंख और उन्हें भी उड़ने के लिये फैलाना पड़े लो रखो यह पोटली मैं चलती हूं बहुत काम पड़े हैं। (Jungle Stories | Stories)
गौरैया ने मुँह फेरा ही था कि भोलू खरगोश आ धमका कछुई भाभी एक छोटा सा काम था दरअसल मुझे दोपहर बच्चों ने बताया कछुए भाई जा रहे हैं उन्हीं को एक तकलीफ देने आया था।
कछुई ने हैरान होकर पुछा कैसी तकलीफ? (Jungle Stories | Stories)
भोलू बोला उनको थोड़ी परेशानी ज़रूर होगी लेकिन पड़ोसियों के लिए इतना तो करना ही पड़ता है पहाड़ों की तरफ तो उनका जाना होगा ही मुझे कुछ सूखे मेवे मंगवाने हैं तुम अपने बच्चों के लिए भी मंगवा लो अखरोट, खुमानी, आडू। इधर ये सब कुछ कहाँ, बच्चों के लिये तो ये सब कहानियों की बाते हैं।
कछुए भाई जरूर लेते आयेंगे, चौड़ी पीठ और धीमी चाल उन्हें तकलीफ भी कम ही होगी। (Jungle Stories | Stories)
कछुई सोच में डूब गई तभी गिलहरी दौड़ी आई और बोली कछुई दीदी, दीदी के लिए कुछ कपड़े भिजवाने हैं, जबसे उस तरफ चली गई फिर मुलाकात ही नहीं हुई सुना है उसके दो नन्हे बच्चे हैं और तूम तो जानती हो पहाड़ों पर ठंड काफी पड़ती है।
लेकिन............ कछुई ने कहना चाहा।
देखो दीदी ना न करना बड़ी मुश्किल से सैम्पल इकट्टा करके बया से गर्म कोट बुनवाया है। ये पैकेट रखा है, बड़ा जरूरी है, बिल्कुल हल्का, मैं जरा जल्दी में हूँ। यह कह कर गिलहरी लौट गई।
कछुई परेशान हो गई पड़ोसियों और रिश्तेदारों का तांता लग गया। किसी का कुछ तो किसी का कुछ पर साथ जाने वाले सामानों का ढे़र लग गया। (Jungle Stories | Stories)
चिड़िया, नेवला, खरगोश, चूहा, मछली सभी ने अपना-अपना सामान लाकर रख दिया। पैकेट चिट्ठियां और संदेशे से कछुई बौखला गई।
कछुआ घर लौटा तो सारी बात बताई उसने अपना माथा पीट लिया दोनो को लोगों पर बड़ा गुस्सा आया कछुई अपनी बेवकूफी पर अफसोस करती रही।
अब लोगों के इतने काम न किये जा सकते थे, ना इंकार करते बनती, दोनों रात तक सोचते रहे सुबह होते होते कछुई ने एक अक्लमंदी का सुझाव दिया फिलहाल यात्रा स्थगित कर दी जाए। सबका सामान वापस कर दिया गया। (Jungle Stories | Stories)
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