Jungle Story: मनुष्य का शिकार

एक था सियार। बेहद कामचोर और आलसी। दिन भर अपनी मांद में पड़ा रहता था। उसकी पत्नी भी उससे परेशान थी। बच्चों के लिए खाना उसे ही लाना पड़ता था। लेकिन ऐसे कितने दिनों तक चलता।

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मनुष्य का शिकार

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Jungle Story मनुष्य का शिकार:- एक था सियार। बेहद कामचोर और आलसी। दिन भर अपनी मांद में पड़ा रहता था। उसकी पत्नी भी उससे परेशान थी। बच्चों के लिए खाना उसे ही लाना पड़ता था। लेकिन ऐसे कितने दिनों तक चलता। (Jungle Stories | Stories)

"बस बहुत हो चुका। या तो आप शिकार करने जाइए या मैं ही अपने मायके चली जाती हूं"। एक दिन उसकी पत्नी उस पर झल्लाई। बेचारा सियार ठंडी जमीन पर लेटे एक बहुत ही अच्छा सपना देख रहा था। सियारनी के इस फटकार से सपने का कबाड़ा हो गया।

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"ठीक है, जाता हूं"। वह अलसा कर उठा और शिकार लाने के लिए तैयार हो गया। "लेकिन मनुष्यों की बस्ती कि ओर न जाना। वे तुम्हें देखेंगे तो खदेड़ेंगे"। पीछे से सियारनी उसे समझाई।

यह सुनते ही सियार की आँखें चमक उठीं। वह बोला, "रोजाना ताने देती हो। अब आज तो मैं किसी मनुष्य का ही शिकार करूंगा"। और वह बस्ती की ओर चल पड़ा।

उसकी बस्ती में घुसने की हिम्मत नहीं हो रही थी। बार बार यह ख्याल आ रहा था कि कहीं वह पकड़ा गया तो क्या होगा? इसलिए वह बड़ी सावधानी से बस्ती में दाखिल हुआ। जब उसे महसूस होता कि खतरा टल गया है तभी वह बाहर निकलता था। (Jungle Stories | Stories)

जब वह एक घर के करीब से गुजर रहा था तो भीतर से किसी बच्चे की रोने की आवाज़ आ रही थी। वह वहीं छिप कर सुनने लगा कि घर में कोई है या नहीं।

कमरे में मां अपने बच्चे को चुप कराते हुए बोल रही थी "चुप हो जा नही तो मैं तुझे सियार की मांद में रख आऊंगी"। लेकिन बच्चा था कि...

कमरे में मां अपने बच्चे को चुप कराते हुए बोल रही थी "चुप हो जा नही तो मैं तुझे सियार की मांद में रख आऊंगी"। लेकिन बच्चा था कि चुप होने का नाम ही नहीं ले रहा था। सियार यह सुन कर खूब खुश हुआ। "वाह, शिकार तो खुद ही मेरे पास आने वाला है फिर मैं भला यहां क्यों खड़ा रहूं। जाऊं मांद में जाकर आराम करता हूं"। यह सोच कर वह अपनी मांद मे लौट आया।

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"अरे इतनी जल्दी ही लौट आए? शिकार कहां है?" उसे देख कर, हैरानी के साथ सियारनी ने पूछा। (Jungle Stories | Stories)

"शिकार पीछे आ रहा है। आज मैंने एक मनुष्य का शिकार किया है"। सियार ने अपनी शेखी बघारते हुए कहा। सियारनी को बात समझ में नहीं आई। वह उस से कुछ और पूछना चाहती थी। लेकिन सियार आराम से लेट गया और मां बच्चे की प्रतिक्षा करने लगा। जब काफी देर हो गई तो सियारनी हाथ नचाती हुई पूछी "कहां है आपका शिकार?" सियार भला क्या जवाब देता? अपनी झेंप मिटाने के लिए वह मांद से बाहर निकला और एक बार फिर मनुष्यों की बस्ती की ओर चल पड़ा।

वह उसी घर के पास छिप कर भीतर की बातें सुनने लगा। अंदर से वही औरत अपने पति से कह रही थी, आज कल यहां सियार बहुत आते हैं कहीं अपने बच्चे को न उठा ले जाएं। आप जरा बाहर देख आईए कि कोई सियार तो यहां नहीं आ धमका है"।

"मैं अभी देखकर आता हूं"। आदमी ने बोल कर दरवाजा खोला। सियार की तो हालत खराब हो गई। वह जल्दी से झाड़ियों में छिप गया। अगर थोड़ी देर और हो जाती तो वह जरूर पकड़ा जाता।

आदमी ने बाहर आकर देखा। वहां कोई सियार नहीं था। आश्वस्त होकर वह घर के भीतर चला गया। उसके अंदर जाते ही सियार झाड़ियों से निकला और फौरन वहां से भागा। उसे डर था कि कहीं वह पकड़ा गया तो मनुष्य उसे जिन्दा नही छोड़ेंगे। (Jungle Stories | Stories)

अपनी मांद में पहुंच कर वह सियारनी से बोला, "ये मनुष्य भी बड़े विचित्र होते हैं। कहते कुछ और हैं, करते कुछ और हैं"।

"क्या मतलब?'' सियारनी ने पूछा तो सियार ने उसे पूरी घटना सुना दी।

यह सुनते ही सियारनी पेट पकड़ कर हंसने लगी। बोली, "आप केवल आलसी ही नहीं, बेवकूफ भी हैं, जो मनुष्यों की बातों में आ गए। अच्छा हुआ जो उनकी नजरें आप पर नहीं पड़ी। वरना वे आपको नहीं छोड़ते। सियार को भी अपनी बेवकूफी पर हंसी आई। वह फिर कभी भी उस बस्ती की ओर नहीं गया। (Jungle Stories | Stories)

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