Jungle Story: नहले पे दहला भोला भालू ने जंगल में मिठाई की दुकान खोल रखी थी। उसकी मिठाईयां स्वादिष्ट भी होती थीं और बिकती भी खूब थीं। भोला भालू बहुत भोला था। अपने परिवार में तो क्या, आस-पड़ोस में भी यदि कोई जानवर बीमार पड़ जाता तो वह सेवा में लगा रहता। By Lotpot 15 Dec 2023 in Stories Jungle Stories New Update नहले पे दहला Jungle Story नहले पे दहला:- भोला भालू ने जंगल में मिठाई की दुकान खोल रखी थी। उसकी मिठाईयां स्वादिष्ट भी होती थीं और बिकती भी खूब थीं। भोला भालू वास्तव में ही बहुत भोला था। अपने परिवार में तो क्या, आस-पड़ोस में भी यदि कोई जानवर बीमार पड़ जाता तो वह रात दिन उसकी सेवा में लगा रहता। किसी के भी दुःख में उसका मन दुःखी हो उठता। (Jungle Stories | Stories) कई जानवर तो भोला भालू की इस प्रवृत्ति का लाभ उठाकर उसे मूर्ख बनाने के चक्कर में रहते थे। असल में वह भोला अवश्य था परन्तु मूर्ख नहीं था। एक बार हरिया हिरण के घर कुछ मेहमान आने वाले थे। उसने सोचा क्यों, न भोला भालू की दुकान से कुछ बढ़िया-सी मिठाई लाकर रख ली जाये। सो वह उधर ही चल पड़ा। ‘भोला भैया, कल हमारे यहां बहुत से मेहमान आने वाले हैं। एक टोकरी में अच्छी-अच्छी मिठाईयां तो लगा दो।’ (Jungle Stories | Stories) ‘हरिया भाई, तुम तो जानते ही हो कि मेरे पास सभी मिठाईयां शुद्ध और बढ़िया होती हैं। हां, पसन्द अपनी-अपनी होती है किसी को रसगुल्ले अच्छे लगते हैं तो कोई बर्फी को देखकर मचल उठता है। अब जो तुम कहो।’ तौल देता हूँ। इस पर हरिया हिरण ने भी उसी अंदाज में मुस्कराते हुए कहा, ‘जब तुम्हारी सभी मिठाई बढ़िया हैं तो फिर अपनी पसन्द के अनुसार ही दे दो।’ (Jungle Stories | Stories) ‘यह बात है तो मैं भी तुम्हें ऐसी स्वादिष्ट मिठाईयां दूंगा कि तुम्हारे मेहमान भी याद रखेंगे।’ इस तरह वे दोनों बातें करते रहे और साथ ही भोला भालू मिठाईयां तौल-तौलकर टोकरी में जमाता रहा। (Jungle Stories | Stories) ‘लो हरिया तुम्हारी मिठाईयों की टोकरी तैयार हो गई।’ ‘कितने रुपये बने।’ ‘केवल अस्सी रुपये।’ भोला के मुंह से अस्सी रुपये सुनकर हरिया कुछ उदास-सा हो गया। (Jungle Stories | Stories) ‘क्या बात है भैया, परेशान क्यों हो गये? मिठाई के भाव मैंने अधिक नहीं लगाये हैं।’ ‘नहीं...नहीं.. ऐसी बात नहीं है। असल में अभी मेरे पास केवल पचास रुपये ही हैं। तुम ऐसा करो ये रुपये रख लो। मैं शाम को आकर तुम्हारे बाकी के तीस रुपये देकर यह टोकरी ले जाऊंगा।’ (Jungle Stories | Stories) इस पर भोला भालू बड़ी आत्मीयता से बोला, ‘कमाल करते हो हरिया। तुम मिठाई ले जाओ... इस पर भोला भालू बड़ी आत्मीयता से बोला, ‘कमाल करते हो हरिया। तुम मिठाई ले जाओ। रुपयों की चिंता मत करो, बाद में दे जाना।’ ‘नहीं...नहीं... मैं उधार तो नहीं रखूंगा। मिठाई तो पूरे रुपये चुकाने के बाद ही लेकर जाऊंगा।’ कहने के साथ ही हरिया हिरण ने अपने पास वाले पचास रुपये भोला को दिये और चला गया। उधर लीचड़ नाम का लोमड़ छिपा हुआ यह सब देख सुन रहा था। वह सदा इस चक्कर में रहता था कि किस प्रकार दूसरे जानवरों को मूर्ख बनाकर अपना उल्लू सीधा करे। इस समय भी वह ऐसी ही युक्ति के जुगाड़ में लगा हुआ था। कुछ देर की माथा पच्ची के बाद आखिर एक तरकीब उसके दिमाग में घुस ही गई। उस समय तो वह मन ही मन खुश होता हुआ वहां से चला गया। (Jungle Stories | Stories) शाम को सूरज छिपने लगा था। कुछ अन्धेरा सा भी हो गया था। लीचड़ लोमड़ ने अच्छे अच्छे कपड़े पहने और भोला भालू की दूकान पर जा पहुँचा। ‘कहो भोला भाई क्या हालचाल हैं?’ (Jungle Stories | Stories) ‘मेरे हाल तो ठीक हैं। तुम सुनाओ आज यहां कैसे आना हुआ?’ इस पर लीचड़ लोमड़ तपाक से बोला, ‘क्या बताऊं भैया, अपने से तो किसी की तकलीफ नहीं देखी जाती। कल सुबह हरिया हिरण के यहां मेहमान आने वाले जो हैं, इसलिए तो वह तुम्हारी दुकान पर मिठाई की टोकरी रखवा गया था। पैसे पूरे नहीं थे तो टोकरी लेकर भी नहीं गया। कितना ईमानदार और भोला है वह। मुझसे बोला तुम बाकी के तीस रुपये अपने पास से देकर मिठाई की टोकरी ले आओ। मैं तुम्हें पैसे बाद में लौटा दूंगा। सो यह लो तुम्हारे बाकी के तीस रुपये और टोकरी मुझे दे दो।’ (Jungle Stories | Stories) लीचड़ लोमड़ की बात सुनकर भोला भालू जाने कौन से विचारों में खो गया था। लीचड़ के दुबारा टोकने पर ही उसका ध्यान भंग हुआ। ‘क्यों क्या बात है? कौन से विचारों में गोते खा रहे हो भैय्या?’ ‘नहीं कुछ नहीं, असल में बात यह है कि वह टोकरी तो मैंने किसी और को दे दी। तुम जरा ठहरो, मैं अभी दूसरी टोकरी अन्दर से लगाकर लाता हूँ। इतना कहकर भोला भालू अपनी दुकान के अन्दर गया और कुछ ही देर में मिठाई से भरी टोकरी सामने लाकर रख दी। (Jungle Stories | Stories) ‘लो भैय्या अपने बाकी के तीस रुपये।’ लीचड़ लोमड़ ने तीस रुपये भोला भालू को दिए और मिठाई की टोकरी सिर पर रखकर चल पड़ा। लीचड़ घर पहुँचा तो पूरी तरह रात हो चुकी थी। रास्ते भर मिठाई की खुशबू से उसके नाक और दिमाग में तरावट आ गई थी। (Jungle Stories | Stories) ‘आज तो मज़ा आ गया। तीस रुपये में अस्सी रुपये की मिठाई ले आया। खूब मूर्ख बनाया भोला भालू को।’ इसी तरह सोचते हुए लीचड़ लोमड़ ने टोकरी सिर से उतारी और मिठाई खाने लगा। टोकरी में सबसे ऊपर गुलाब जामुन लगे हुए थे। इन्हें तो बाद में खाऊंगा। पहले देख तो लूं नीचे और क्या-क्या माल है।’ (Jungle Stories | Stories) यह सोचकर लीचड़ लोमड़ गुलाब जामुन निकालकर एक बड़े बर्तन में रखने लगा। गुलाब जामुन की परत उठाते ही वह आश्चर्य में पड़ गया। उनके नीचे टोकरी में एक बड़ा-सा कागज बिछा हुआ था। उसे उठाकर पढ़ा तो उस पर लिखा था- ‘बस तीस रुपये में तो केवल इतनी सी मिठाई आयेगी।’ कागज़ के नीचे कुछ पत्थर के टुकड़े और घास फूँस ही भरा हुआ था। टोकरी में सबसे नीचे एक और कागज मिला जिस पर लिखा था, ‘कहो कैसी रही लीचड़ जी?’ (Jungle Stories | Stories) अब तो लीचड़ लोमड़ को सारी बात समझ में आ गई। अवश्य ही हरिया हिरण मुझसे पहले ही बाकी के पैसे देकर मिठाई की टोकरी ले गया होगा। उस दिन तो वास्तव में लीचड़ के साथ नहले पर दहले वाली बात हो गई थी। (Jungle Stories | Stories) lotpot-e-comics | hindi-bal-kahania | bal kahani | hindi-bal-kahani | hindi-jungle-stories | kids-jungle-stories | hindi-kids-stories | लोटपोट | lottpott-i-konmiks | hindii-baal-khaanii | chottii-hindii-khaanii | baal-khaanii | jngl-khaaniyaan यह भी पढ़ें:- Jungle Story: पेड़ की चाहत Jungle Story: कर्तव्य परायणता Jungle Story: दूसरे का हक Jungle Story: सच्चे मित्र #जंगल कहानियां #बाल कहानी #लोटपोट #Lotpot #Bal kahani #Hindi Kids Stories #Hindi Bal Kahani #Hindi Jungle Stories #Hindi Bal kahania #Kids Stories #लोटपोट इ-कॉमिक्स #lotpot E-Comics #kids Jungle Stories #हिंदी बाल कहानी #छोटी हिंदी कहानी You May Also like Read the Next Article