बिना सोचे-समझे का पछतावा – एक अनमोल सीख

गर्मियों की दोपहर थी। एक हरा-भरा गांव, जहां खुली हवा, हरे-भरे खेत और तालाब के किनारे खेलते बच्चे खुशियों से भरे रहते थे। उसी गांव में मधु नाम का एक चंचल और नटखट लड़का रहता था।

By Lotpot
New Update
Regret of without thinking-a precious learning
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

बिना सोचे-समझे का पछतावा – एक अनमोल सीख :-गर्मियों की दोपहर थी। एक हरा-भरा गांव, जहां खुली हवा, हरे-भरे खेत और तालाब के किनारे खेलते बच्चे खुशियों से भरे रहते थे। उसी गांव में मधु नाम का एक चंचल और नटखट लड़का रहता था। मधु में एक बहुत बुरी आदत थी – वह कोई भी काम बिना सोचे-समझे, जल्दबाजी में कर देता था

मधु की जल्दबाजी और गलतियां

मधु की इस आदत से उसके माता-पिता और गांव के बड़े बहुत परेशान रहते थे। उसकी मां उसे हमेशा समझाती,
"बेटा, बिना सोचे-समझे कोई भी काम मत किया करो। हर फैसले को समझदारी से लो, वरना पछताना पड़ेगा।"

लेकिन मधु को ये बातें समझ नहीं आती थीं। वह अपनी जल्दबाजी के कारण कई बार मुसीबत में पड़ चुका था, लेकिन फिर भी उसने सीख नहीं ली।

जल्दबाजी की वजह से नुकसान

एक दिन गांव में मेला (Fair) लगा। मधु बहुत उत्साहित हुआ और उसने अपनी मां से मेले में जाने के लिए पैसे मांगे। उसकी मां ने उसे 50 रुपये दिए और कहा,
"बेटा, सोच-समझकर पैसे खर्च करना। ऐसा न हो कि किसी चीज को खरीदकर बाद में पछताओ।"

मधु मेले में अपने दोस्तों के साथ गया। वहां एक दुकानदार गुब्बारे और खिलौने बेच रहा था। मधु को एक बड़ा और चमकदार गुब्बारा दिखा। बिना सोचे-समझे उसने तुरंत अपने सारे पैसे देकर वह गुब्बारा खरीद लिया

जैसे ही वह गुब्बारे को लेकर दोस्तों को दिखाने के लिए दौड़ा, अचानक गुब्बारा कांटे से टकरा गया और फट गया!

मधु की आंखों में आंसू आ गए। अब उसके पास न पैसे बचे थे, न ही कोई और चीज खरीदने का मौका था

गांव के बुजुर्ग की सीख

मधु बहुत उदास था। तभी गांव के बुजुर्ग रामलाल चाचा ने उसे रोते हुए देखा और पूछा,
"क्या हुआ बेटा, इतना उदास क्यों हो?"

मधु ने पूरी बात बताई, तो रामलाल चाचा मुस्कुराए और बोले,
"बेटा, यह सब तुम्हारी जल्दबाजी का नतीजा है। अगर तुमने थोड़ा सोचा होता, तो तुम अपनी पैसों की कीमत समझते और किसी ऐसी चीज पर खर्च करते, जो तुम्हारे काम आती।"

रामलाल चाचा ने एक उदाहरण देते हुए कहा,
"देखो, अगर कोई किसान बिना सोचे-समझे बीज बो दे और यह न देखे कि मिट्टी उपजाऊ है या नहीं, तो क्या उसे अच्छी फसल मिलेगी? नहीं! इसी तरह, हमें भी हर फैसले को सोच-समझकर लेना चाहिए।"

मधु को अब अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने सोचा,
"अगर मैंने थोड़ी समझदारी दिखाई होती और पहले मेले की सारी चीजें देख लेता, तो मैं ऐसा गुब्बारा कभी नहीं खरीदता।"

मधु का बदलाव

उस दिन के बाद मधु ने कभी भी कोई काम जल्दबाजी में नहीं किया। अब वह हर निर्णय को सोच-समझकर लेने लगा और जब भी कोई बड़ा फैसला लेना होता, तो पहले अपने माता-पिता या गांव के बुजुर्गों से सलाह जरूर लेता।


कहानी से सीख (Moral of the Story)

जल्दबाजी में लिए गए फैसले अक्सर नुकसान पहुंचाते हैं।
हर निर्णय सोच-समझकर लेना जरूरी होता है।
जोश से नहीं, होश से काम करना चाहिए।
पैसों और समय की कीमत समझनी चाहिए।

👉 अगर आपको यह कहानी पसंद आई, तो इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर शेयर करें! 😊

और पढ़ें :-

साहसिक राजा और पहेली का उत्तर

जातक कहानी - लालची आदमी

Moral Story : कर्म का फल

Moral Story - मेहनत से मिली जीत