Moral Story: एक गोल

दामोदर जैसे ही हाकी लेकर मैदान में घुसा, असलम तेजी से उसके पास आकर बोला “खिलाड़ी तो पूरे हैं, तुम बाहर बैठो।” दामोदर चुपचाप मैदान के बाहर आ गया। उसकी बड़ी इच्छा थी कि कालेज टीम के चयन के लिए हो रहे हॉकी मैचों में वह भी खेले।

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एक गोल

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Moral Story एक गोल:- दामोदर जैसे ही हाकी लेकर मैदान में घुसा, असलम तेजी से उसके पास आकर बोला “खिलाड़ी तो पूरे हैं, तुम बाहर बैठो।” दामोदर चुपचाप मैदान के बाहर आ गया। उसकी बड़ी इच्छा थी कि कालेज टीम के चयन के लिए हो रहे हॉकी मैचों में वह भी खेले, लेकिन उसे अवसर नही मिल रहा था। दामोदर ने देखा, खेल अध्यापक पेड़ के पास खड़े थे। खेल चल रहा था। दामोदर खेल अध्यापक के पास जाकर धीरे से बोला ''सर, मै भी खेलना चाहता हूं।" (Moral Stories | Stories)

“तुम..दो महीने पहले मैंने तुम्हारा खेल देखा था। तुम्हें अभी और अभ्यास करना चाहिए।” खेल अध्यापक उपेक्षा से बोले बारह कक्षा के बीच मैच चल रहा था। इस मैच से कालेज टीम चुनी जानी थी। अगले महीने जिले के विद्यालयों के बीच हॉकी प्रतियोगिता होनी थी।

दामोदर को हॉकी खेलने का बहुत शौक है। पिछली बार कक्षा टीम का चयन हो रहा था तो उसने भी अपना नाम लिख दिया था। उस दिन वह ठीक से खेल नहीं पाया था और उसकी हॉकी से एक लड़के को चोट लग गई थी। तब से असलम उसे अपने साथ खेलने नहीं देता। उस समय तो असलम, मनजीत और सुधीर ने उसकी खूब हंसी उड़ाई थी। असलम तो उसे देखते ही कहता “हॉकी पकड़नी आती नहीं खेलने आ गये फिर किसी का पैर तोड़ने का इरादा नहीं है तो अभी कुछ दिन गुल्ली-डंडा खेलो।" (Moral Stories | Stories)

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दामोदर असलम और उसके दोस्तों की बात सुनकर मुस्कुरा देता, लेकिन खाली समय में वह खूब अभ्यास करता। उसके मुहल्ले के लड़के हॉकी खेलते तो...

दामोदर असलम और उसके दोस्तों की बात सुनकर मुस्कुरा देता, लेकिन खाली समय में वह खूब अभ्यास करता। उसके मुहल्ले के लड़के हॉकी खेलते तो वह उनके साथ खेलता। उसके लगातार अभ्यास का ही परिणाम था कि मोहल्ले के लड़के उसके खेल की प्रशंसा करने लगे थे। उसने कई बार चाहा कि उसे भी कक्षा टीम में खेलने का अवसर मिले, लेकिन असलम उसे खेलने नही देता था। (Moral Stories | Stories)

खेल तेजी से चल रहा था। असलम और मनजीत सभी खिलाड़ियों पर भारी पड़ रहे थे। कक्षा बारह पर एक गोल हो चुका था। कक्षा बारह के खिलाड़ी गोल उतारने का बहुत प्रयास कर रहे थे, लेकिन असलम और मनजीत के आगे उनकी एक भी नहीं चल पा रही थी। अचानक कक्षा बारह के खिलाड़ी कन्हैया के पैर में चोट लग गई और वह मैदान से बाहर चला गया।

तभी खेल अध्यापक ने दामोदर की ओर इशारा कर दिया कि वह कक्षा बारह की टीम की तरफ से खेले। दामोदर उत्साह से भर गया, वह दौड़ता हुआ मैदान में चला गया। (Moral Stories | Stories)

असलम, मनजीत उसे देखकर व्यंग्य से मुस्कुराये। खेल फिर शुरू हो गया। असलम गेंद लेकर आगे बढ़ा। दामोदर तेजी से गेंद छीनने के लिए आगे बढ़ा। उसे देखकर असलम गर्व से मुस्कराया। कालेज में सभी जानते हैं कि असमल से गेंद छीन लेना बहुत कठिन है। असलम ने गेंद सुरेश की ओर बढ़ाई, तभी दामोदर ने फुर्ती से हॉकी लगा कर गेंद को रोक लिया और तेज़ी से गेंद लेकर आगे बढ़ गया। मनजीत ने दामोदर से गेंद छीननी चाही तो दामोदर ने गेंद अपने साथी खिलाड़ी की ओर बढ़ा दी। दामोदर ने कई बार गेंद लेकर आक्रमण किया और एक पास मोहन को दिया, जिसे उसने गोल में डाल दिया।

दोनों ही टीमें एक-एक गोल से बराबर हो गई दोनों टीमों ने जबरदस्त खेल का प्रदर्शन किया। लेकिन कोई टीम गोल न कर सकी।

उस मैच से खेल अध्यापक ने कालेज टीम का चयन कर लिया। दामोदर को अतिरिक्त खिलाड़ी के रूप में टीम में शामिल किया गया। (Moral Stories | Stories)

“तुम लोग मेहनत से अभ्यास करते रहना, इस बार फाइनल में खेलना है'' खेल अध्यापक बोले।

"इस बार हम ट्राफी जीत कर रहेंगे" असमल बोला।

अच्छा, अब तुम लोग जाओ, खेल अध्यापक ने कहा।

सभी लड़के चले गये। दामोदर लगातार अभ्यास करता रहा। (Moral Stories | Stories)

जिले के विद्यालयों की हॉकी प्रतियोगिता शुरू हो चुकी थी। दामोदर के विद्यालय की टीम लगातार जीतती हुई फाइनल में पहुंच गई थी। इस प्रतियोगिता में अभी तक दामोदर को कोई मैच खेलने को नहीं मिला था। विरोधी टीम ने शुरू में ही एक गोल कर दिया था।

असलम और मनजीत ने कई बार गोल उतारने का प्रयास किया, लेकिन विरोधी टीम ने उनके सभी प्रयास असफल कर दिये। उनकी विरोधी टीम के आगे एक नहीं चल रही थी। (Moral Stories | Stories)

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अचानक खेल अध्यापक ने एक लड़के को मैदान से बाहर बुला लिया। और दामोदर को इशारा कर दिया। दामोदर ने हॉकी उठायी और मैदान में दौड़ गया। उसने एक बार जो विरोधी टीम के खिलाड़ी से गेंद छीनी तो विरोधी टीम के गोल के पास ही जा पहुंचा और गेंद मनजीत की ओर बढ़ा दी। खिलाड़ी मनजीत की ओर झपटे तभी मनजीत ने गेंद दामोदर की ओर बढ़ा दी और दामोदर ने हिट लगाकर गेंद गोन में डाल दी। गोल होते ही उसके साथी खिलाड़ियों ने दामोदर को गोद में उठा लिया। गोल एक-एक से बराबर होते ही असलम, मनजीत सभी उत्साह से भर गये। खेल समाप्त होने से दो मिनट पहले मनजीत ने विजयी गोल कर मैच जीत लिया।

सभी दामोदर की प्रशंसा कर रहे थे। दामोदर जानता था, अपने नियमित अभ्यास के कारण ही वह इतना अच्छा खेल सका। (Moral Stories | Stories)

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