Moral Story: राजा महेंद्र का अद्भुत न्याय

बहुत समय पहले की बात है। काशीपुर में महेंद्र नामक एक राजा रहते थे। राजा महेंद्र की न्याय प्रियता दूर-दूर तक फैली हुई थी दूसरे देश के लोग भी राजा महेंद्र के पास फैसला करवाने के लिए आते थे।

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राजा महेंद्र का अद्भुत न्याय

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Moral Story राजा महेंद्र का अद्भुत न्याय:- बहुत समय पहले की बात है। काशीपुर में महेंद्र नामक एक राजा रहते थे। राजा महेंद्र की न्याय प्रियता दूर-दूर तक फैली हुई थी दूसरे देश के लोग भी राजा महेंद्र के पास फैसला करवाने के लिए आते थे। एक बार की बात है। एक ही अपराध के लिए मंत्री तीन व्यक्तियों को महाराज के पास लाया। (Moral Stories | Stories)

“महाराज, तीनों ने मिल कर एक गरीब को मकान से बेदखल किया है।'' मंत्री ने महाराज से कहा।

महाराज ने तीनों को गौर से देखा। फिर उन्होंने सजा सुनाई। पहले व्यक्ति को उन्होंने पास बुला कर कहा- “आप को ऐसा नहीं करना चाहिए था। अब आप जा सकते हैं।” (Moral Stories | Stories)

महाराज ने फिर दूसरे व्यक्ति को बुलाकर उसे खूब डांटा। फिर उसे चले जाने को कहा। फिर महाराज ने मंत्री को बुलाकर कहा- ''इस तीसरे अपराधी का सिर मुंडवा कर इसे गधे पर बैठा कर नगर में घुमाओ।”

महाराज महेंद्र के फैसले से मंत्री और प्रजा को बहुत आश्चर्य हुआ। लोग महाराज के फैसले पर अंगुली उठाने...

महाराज महेंद्र के फैसले से मंत्री और प्रजा को बहुत आश्चर्य हुआ। लोग महाराज के फैसले पर अंगुली उठाने लगे। जब मंत्री से न रहा गया तो उसने पूछा- ''महाराज जब तीनों ने एक ही अपराध किया है, तो तीनों को अलग-अलग सजा क्यों दी जा रही है?”

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महाराज ने शांत भाव से मंत्री की ओर देखते हुए कहा- “कल तुम्हारे प्रश्न का समाधान स्वयं ही हो जाएगा।" (Moral Stories | Stories)

दूसरे दिन महाराज ने मंत्री को बुला कर कहा- "महामंत्री, आप कल के तीनों अपराधियों को फिर से पेश करें।'' काफी खोजने के बाद मंत्री केवल तीसरे अपराधी को ही महाराज के सामने ला सका।

“महाराज, पहले अपराधी ने आत्महत्या कर ली। दूसरा अपराधी देश छोड़ कर चला गया। तीसरा अपराधी शराब पी कर जुआ खेल रहा था। मैं केवल तीसरे अपराधी को ही लाने में सफल हुआ हूं।” मंत्री ने अफसोस जताते हुए कहा।

“महामंत्री, कल मैंने अपराधियों को दंड उनके व्यक्तित्व और आचरण के अनुसार ही दिया था। पहला व्यक्ति एक शरीफ इंसान था। इसीलिए उसने आत्महत्या कर ली। दूसरे व्यक्ति में भी कुछ शराफत बची हुई थी, इसलिए वो देश छोड़ कर चला गया, और यह तीसरा व्यक्ति एकदम नीच है। इतना अपमानित होने पर भी इसे अपनी गलती का एहसास नहीं हुआ।"

महाराज महेंद्र की बातें सुन कर महामंत्री की आंखे खुल गईं। वास्तव में महाराज ने सही न्याय किया था। प्रजा महाराज के न्याय प्रियता की जयजयकार करने लगी। (Moral Stories | Stories)

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