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जैसी संगति वैसी मति
Moral Story जैसी संगति वैसी मति:- एक राजा अपने घोड़े पर सवार एक जंगल से अकेला गुज़र रहा था। जब वह डाकू भीलों की झोपड़ी के पास से निकला, तब उसने देखा कि एक भील के द्वार पर पिंजरे में बंद तोता चिल्ला रहा है... “पकड़ो!... मार डालो इसे!... इसका घोड़ा छीन लो!... इसके पास जो कुछ है सब छीन लो! जल्दी आओ पकड़ो..। (Moral Stories | Stories)
राजा ने तोते की बातें सुनी तो वह समझ गया कि वह डाकुओं की बस्ती में आ गया है। उसने अपने घोड़े को पूरी तेज़ी से दौड़ा दिया। डाकुओं ने पीछा किया, परंतु राजा का तेज़ भागने वाला घोड़ा कुछ ही पलों में उनकी पहुँच से दूर निकल गया। डाकू थक हार कर पीछे रुक गए। (Moral Stories | Stories)
दौड़ते भागते हुए राजा जल्दी ही एक ऐसी कुटिया के सामने से गुज़रा जिसके सामने पिंजरे में...
दौड़ते भागते हुए राजा जल्दी ही एक ऐसी कुटिया के सामने से गुज़रा जिसके सामने पिंजरे में एक तोता था। राजा को देखते ही पिंजरे में बैठा तोता बड़े ही मीठे स्वर में बोल उठा.. “आइए श्रीमान! आपका स्वागत है! आप हमारे अतिथि हैं कृपया अंदर आइए! आसन ग्रहण कीजिए।
तोते की बात को सुनकर तुरंत ही एक साधु अपने शिष्यों के साथ कुटिया से बाहर आ गए। उन्होंने राजा का स्वागत किया। (Moral Stories | Stories)
साधु का आतिथ्य सत्कार स्वीकार कर राजा ने साधु से पूछा कि “एक ही जाति के पक्षियों के स्वभाव में इतना अंतर क्यों?”
साधु कुछ कह पाते उससे पहले ही तोता बोल पड़ा “मान्यवर! “हम दोनों एक ही माता पिता की संतान हैं, किंतु उसे डाकू ले गए और मुझे ये मुनि ले आए। वह हिंसक भीलों और डाकूओं की बातें सुनता है और मैं साधु के वचन सुनता हूँ”।
“जैसी संगति वैसी मति यानि जैसा संग वैसा रंग” साधु ने मुस्कुराकर आगे यह बात कही तो राजा की समझ में सब कुछ आ गया। (Moral Stories | Stories)
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