Moral Story: लोकप्रिय मीना

मीना अपनी कक्षा में सबसे मशहूर थी। हर साल उसकी कक्षा के छात्र उसे अपना पसंदीदा छात्र मानने के लिए वोट करते थे। मीना हर किसी के साथ आराम से बात करती थी और हर कोई उसके साथ रहना पसंद करता था।

New Update
Girl and boy in school

लोकप्रिय मीना

Moral Story लोकप्रिय मीना:- मीना अपनी कक्षा में सबसे मशहूर थी। हर साल उसकी कक्षा के छात्र उसे अपना पसंदीदा छात्र मानने के लिए वोट करते थे। मीना हर किसी के साथ आराम से बात करती थी और हर कोई उसके साथ रहना पसंद करता था। उसके अपने ग्रुप के दोस्तों के मुकाबले बहुत सारे दोस्त थे। (Moral Stories | Stories)
एक दिन दस साल की मीना को कक्षा में अध्यापिका ने बहुत बातें करते हुए पकड़ लिया और उसे सज़ा के तौर पर देर तक रुकने का आदेश दिया गया। सज़ा के तौर पर देर तक रुकने का आदेश, पार्क को साफ करने या फिर लाइब्रेरी को साफ करने के लिए दिया जाता था। (Moral Stories | Stories)
लेकिन जिस स्कूल में मीना पढ़ती थी, उसके अपने ही रूल थे। महीने में एक बार छात्र अपनी सज़ा को दूसरे छात्रों के साथ बदल सकते थे। अगर जिस दिन किसी भी छात्र को सज़ा दी गई है और उसे उस दिन कोई काम हो तो वह अपनी जगह अपने किसी मित्र को अपनी सज़ा के तौर पर खड़ा कर सकता था। लेकिन हाँ, उस छात्र को बाद में अपने मित्र की जगह पर सज़ा ज़रूर भुगतनी पड़ती थी। (Moral Stories | Stories)
इसलिए जो बच्चे दूसरों की जगह सज़ा भुगतते थे वह अपना एहसान वापिस लेने के लिए हर महीने किसी न किसी तरह की शरारत कर देते थे ताकि उनकी जगह उनके दोस्तों को सज़ा पूरी करने का मौका मिल जाए। लेकिन यह काम सिर्फ सज़ा वाले महीने में ही करना होता था क्योंकि अगला महीना चढ़ते ही पिछले महीने की सज़ा खारिज हो जाती थी।

उस दिन मीना को सज़ा मिली थी और उसी दिन उसकी एक पसंदीदा मामी अमरीका से उसके घर आ रहीं थीं...

उस दिन मीना को सज़ा मिली थी और उसी दिन उसकी एक पसंदीदा मामी अमरीका से उसके घर आ रहीं थीं। मीना के पास सिर्फ उसी दोपहर का समय उनसे मिलने का था, क्योंकि उसके बाद वह उनसे अगले पांच सालों तक नहीं मिल पाती। (Moral Stories | Stories)
मीना अपनी सज़ा किसी और के साथ बांटना चाहती थी लेकिन उसके साथ समस्या यह थी कि वह महीने का आखिरी दिन था। और महीने का आखिरी दिन होने के नाते अगर उसकी सज़ा कोई बांटता तो मीना उसका एहसान न उतार पाती क्योंकि अगले महीने से पहले की सज़ा खारिज हो जाती थी। इसलिए जो कोई मीना की मदद करता वह सिर्फ उसकी दोस्ती के बल पर कर सकता था। (Moral Stories | Stories)
इसलिए मीना ने अपनी सबसे अच्छी सहेली प्रीति के बारे में सोचा। जब मीना ने प्रीति से अपनी सज़ा बांटने के लिए कहा तो प्रीति ने कहा, ‘नहीं मीना, मैं नहीं कर सकती। आज मुझे अपने भाई को उसके नर्सरी कक्षा में एडमिशन के लिए तैयार करना है क्योंकि उसका एडमिशन किसी अच्छे स्कूल में नहीं हो पा रहा।’ प्रीति ने मीना से अपने भाई की समस्याओं के बारे में काफी देर तक बात की।
ग्राउंड में फुटबॉल खेलते हुए मीना ने अपने एक और दोस्त से गुज़ारिश की, ‘मोहित क्या तुम आज मेरे लिए रुक सकते हो?’ मीना को पता था कि मोहित स्कूल के बाद सिर्फ घूमता ही है। (Moral Stories | Stories)

school boy and girl

मोहित ने कहा, ‘काश, मीना तुमने मुझे पहले बताया होता। आज मुझे अपने पिता के साथ अपने किसी रिश्तेदार के घर जाना है। मैं तुम्हारी मदद किसी और दिन कर दूंगा।’
अब मीना को शक होने लगा था कि क्या उसका कोई एक मित्र भी उसकी मदद नहीं कर सकता। लेकिन उसने फिर कोशिश की, उसने अपने तीन मित्रों से बात की लेकिन हर किसी ने मना कर दिया। (Moral Stories | Stories)
मीना सबकी बहुत अच्छी दोस्त थी इसलिए सबने सीधे सीधे मना ना करते हुए कुछ न कुछ बहाने बनाए। मीना बहुत हताश हो गई थी।
इसलिए अपने स्कूल खत्म होने के बाद मीना लाइब्रेरी में काम करने के लिए रुकी। जब लाइब्रेरियन मिस माथुर ने मीना को सबके जाने के बाद रोते हुए देखा तो वह उसके पास गईं और उन्होंने मीना को अपनी मामी से मिलने जाने के लिए आज्ञा दी। (Moral Stories | Stories)
मीना ने अपने आप से रोते हुए कहा, ‘मैं कितनी भी मशहूर क्यों न रहीं हूँ। कहने को मेरे बहुत सारे दोस्त हैं लेकिन हकीकत में मेरा कोई दोस्त नहीं है।’

 बाल कहानी | Kids Moral Stories | Kids Moral Story | Moral Stories for Kids | Hindi Bal kahania | Lotpot latest Issue | Lotpot Bal Kahnia

यह भी पढ़ें:-

Moral Story: बुरा व्यवहार

Moral Story: भेड़िया आया भेड़िया आया

Moral Story: बैंकर और भिखारी

Moral Story: जो प्राप्त वो पर्याप्त

#बाल कहानी #Lotpot #Kids Moral Stories #Moral Stories #Kids Moral Story #Moral Stories for Kids #Hindi Bal kahania #Lotpot latest Issue #Lotpot Bal Kahnia