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नव वर्ष का संकल्प
Moral Story नव वर्ष का संकल्प:- राजेश और अनुराग बहुत गहरे दोस्त थे दोनों एक ही कक्षा में पढ़ते थे। लेकिन दोनों के स्वभाव में अंतर था। राजेश किसी भी बात पर जल्दी गुस्सा हो जाता था। इसीलिए उसका किसी न किसी से झगड़ा हो जाता था। जबकि अनुराग बहुत मिलन सार तथा सहनशील लड़का था। वह सभी के काम आता था इसलिए सभी उसको बहुत चाहते थे। उसकी बेहद प्रशंसा करते थे। (Moral Stories | Stories)
स्कूल में प्रतिवर्ष, नववर्ष का एक वार्षिक समारोह मनाया जाता था बच्चों के लिए यह कार्यक्रम बच्चों के द्वारा ही तैयार किया जाता था। इस बार अनुराग का लिखा हुआ एक नाटक खेला जाना था। जिसमें मुख्य भूमिका एक शरारती छात्र की थी जो अपने तरह तरह के कारनामों से सभी को तंग किया करता था। बड़ों का सम्मान करना उसे आता ही नहीं था लेकिन एक दिन ऐसी घटना घटी जिसने उसकी जीवन धारा ही बदल दी। वह दिन नए साल का सबसे पहला दिन था।
नाटक में यह भूमिका निभाने के लिए अनुराग ने अपने मित्र राजेश को राजी कर लिया और रिहर्सल शुरू हो गई। नाटक के सफल होने की पूरी आशा थी। अनुराग स्वंय उसमें एक हंसोड़ पात्र का अभिनय कर रहा था। ताकि दर्शक बोर होकर ऊब न जाए। अपनी विशिष्ट मुद्राओं तथा संवादों के द्वारा उसे देखने वालों को हंसा-हंसा कर उनका मनोरंजन करना था। (Moral Stories | Stories)
आखिर वह दिन भी आ ही गया जब उस नाटक का मंचन होना था। यानि एक जनवरी...
आखिर वह दिन भी आ ही गया जब उस नाटक का मंचन होना था। यानि एक जनवरी सभी पात्रों को संवाद ठीक तरह से याद हो गए थे लेकिन फिर भी वे मन ही मन फिर उन्हें दोहरा रहे थे कि कहीं कोई भूल न जाए वरना बड़ी गड़बड हो जाएगी। क्योंकि दर्शकों में अपने स्कूल के सभी अध्यापकों, छात्रों के अलावा उनके अभिभावक तथा नगर के कुछ विशिष्ट एवं गण मान्य जन भी समारोह में पधार रहे थे।
ठीक समय पर पर्दा खुला... मंच पर एक कक्षा का दृश्य है मास्टर जी बच्चों को कुछ समझाने से पूर्व उनकी हाजिरी लेते हैं उन्होनें आंखों पर चश्मा लगाकर जैसे ही नाम बोलने के लिए गर्दन झुकाई, कि सारी कक्षा ने ठहाके लगाने शुरू कर दिए। मास्टर जी को लगा कि उनके सिर पर कुछ आ कर लगा है। उन्होंने अपने सिर पर हाथ घुमाया तो उनके हाथ में वह चीज आ गई। यह कागज का बना हुआ एक हवाई जहाज था। मास्टर जी ने पेन खोलते हुए रजिस्टर पर रखते हुए कहा। मैं जानता हूं कि किसने ऐसा किया है। लेकिन उसे सजा देकर सारी कक्षा के सामने मैं उसे लज्जित नहीं करूंगा। लेकिन यदि किसी ने फिर ऐसी हरकत की और कक्षा का अनुशासन भंग किया तो माफ नहीं किया जाएगा। (Moral Stories | Stories)
अब सभी शांत थे। पढ़ाई चल रही थी थोड़ी देर बाद घंटी बज गई। सब अपने-अपने घर को चल दिए लेकिन वह शरारती लड़का कहां बाज आने वाला था। उसने झटपट सड़क पर पडे़ केले के छिलके बिछा कर उन पर कागज के टुकड़े बिछा दिए और उन्हे ढक दिया कि पता न चल सके। और उन पर कदम रखने वाले के झट से कदम ही फिसल जाए। सामने से एक आदमी को आता देख कर वह झट पास वाली गली में दुबक जाता है। लेकिन तभी एक चीख की आवाज आती है और सड़क पर भीड़ बढ़ने लगती है उसके छिपाए हुए उन छिलकों पर फिसल जाने से उस आदमी के पांव की हड्डी टूट जाती है वह भी पास आकर देखता है पर यह क्या..? यह तो खुद उसके पिता जी थे। इधर नाटक का हंसोड पात्र हंस रहा था लगातार.. पागलों की तरह हंसता चला जा रहा है यह कह-कह कर बेवकूफ कहीं के। दिन में भी देख कर नहीं चलते। गिर गए न धड़ाम से।
उधर वह शरारती लड़का जिसकी आंखो में आंसू हैं और अफसोस में हाथ मल रहा है कि उसने यह क्या किया? वह तो दूसरों के लिए गड्डा खोद रहा था पर उसे क्या पता था कि उसमें खुद ही गिर जाएगा। अब क्या होगा? उसके पिताजी काम पर कैसे जाएंगे? स्कूल की फीस कैसे भरी जाएगी? टांग का इलाज करवाने के लिए पैसा कहां से आएगा? (Moral Stories | Stories)
यह प्रश्न तीव्र स्वर में पाश्र्व में उभरते है और धीरे-धीरे भीड़ छटने लगती है अंत में वह अकेला रह जाता है सिर्फ अकेला और सड़क पर पड़ा दर्द से कराहता हुआ उसका पिता। वह कैसे उठा कर डाॅक्टर के पास तक ले जाए? यह उसकी समझ नहीं आ रहा था।
राह चलता कोई उसकी मदद के लिए रूक न रहा था तभी उसने देखा कि सामने से वही मास्टर जी आ रहे थे जो कक्षा में आज आए थे। पास आते ही वह लड़का उनके कदमों में गिर पड़ा और रो-रो कर कहने लगा- माफ कर दीजिए मुझे मास्टर जी, माफ कर दीजिए, आज मैंने ही कक्षा में आपकी ओर हवाई जहाज फेंका था वह शरारत मेरी ही थी। भगवान ने मुझे उसका बदला दे दिया है आज मेरी आंखे खुल गई हैं मास्टर जी ने कहा कि कभी किसी का भी बुरा नहीं सोचना चाहिए कभी भी किसी की हंसी नहीं उड़ानी चाहिए वरना एक न एक दिन आदमी खुद ही अपने जाल में फंस जाता है मास्टर जी ने उसे ढाढ़स बंघाते हुए कहा- कोई बात नहीं बेटा, अभी तुम्हारे जीवन की शुरूआत ही है इसलिए तुम्हें जो हो चुका उससे भविष्य के लिए शिक्षा लेनी चाहिए, और आज साल के नए दिन पर एक नया सकंल्प लेना चाहिए कि मैं अच्छे ढ़ंग से एक नए जीवन की शुरूआत करूंगा अच्छा चलो अब पहले डाक्टर के पास चलते हैं और धीरे-धीरे पर्दा गिरता है और नाटक खत्म.. (Moral Stories | Stories)
सभी लोग राजेश के अभिनय की प्रशंसा करते है किन्तु राजेश को ऐसा लगता था जैसे यह नाटक नहीं सब सच हो अतः अनुराग को धन्यवाद देते हुए उसने खुद अपने आपको वास्तव में सुधारने का संकल्प कर लिया। उसी दिन, उसी वक्त। (Moral Stories | Stories)
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