Moral Story: लकड़ी का कटोरा एक वृद्ध व्यक्ति अपने बहु-बेटे के यहाँ शहर रहने गया। उम्र के इस पड़ाव पर वह अत्यंत कमजोर हो चुका था, उसके हाथ कांपते थे और दिखाई भी कम देता था। वो एक छोटे से घर में रहते थे, पूरा परिवार और उसका चार वर्षीय पोता। By Lotpot 10 Feb 2024 in Stories Moral Stories New Update लकड़ी का कटोरा Moral Story लकड़ी का कटोरा:- एक वृद्ध व्यक्ति अपने बहु-बेटे के यहाँ शहर रहने गया। उम्र के इस पड़ाव पर वह अत्यंत कमजोर हो चुका था, उसके हाथ कांपते थे और दिखाई भी कम देता था। वो एक छोटे से घर में रहते थे, पूरा परिवार और उसका चार वर्षीय पोता एक साथ डिनर टेबल पर खाना खाते थे। लेकिन वृद्ध होने के कारण उस व्यक्ति को खाने में बड़ी दिक्कत होती थी। कभी मटर के दाने उसकी चम्मच से निकल कर फर्श पे बिखर जाते तो कभी हाथ से दूध छलक कर मेजपोश पर गिर जाता। (Moral Stories | Stories) बहु-बेटे एक-दो दिन ये सब सहन करते रहे पर अब उन्हें अपने पिता की इस काम से चिढ़ होने लगी। “हमें इनका कुछ करना पड़ेगा’’ लड़के ने कहा। बहु ने भी हाँ में हाँ मिलाई और बोली, "आखिर कब तक हम इनकी वजह से अपने खाने का मजा किरकिरा करते रहेंगे, और हम इस तरह चीजों का नुकसान होते हुए भी नहीं देख सकते।’’ (Moral Stories | Stories) अगले दिन जब खाने का समय हुआ तो बेटे ने एक पुरानी मेज को कमरे के कोने में लगा दिया... अगले दिन जब खाने का समय हुआ तो बेटे ने एक पुरानी मेज को कमरे के कोने में लगा दिया, अब बूढ़े पिता को वहीं अकेले बैठ कर अपना भोजन करना था। यहाँ तक कि उनके खाने के बर्तनों की जगह एक लकड़ी का कटोरा दे दिया गया था, ताकि अब और बर्तन ना टूट-फूट सकें। बाकी लोग पहले की तरह ही आराम से बैठ कर खाते और जब कभी-कभार उस बुजुर्ग की तरफ देखते तो उनकी आँखों में आंसू दिखाई देते। यह देखकर भी बहु-बेटे का मन नहीं पिघलता, वो उनकी छोटी से छोटी गलती पर ढे़रों बातें सुना देते। वहां बैठा बालक भी यह सब बड़े ध्यान से देखता रहता, और अपने में मस्त रहता। (Moral Stories | Stories) एक रात खाने से पहले, उस छोटे बालक को उसके माता-पिता ने जमीन पर बैठ कर कुछ करते हुए देखा, ‘‘तुम क्या कर रहे हो’’ पिता ने पूछा। बच्चे ने मासूमियत के साथ उत्तर दिया, ‘‘अरे मैं तो लोगों के लिए एक लकड़ी का कटोरा बना रहा हूँ, ताकि जब मैं बड़ा हो जाऊं तो आप लोग इसमें खा सकें।’’ और वह पुनः अपने काम में लग गया। पर इस बात का उसके माता-पिता पर बहुत गहरा असर हुआ, उनके मुंह से एक भी शब्द नहीं निकला और आँखों से आंसू बहने लगे। वो दोनों बिना बोले ही समझ चुके थे कि अब उन्हें क्या करना है। उस रात वो अपने बूढ़े पिता को वापस डिनर टेबल पर ले आये, और फिर कभी उनके साथ अभद्र व्यवहार नहीं किया। (Moral Stories | Stories) lotpot | lotpot-e-comics | bal kahani | bal-kahaniyan | hindi-bal-kahaniyan | short-moral-stories | short-stories | short-hindi-stories | hindi-short-stories | kids-stories | hindi-stories | moral-stories | kids-moral-stories | hindi-moral-stories | kids-hindi-moral-stories | लोटपोट | lottpott-i-konmiks | hindii-khaaniyaan | hindii-baal-khaanii | baal-khaanii | chottii-khaanii | chottii-khaaniyaan | chottii-hindii-khaanii | bccon-kii-naitik-khaaniyaan यह भी पढ़ें:- Moral Story: रूपयों से खुशियाँ नहीं आती Moral Story: कहां से आया जूता Moral Story: कहाँ गयी तीसरी बकरी Moral Story: आदमी का मूल्य #बाल कहानी #लोटपोट #Lotpot #Bal kahani #Bal Kahaniyan #Hindi Moral Stories #Kids Moral Stories #Moral Stories #Kids Stories #बच्चों की नैतिक कहानियाँ #लोटपोट इ-कॉमिक्स #lotpot E-Comics #हिंदी बाल कहानी #छोटी हिंदी कहानी #hindi stories #Kids Hindi Moral Stories #hindi short Stories #Short Hindi Stories #short stories #हिंदी कहानियाँ #छोटी कहानियाँ #छोटी कहानी #short moral stories #Hindi Bal Kahaniyan You May Also like Read the Next Article