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दिमाग लगाया त्योहार मनाया
Motivational Story दिमाग लगाया त्योहार मनाया:- दिवाली आने वाली थी विजयनगर राज्य में दीवाली को मनाने की तैयारियां पूरे जोर-शोर से चल रही थी। हर तरफ मिठाइयों की दुकानें सज गई थीं। ऐसे में एक समस्या आन खड़ी हुई। तेल, घी, खांडसारी व मिष्ठान पदार्थ बनाने वाली अन्य सभी वस्तुओं के दाम एकाएक बढ़ गए। राजा तक शिकायत पहुंची, “महाराज! दाम बढ़ने के पीछे सामान की कमी नहीं बल्कि जमाखोरी है। लोगों ने खूब सारा माल दबा लिया है। वे ऐन मौके पर उस सामान को बाहर "निकालकर उन्हें महंगे दामों पर बेचना चाहते हैं।” (Motivational Stories | Stories)
राजा कृष्णदेव बोले-ऐसे जमाखोरों पर छापे मारे जाएं और उन्हें सजा दी जाए...
राजा कृष्णदेव बोले-ऐसे जमाखोरों पर छापे मारे जाएं और उन्हें सजा दी जाए।" एक तरफ खड़ा तेनालीराम बोल उठा, "क्षमा करें महाराज! इस तरह की कार्यवाही से राज्य के निवासियों के त्योहार का आनन्द समाप्त हो जाएगा। मुझे एक सप्ताह की मोहलत दी जाए मैं इस समस्या का समाधान ढूंढ लूंगा।’’ (Motivational Stories | Stories)
राजा कृष्णदेव की कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि तेनालीराम आखिर करना क्या चाहता था। तीन दिन बाद जब विजयनगर के लोग सोकर उठे तो उन्होंने देखा कि राज्य के चारों तरफ से काफिले पर काफिले चले आ रहे हैं । (Motivational Stories | Stories)
पूछताछ की तो पता चला कि कोई घी लाया है। किसी ने बताया कि वह गुड़ लाया है। कोई बोला कि उसके काफिले में मावा और खांडसारी का भंडार है कोई बता रहा था कि बैलगाड़ी पर खाने का तेल भरा हुआ है। (Motivational Stories | Stories)
जमाखोरों ने जब यह सुना तो उनके हाथों से तोते उड़ गए। सभी ने सोचा कि अगर उन्होंने तुरन्त ही जमा किया हुआ माल नहीं निकाला तो उन सबका माल घरों में पड़ा पड़ा ही सड़ जाएगा।
फिर क्या था हर जमाखोर अपना-अपना माल लेकर बाजार की ओर भागने लगे। बाज़ार में जब माल ज़्यादा बढ़ गया तो कीमतें तो औंधे मुंह गिरनी ही थीं। (Motivational Stories | Stories)
सभी ने जमकर दीवाली के लिए मिठाईयां खरीदीं। राजा ने तेनालीराम की प्रशंसा करते हुए पूछा-"यह सब क्या था इतना सामान कहां से आया?”
तो तेनालीराम ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, "महाराज! सामान सब पर नहीं मात्र एकाध पर ही लदा था बाकियों पर तो खाली पीपे और रुई के गट्ठर लदे थे।" तेनालीराम ने सिर नवाते हुए कहा।
तेनालीराम की बात सुनकर राजा सहित सभी दरबारी ठहाका लगा उठे, और एक दूसरे को दिवाली का उपहार देने में जुट गए। (Motivational Stories | Stories)
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