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पिता की आँखें
Motivational Story पिता की आँखें:- मेरे पिता की सिर्फ एक आंख थी, मुझे उनसे नफरत थी, उनके साथ होते हुए मुझे शर्म आती थी। वह परिवार को चलाने के लिए छात्रों और शिक्षकों के लिए खाना बनाते थे। एक दिन जब मैं प्राथमिक पाठशाला में था, मेरे पिता मुझे हैलो कहने आए थे, मुझे उस वक्त बहुत शर्मिंदगी हुई थी। वह ऐसा कैसे कर सकते थे? मैंने उन्हें अनदेखा कर दिया और उन्हें नफरत के साथ देखा और वहां से भाग गया। अगले दिन स्कूल में मेरे सहयोगी छात्रों ने कहा, ‘ईईईई, तुम्हारे पिता की सिर्फ एक आंख है।’ मैं खुद को ज़मीन में दफन करना चाहता था और साथ ही अपने पिता को गायब कर देना चाहता था। मैंने उस दिन उनका सामना किया और कहा, ‘अगर मेरी हंसी उड़वाना चाहते हो तो इससे अच्छा आप मर क्यों नहीं जाते?’ (Motivational Stories | Stories)
मेरे पिता ने मुझे कोई जवाब नहीं दिया। मैंने यह कहने से पहले एक सेकेंड के लिए भी नहीं सोचा कि मैं क्या कह रहा हूं क्योंकि मैं बहुत गुस्से में था। मैं उनके भावों से अंजान था। मैं उस घर से बाहर निकलना चाहता था और उनके साथ कोई नाता नहीं रखना चाहता था। इसलिए मैंने बहुत कड़ी पढ़ाई की और मुझे विदेश जाकर पढ़ने का मौका मिल गया।
फिर मेरी शादी हो गई। मैंने खुद के लिए घर लिया। मेरे बच्चे हुए। मैं अपनी ज़िंदगी...
फिर मेरी शादी हो गई। मैंने खुद के लिए घर लिया। मेरे बच्चे हुए। मैं अपनी ज़िंदगी, अपने बच्चों और घर में खुश था। फिर एक दिन मेरे पिता मुझसे मिलने आए। उन्होंने मुझे कई सालों से देखा नहीं था और ना ही वह अपने पोते पोती से मिले थे। जब वह दरवाज़े पर खड़े थे तो मेरे बच्चे उन्हें देखकर हंसने लगे और मैं उन पर बिना बुलाए आने के लिए चिल्लाया। मैं उन पर चिल्लाकर बोला, ‘आपकी हिम्मत कैसे हुई मेरे घर आकर मेरे बच्चों को डराने की। यहां से निकल जाओ अभी।’ मेरी इस बात पर मेरे पिता ने आराम से जवाब दिया, ‘माफ करो, शायद मुझे गलत पता मिला था’ यह कहकर वह वहां से चले गए। (Motivational Stories | Stories)
एक दिन मेरे स्कूल की पार्टी का पत्र मेरे घर आया। मैंने अपनी पत्नी से झूठ कहा कि मैं बिज़नेस ट्रिप पर जा रहा हूं। पार्टी के बाद मैं उत्सुकता के लिए अपने पुराने घर गया। मेरे पड़ोसी ने बताया कि मेरे पिता का निधन हो गया है। मेरी आंख से एक आंसू भी नहीं टपका। उन्होंने मुझे एक पत्र दिया जो मेरे पिता मुझे देना चाहते थे। (Motivational Stories | Stories)
‘मेरे प्रिय बेटे, मैं सारा समय तुम्हारे बारे में सोचता रहता था। मैं माफी चाहता हूं कि मैं तुम्हारे घर आया और मुझे देखकर तुम्हारे बच्चे डर गए। मुझे माफ करना कि मेरी वजह से तुम्हें शर्मिंदगी होती थी। तुम्हें शायद नहीं पता कि जब तुम छोटे थे, तो तुम्हारी एक आंख खराब हो गई थी। बतौर पिता मैं यह बर्दाश्त नहीं कर सकता था कि तुम एक आंख के साथ बड़े हो। इसलिए मैंने तुम्हें अपनी आंख दे दी। मुझे बहुत गर्व था कि मेरे लिए मेरा बेटा मेरी आंख से पूरी दुनिया देखेगा।’
तुम्हें हमेशा प्यार करने वाला तुम्हारा पिता। (Motivational Stories | Stories)
पत्र पढ़कर मैं आत्मग्लानी से भर गया और फूट-फूट कर रोने लगा। घर जाकर पिताजी की तस्वीर लगाई और अपने परिवार को सारी बात बताई कि कैसे पूरी बात जाने बिना अपने पिता से नफरत करता रहा।
सीख: यह कहानी एक प्रेरणादायक कहानी है। अब एक जिंदा इंसान के लिए अपनी आंखे दान करना ज़रूरी नहीं है। किसी के मरने के बाद अगर उसकी इच्छा होती है तो ही उसकी आँखें दान के लिए ली जाती है। मौत के बाद आँखें दान करने से किसी नेत्रहीन इंसान को आप रोशनी दे सकते हैं। इसलिए हम सभी को इस प्रक्रिया में आगे बढ़चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए। (Motivational Stories | Stories)
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