बाल कहानी : साधु रूप में बहुरूपिया
बाल कहानी : साधु रूप में बहुरूपिया :- बहुरूपिया राजा के दरबार में पहुँचा और बोला यश पताका आकाश में सदैव फहराती रहे। बस दस रूपये का सवाल है, महाराज से बहुरूपिया और कुछ नहीं चाहता।
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बाल कहानी : साधु रूप में बहुरूपिया :- बहुरूपिया राजा के दरबार में पहुँचा और बोला यश पताका आकाश में सदैव फहराती रहे। बस दस रूपये का सवाल है, महाराज से बहुरूपिया और कुछ नहीं चाहता।
Indian Army Facts: भारतीय सशस्त्र बल की तीन सेनाओं वायुसेना, थल सेना और नौसेना में से भारतीय थल सेना सबसे बड़ी है। यह बाॅर्डर की रक्षा करती है और उसे आतंकवादियों से बचाती है। भारतीय थल सेना बाॅर्डर से जुड़े क्षेत्रों की भी रक्षा करती है और वहां के नागरिको को दुश्मन के अटैक से बचाती है। सबसे अहम बात कि भारतीय सेना के जवान देश को बचाने के लिए अपनी जान को भी कुर्बान कर देते है। इतना उम्दा काम करने के बाद भी हम भारतीय नागरिक इतने मतलबी हैं कि हम उनकी कुर्बानियों के लिए उन्हें धन्यवाद् भी नहीं करते।
आज हम आपको सर्दियों में आमतौर पर होने वाले रोगों के बारे में बताते हैं, जिससे लगभग हर बच्चा पीड़ित रहता है। कुछ उपाय अपनाकर कैसे अपने बच्चे को इससे बचाये? हम सभी बहुत खुश है कि गर्म और उमस भरा मौसम आखिरकार खत्म हो गया लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत के कई हिस्सों में कड़ाके की सर्दी रहती है। बदलते मौसम के चलते सबसे ज्यादा बच्चे परेशान होते है, जिन्हे ठण्ड जल्दी लग जाती है और उनकी मम्मियों के लिए तकलीफ बढ़ जाती है।
(Inspirational Story) प्रेरणादायक कहानी : होशियार तोते की बात :- एक समय की बात है एक जंगल में एक तोता रहता था। वह बहुत सुंदर था। उसकी चांेच और पंख बहुत ज़्यादा सुंदर थे। उस तोते के साथ उसका छोटा भाई भी रहता था। वह दोनों जंगल में खुशी खुशी रहते थे।
खलीफा उमर बड़े नेक व दयालु प्रशासक थे। अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए वे भेष बदलकर रात को घूमा करते थे। एक रात को वह गश्त कर रहे थे कि एक घर सें बच्चों के रोने की आवाज सुनी। वे बच्चें के चुप होने की प्रतीक्षा करते रहे। जब बहुत देर तक उनके रोने की आवाज बंद नहीं हुई तो उन्होंने आंगन में झाँककर देखा।
बाल कहानी : (Hindi Child Story) जादूगर की चुनौती:- विजय नगर के राजा कृष्णदेव राय कला के पुजारी थे। उनके दरबार में अक्सर संगीतकार, कलाकार, जादूगर आदि आते रहते थे। राजा इस बात के लिए मशहूर थे कि वे हर कलाकार को अच्छा इनाम देते थे।
मकर सक्रांति को हर साल 14 जनवरी के दिन मनाया जाता है।यह त्यौहार बीते हुए खुशियों का जश्न मनाने के साथ फसल पैदावार की शुरूआत का प्रतीक है। इस त्यौहार को परिवर्तनकाल भी कहा जाता है क्यूंकि इस दिन से राते छोटी और दिन लम्बे होने लगते है। इस त्यौहार के बाद ठण्ड कम होने लगती है और दिन गर्म होने शुरू हो जाते है।