Positive News: लद्दाख के माउंटेन मैन ने असम्भव को सम्भव बनाया
बिहार के माउंटेन मैन दशरथ मांझी को कौन नहीं पहचानता है जिन्होंने अपनी जिद और बाइस साल की कड़ी मेहनत से छेनी हथौड़े का इस्तेमाल करते हुए एक पहाड़ को काटकर रास्ता बनाया था।
बिहार के माउंटेन मैन दशरथ मांझी को कौन नहीं पहचानता है जिन्होंने अपनी जिद और बाइस साल की कड़ी मेहनत से छेनी हथौड़े का इस्तेमाल करते हुए एक पहाड़ को काटकर रास्ता बनाया था।
एक जमाना था जब हम अपने घरों के आसपास बहुत सारे चिड़िया देखा करते थे, लेकिन जैसे जैसे बिल्डिंगे, पक्की सड़कें, फैक्ट्री, इंडस्ट्री बनाने के लिए जंगल, बाग बगीचे काटे जाने लगे, गौरैया जैसे कितनी छोटी पंछियां हमसे दूर होने लगी।
अक्सर गरीबी और अज्ञानता के कारण बहुत से परिवार अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज पाते हैं और अपने घरेलू कमाई में योगदान देने के लिए उन्हे छोटे मोटे कामों में लगा देते हैं, परिणाम स्वरूप यह बच्चे जीवन भर अशिक्षित रह जाते हैं।
आज भारत जिस तेजी से तरक्की के पायदान चढ़ता जा रहा है उससे प्रतीत होता है कि जल्द ही यह दुनिया का सबसे प्रगतिशील देश कहा जाएगा। हमारे देश में एक और प्रगति की निशानी है भारत का सबसे बड़ा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट।
पर्यावरण की रक्षा करने का अर्थ है, अपने जीवन और आने वाली पीढ़ियों के जीवन की रक्षा करना। लेकिन आज हम ऐसे वातावरण में जी रहे हैं जहां हवा और पानी दूषित हो रहा है, साथ ही पूरे विश्व में गर्मी का स्तर बढ़ता जा रहा है।
कल्पना और रचनात्मकता की कोई सीमा नहीं है। नवप्रवर्तकों (Innovators) ने हमें दिखाया है कि लीक से हटकर सोचने से कुछ भी संभव है। पानी को ठंडा रखने के लिए पारंपरिक रूप से मिट्टी का उपयोग किया जाता रहा है।
आख़िरकार सभी 41 आदमी फिर से आज़ाद हो गए। हम बात कर रहे हैं 12 नवंबर को भूस्खलन के कारण उत्तरी भारत में सिल्क्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने के बाद उसमे फंसे 41 मजदूरों की।