अब चीते दिखेंगे भारत के जंगल में
भारत के प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी के शुभ जन्मदिवस पर उन्हें मिले साउथ अफ्रीकन चीतों के तोहफ़ो की खूब चर्चा है। नामीबिया से
भारत के प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी के शुभ जन्मदिवस पर उन्हें मिले साउथ अफ्रीकन चीतों के तोहफ़ो की खूब चर्चा है। नामीबिया से
आईएसी विक्रांत के आ जाने से नौसेना को बाहुबली की शक्ति मिल गई। अब समुन्द्र की तरफ से आने वाली हर चुनौती का मुँह तोड़ जवाब देने के लिए भारत पूरी तरह तैयार है। यह भारतीय नौसेना का पहला स्वदेशी विमान वाहक पोत है जिसे हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने देश के नाम किया। इस विमान वाहक पोत का निर्माण कोचीन शिपयार्ड में की गई और इसे बनाने में लगभग बीस करोड़ रुपये लगे। दरअसल भारतीय नेवी को अपना प्रथम विमान वाहक पोत (एयरक्राफ्ट कैरियर) आईएनएस विक्रांत 1961 में ब्रिटेन से मिला था।
23 वर्षीय दीपक पुनिया ने कॉमन वेल्थ गेम्स में 86 किलोग्राम वजन की कुश्ती में पाकिस्तान के पहलवान इमाम बट्ट को ऐसी पटखनी दी कि वो खड़ा ही न हो सका और बड़े आराम से गोल्ड मेडल जीतकर भारत माता के सर को गर्व से ऊँचा कर दिया।
हरियाणा आज बेहतरीन रेसलर्स का गढ़ बन गया है। यहीं की रहने वाली विनेश फोगट ने वो कमाल कर दिखाया जो अब तक कोई भारतीय महिला रेसलर नहीं कर पाई । वे कॉमन वेल्थ और एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी। खबरों के अनुसार, फिल्म 'दंगल' जिन दो खिलाडियों गीता और बबीता फोगट पर फिल्म बनाई गई थी, उन्हीं की चचेरी बहन है विनेश फोगट।
तान्या सिंह और युवाक्षी विज़ का नाम आज भारत के घर घर में है। हर माता पिता, शिक्षक अपने बच्चों को तान्या और युवाक्षी जैसी बनाना चाहते हैं। लेकिन क्यों और कैसे, आइए जानते है। तान्या दिल्ली पब्लिक स्कूल, बुलंदशहर उत्तरप्रदेश की सिबिसी बारहवीं की छात्रा है और युवाक्शी भी, जो इस वर्ष ऑल इंडिया टॉपर घोषित हुई। अक्सर कहा जाता है कि लैंग्वेज में सौ प्रतिशत नंबर लाना असंभव है लेकिन तान्या और युवाक्षी के डिक्शनरी में असंभव जैसा कोई शब्द नहीं हैं। दोनों ने 500 में 500 मार्क्स लाकर सबको चौंका दिया।
अब्दुल कलाम साहब ने कहा था कि सपने वो नहीं है जो हम नींद में देखते है, सपने वो है जो हमको नींद नहीं आने देते, इस मंत्र से प्रभावित, फुलवारी शरीफ स्थित गौनपुरा गांव के प्रेम कुमार ने वो करने की ठान ली जिससे आगे चलकर ना सिर्फ उसके परिवार और समाज, बल्कि राज्य और देश का हित होगा। प्रेम के गांव में लगभग सभी अशिक्षित है, लेकिन उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए हर कठिनाई से गुजर जाने की चुनौती ने प्रेम कुमार को वो अवसर दिया जो सुविधा संपन्न बच्चों को भी मुश्किल से मिलता है।
पाँच साल की उम्र में ज्यादातर बच्चें खेलने में लगे रहते हैं या ए बी सी सीख रहे होते हैं लेकिन कभी कभी कुछ बच्चे इसी उम्र में वो काम कर जाते हैं जो बड़ी उम्र के लोगों को करते देखा गया है। माउथ डोर सेट की रहने वाली पाँच वर्षीय नन्ही ब्रिटिश बच्ची बेला जे डार्क ने इस छोटी सी उम्र में ना सिर्फ एक किताब लिखी, बल्कि कहानी के अनुसार उसमें खुद चित्र भी बनाए और आज वो किताब धड़ल्ले से बिक रही है। ऐसे में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में बेला का नाम दर्ज होना स्वाभाविक है। लेकिन ये सब हुआ कैसे? दरअसल शुरू से ही बेला को लिखने और चित्रकारी का शौक था।