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बच्चों के लिए कविता 'मैं भी...'
बच्चों के लिए कविता 'मैं भी...'
कविता “मैं भी...” बच्चों के लिए एक प्यारी और मजेदार कहानी जैसी कविता है, जो दोस्ती, जिज्ञासा और नकल की आदत के बारे में सिखाती है। इस कविता में बत्तख का बच्चा और मुर्गी का चूज़ा दोनों साथ में रहते हैं। बत्तख का बच्चा जो भी करता है, चूज़ा वही करने की कोशिश करता है और हर बार कहता है — “मैं भी!”
यह कविता बच्चों के मन की सादगी और अनुकरण (copying) की भावना को बहुत ही मजेदार ढंग से दर्शाती है। छोटे बच्चे अक्सर अपने दोस्तों या भाई-बहनों की हर बात की नकल करते हैं — जैसे खेलना, चलना, गाना या बोलना। यही मासूम आदत इस कविता में हँसी और सीख दोनों के साथ दिखाई गई है।
कविता बच्चों को यह सिखाती है कि हर किसी की अपनी पहचान होती है। किसी की नकल करना बुरा नहीं है, लेकिन खुद की सोच रखना और अपनी क्षमताओं को पहचानना भी ज़रूरी है।
यह कविता बच्चों के लिए सीख और मनोरंजन (fun and moral poem for kids) दोनों का सुंदर मेल है। इसे पढ़ते समय बच्चे आनंदित भी होंगे और यह समझेंगे कि हर किसी में कुछ खास अलग होता है।
तो बच्चों, चलो सीखें कि “मैं भी” कहना अच्छा है, लेकिन सबसे अच्छा तब जब हम अपने तरीके से कुछ नया करें!
मैं भी...
एक अंडे में से बत्तख का बच्चा निकला,
लो, मैं अंडे में से निकल आया —
बत्तख का बच्चा बोला।
एक और अंडे में से मुर्गी का चूज़ा निकला,
"मैं भी आ गया!" —
चूज़ा बोला।
"मैं गड्ढा खोद रहा हूँ!" —
बत्तख का बच्चा बोला।
"मैं भी खोदूँगा!" —
चूज़ा बोला।
"मैं घूमने जा रहा हूँ!" —
बत्तख का बच्चा बोला।
"मैं भी चलूँगा!" —
चूज़ा बोला।
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