Bal Kavita: शेर की मौसी

By Lotpot
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शेर की मौसी

मखमल जैसा कोट पहन कर,

रोज रात को मेरे घार में,

एक बिल्ली आती है,

म्याऊँ-म्याऊँ करती है,

और शीशे जैसी आँखें चमकाती है।

 

उछल-कूद मचाती घर में,

चूहे खूब भगाती है,

दिखती तो है भोली-भाली,

पर होती है, बड़ी सियानी,

दूध मलाई खा जाती है।

 

जब भी उसे पकड़ना चाहूँ,

चकमा मुझे दे जाती है,

होती तो है दुबली पतली,

पर शेर की मौसी कहलाती है।

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