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शेर की मौसी
मखमल जैसा कोट पहन कर,
एक बिल्ली आती है,
म्याऊँ-म्याऊँ करती है,
और शीशे जैसी आँखें
उछल-कूद मचाती घर में,
चूहे खूब भगाती है,
दिखती तो है भोली-भाली,
पर होती है, बड़ी सियानी,
दूध मलाई खा जाती है।
जब भी उसे पकड़ना चाहूँ,
चकमा मुझे दे जाती है,
होती तो है दुबली पतली,
पर शेर की मौसी कहलाती है।
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