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प्यारी कविता : चोरी की सजा :- एक दिन एक चालाक बिल्ली चुपके से रसोई में घुस गई। उसकी नजर कड़ाही में रखे गर्म दूध और मलाई पर पड़ी। मलाई देखकर उसकी जीभ ललचाने लगी, और उसने सोचा, "जल्दी से दूध पी लूं और सब साफ कर दूं, ताकि किसी को पता ही न चले!"
लेकिन जैसे ही बिल्ली ने दूध में अपना मुंह डाला, उसकी शामत आ गई! दूध बहुत गर्म था और उसके मुंह में जलन होने लगी। दर्द के मारे वह उछल पड़ी और कड़ाही भी उलट गई। बिल्ली को तुरंत समझ आ गया कि चोरी करना गलत होता है, और इसकी सजा भी मिलती है।
इस Poem से हमें यह सीख मिलती है कि चोरी का अंजाम हमेशा बुरा ही होता है। लालच और बेईमानी से हमें सिर्फ नुकसान ही होता है। इसलिए हमेशा सच और ईमानदारी का रास्ता अपनाना चाहिए।
प्यारी कविता : चोरी की सजा
देख रसोईघर को सूना ,
बिल्ली अंदर आई।
दूध कड़ाई में था, उस पर,
फैली खूब मलाई।
सोचा - 'दूध पियूं छक छक के,
झटपट करूं सफाई।
जैसे ही मुंह गया दूध में,
उसकी शामत आई।
गर्म दूध से झुलस गया मुंह,
उलटी पड़ी कड़ाई।
मिली सजा चोरी की पल में,
अकल ठिकाने आई।