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मुझे मत गिराओ, मैं हूँ वृक्ष: यह कविता पेड़ों की महत्ता को दर्शाती है और हमें पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती है। कवि वृक्ष की भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहता है कि उसे न काटा जाए क्योंकि वह न केवल इंसानों के लिए बल्कि पक्षियों और अन्य जीव-जंतुओं के लिए भी बहुत उपयोगी है।
वृक्ष पक्षियों के लिए घर और भोजन का स्रोत है। उसकी शाखाओं पर पक्षी बसेरा बनाते हैं और उसके फूल-फलों से अपनी भूख मिटाते हैं। अगर पेड़ों को काट दिया जाएगा, तो ये मासूम जीव बेघर हो जाएंगे और उनका जीवन संकट में पड़ जाएगा।
पेड़ इंसानों को शुद्ध हवा, छाया और फल प्रदान करते हैं। वे प्रदूषण को कम करने में भी सहायक होते हैं। लेकिन यदि लोग पेड़ों को काटते रहेंगे, तो इन प्राकृतिक संसाधनों का नुकसान होगा और जीवन कठिन हो जाएगा।
कविता हमें यह अहसास कराती है कि पर्यावरण की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। यदि हम वृक्षों को बचाएंगे, तो वे बदले में हमें जीवन के लिए आवश्यक संसाधन देंगे। अतः हमें वृक्षों को काटने के बजाय अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए, ताकि पृथ्वी का संतुलन बना रहे और आने वाली पीढ़ियों को भी इसका लाभ मिल सके। 🌱🌍💚
मुझे मत गिराओ, मैं हूँ वृक्ष,
मुझे मत काटो, काट-काट कर न बांटो।
पक्षी मेरी डाल पर बैठें,
चूँ-चूँ, चीं-चीं करते रहें।
हर टहनी पर घर बनाएँ,
मेरे फूल और फल भी खाएँ।
बेघर उनको मत बनाओ,
उनका खाना मत चुराओ।
तुम्हें हवा और छाया देता,
प्रदूषण को मैं ले लेता।
हरियाली का उपहार हूँ मैं,
धरती का आधार हूँ मैं।
फिर भी अगर मुझे गिराओगे,
तो यह सब कुछ कैसे पाओगे?
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