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कद्दू जी की चली बारात- इस मज़ेदार कविता में सब्जियों की एक अनोखी बारात का वर्णन किया गया है, जिसे पढ़कर बच्चे बहुत आनंदित होंगे। कद्दू जी की बारात निकली और पूरे उत्साह के साथ सब्जियाँ इसमें शामिल हुईं। बैंगन की गाड़ी पर कद्दू राजा सवार हुए, और शलगम और प्याज ने मिलकर बाजा बजाया। यह दृश्य बिल्कुल किसी शादी की बारात की तरह था, जिसमें हर कोई खुशी से झूम रहा था।
पालक, मेथी, भिंडी, तोरी, टिंडा, मूली और गाजर जैसे हरे-भरे बाराती नाच-गाकर इस अनोखी बारात को और भी रंगीन बना रहे थे। आलू, मटर और टमाटर भी इस खुशी के मौके पर झूम उठे। हर कोई खुश था और अपनी-अपनी तरह से बारात में शामिल हो रहा था।
इसके बाद, बारात का मुख्य आकर्षण आया – लौकी को दुलहन के रूप में लाया गया। यह देखकर कद्दू राजा बहुत प्रसन्न हुए। बारात के दौरान कटहल और करैले जी ने मिलकर स्वादिष्ट चाट-पकोड़े का आनंद लिया, जिससे शादी का माहौल और भी मजेदार बन गया।
लेकिन इस मजेदार बारात का असली राज़ अंत में खुला—यह सब सिर्फ एक सपना था! सुबह होते ही यह पता चला कि रात को जो देखा था, वह केवल एक प्यारा-सा स्वप्न था। यह कविता बच्चों को मनोरंजन के साथ-साथ कल्पना की उड़ान भरने का मौका देती है। साथ ही, यह कविता बच्चों को सब्जियों के नामों से परिचित कराती है और उनके भोजन में सब्जियों के महत्व को भी दर्शाती है।
कद्दू जी की चली बारात
कद्दू जी की चली बारात
हुई बताशों की बरसात।
बैंगन की गाड़ी के ऊपर
बैठे कद्दू राजा,
शलगम और प्याज ने मिलकर
खूब बजाया बाजा।
मेथी, पालक, भिंडी, तोरी
टिंडा, मूली, गाजर,
बने बाराती नाच रहे थे
आलू, मटर, टमाटर।
कद्दू जी हँसते मुस्काते
लौकी दुलहन लाए,
कटहल और करैले जी ने
चाट-पकोड़े खाए।
सुबह पता चली यह बात
सपना देखा था यह रात!