कविता: मुन्ना मुन्नी चले स्कूल

Poem कविता "बंटी शंटी चले स्कूल" बच्चों के स्कूल जाने और पढ़ाई में रुचि लेने की कहानी को दर्शाती है। मुन्ना और मुन्नी, दो बच्चों की यात्रा, उनके सपनों और शिक्षा के प्रति उनके उत्साह को दिखाती है।

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Poem Munna Munni Chale School
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कविता: मुन्ना मुन्नी चले स्कूल : Poem कविता "बंटी शंटी चले स्कूल" बच्चों के स्कूल जाने और पढ़ाई में रुचि लेने की कहानी को दर्शाती है। मुन्ना और मुन्नी, दो बच्चों की यात्रा, उनके सपनों और शिक्षा के प्रति उनके उत्साह को दिखाती है। इस कविता में बच्चों को पढ़ाई के महत्व और स्कूल के मजेदार अनुभवों को उजागर किया गया है। यह बताती है कि सीखना न केवल ज्ञान बढ़ाने का माध्यम है, बल्कि यह एक आनंददायक और प्रेरणादायक प्रक्रिया भी है।

मुन्ना मुन्नी चले स्कूल,
सिर पर बैग, हाथ में टूल।
रंग-बिरंगी किताबें साथ,
मुस्कान से सजी उनकी बात।

चिड़िया बोली, "चले कहाँ?"
मुन्ना बोला, "एजुकेशन है जहाँ"
मुन्नी बोली, "सपने लाएंगे,
नए-नए हम खेल रचाएंगे।"

सूरज बोला, "जाओ भाई,
ज्ञान की जोत जलाओ भाई।"
पेड़ झूमे, फूल मुस्काए,
दोस्तों के संग पढ़ने आए।

Poem Munna Munni Chale School

कक्षा में सब पढ़ने बैठे,
गुरुजी ने बातें सिखाई अच्छे।
अ, आ, ई, की धुन गाई,
ज्ञान की गंगा बहाई।

खेल-खेल में पढ़ाई होती,
हर दिन नई कहानी होती।
बंटी बोला, "बड़ा मजा है,
शंटी ने कहा, "मुझे भी आया बड़ा मज़ा है।"

संगति से हर काम बने,
ज्ञान से हर सपना सजे।
मुन्ना-मुन्नी ने सीखा बात बनाना,
ज्ञान का दीपक है जलाना।

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