मेरा घर है जग से न्यारा: यह कविता हमारे घर की खूबसूरती और उसकी महत्ता को दर्शाती है। यह न केवल एक संरचना है बल्कि प्रेम, स्नेह, और सुरक्षा का प्रतीक है। घर हमें हर मुश्किल से बचाता है और सुख-दुख में हमारा साथी होता है। यहाँ माँ की रसोई की गंध, पिता की छाया, भाई-बहन का साथ और हर कोने का अपना महत्व होता है। यह कविता घर के हर पहलू को बखूबी उजागर करती है, जो इसे अनमोल बनाता है। कितना सुंदर कितना प्यारा,मेरा घर है जग से न्यारा।धूप ठंड से मुझे बचाता,वर्षा को भी दूर भगाता। सुख-दुख का साथी है मेरा,हर कोने में बसता बसेरा।आंगन में खिलते फूलों की बात,प्यारी और चिड़ियों का साथ। दरवाजे पर सजती हर खुशी,घर में रहती है सदा हंसी।दीवारें नहीं, ये सपने हैं,मेरा घर, मेरे अपने हैं। माँ के हाथों की रसोई,जीवन में पाता हर कोई।पिता के आशीष की छाया,यहाँ हर दिन पर्व सा आया। भाई-बहन की मीठी झंकार,घर को बनाते जादुई संसार।हर कोना कहता अपना हाल,मेरा घर है, अनमोल कमाल। सांझ ढले जब दीप जलाता,घर स्नेह से भर जाता।मेरा घर है सुख का सागर,यहाँ हर दिन नया आधार। और पढ़ें : आम की टोकरी - हिंदी कहानी सर्दी पर बाल कविता - "जाड़ा" प्रेम-प्रीत हो सबकी भाषा बाल कविता : जनवरी की सर्दी