नटखट नीटू के बनाये गैजेट फुटबाल और शूज दोनों रोबो की बुराई करते हैं, शूज वाला गैजेट फूटबाल को रोबो के खिलाफ भड़काता है, तभी वहां रोबो आ जाता है, दोनों में काफी बहस हो जाती है, तब रोबो उस फूटबाल में इतनी हवा भर देता है कि बॉल बहुत ही बड़ी हो जाती है…उसके बाद क्या हुआ जानने के लिए जरूर पढ़ें ये मजेदार कॉमिक नटखट नीटू और हार जीत
Child Story in Hindi : नन्हीं चुटकी चिड़ियाँ अपने उड़ने की कल्पना करके बहुत खुश थी। वह काफी दिनों से इंतजार में थी कि उसकी मां उसे कब उड़ना सिखाएगी।
पर आज उसकी यह तमन्ना पूरी होने जा रही थी। माँ ने उससे कहा, चुटकी, अब मैं तुम्हें उड़ना सिखा रही हूँ। पर तुम अभी बच्ची हो, इसलिए मेरे पीछे-पीछे ही रहना। किसी और तरफ जाने की कोशिश न करना।
सुन्दर बन्दर के वन की जनसंख्या बहुत कम थी, सुन्दर बन्दर अपने पिता के साथ उसी वन में रहता था। उसकी बन्दरिया माँ उसको बचपन में ही छोड़ गई थी।
सुन्दर बन्दर को बचपन से ही पढ़ने का बड़ा शौक था। उसने अपने पिता से ज़िद करके जंगल से दूर एक स्कूल में दाखिला ले लिया था
मज़ेदार कहानी:सपने में देखा खजाना – मुगल सिपहसालार शायस्त खाँ बड़ा बुद्धिमान था। उसे विज्ञान और कला से बड़ा प्रेम था। फुर्सत के क्षणों में वह कला और विज्ञान पर नई नई खोजें किया करता था।
बाल कहानी : (Hindi Kids Story) सुबह का भूला- सोनू आठवीं कक्षा में पढ़ता था। पढ़ाई लिखाई और खेलकूद दोनों में ही वह काफ़ी अच्छा था। देखने भालने में भी बुरा नहीं था। परन्तु उसकी एक आदत बड़ी खराब थी।
प्रायः सोनू अपने साथियों से झूठ बोलता रहता। उन्हें किसी न किसी बहाने परेशान करने और मूर्ख बनाने में उसे बड़ा आनन्द मिलता था।
ऐसा करते समय वह कभी नहीं सोचता कि उसके साथी इस बात से कितने दुखी होतेे थे।
एक बार सोनू ने अपनी माँ से लालन्दा नाम की एक परी की कहानी सुनी। मां ने बताया था कि लालन्दा परी कठिनाई में फँसे बच्चों की बहुत सहायता करती थी। तभी सोनू के दिमाग में एक नई शरारत सूझी।
प्रेरणादायक बाल कहानी : सेवा का व्रत
अगले दिन सोनू ने अपने मित्र विकास से कहा कि लालन्दा परी बच्चों के पैसे दोगुनेे कर देती है।
वह कैसे?
विकास के पूछने पर सोनू ने बताया, कल रात को लालन्दा परी मेरे सपने में आई थी। उसने कहा कि गांव के कुएं के पास वाले पीपल की जड़ में हम जितने पैसे गाडेंगे, अगले दिन वहीं खोदने पर हमें दोगुने पैसे मिलेंगे।
शाम होने पर सोनू चुपचाप कुएं की ओर चल पड़ा। तभी आकाश में बादल छा गए। इससे चारों ओर बहुत गहरा अंधेरा हो गया।
सोनू कुएँ के पास पहुंचकर पीपल के नीचे खोदने लगा। तभी उसके कानों में मधुर संगीत के स्वर सुनाई दिए। सोनू को लगा कि पीपल के ऊपर प्रकाश सा फैल गया। उसने गर्दन उठाकर ऊपर देखा तो स्तब्ध रह गया।
लालच का नतीजा
पीपल की एक मोटी सी डाल पर एक सुन्दर परी बैठी मुस्करा रही थी। उसके चांदी जैसे सफेद कपड़ों से जैसे रोशनी की किरणें फूट पड़ी थीं। उसके सुन्दर पंखों को देखकर तो सोनू मुग्ध होने लगा।
ऐसे क्या देख रहे हो?
सोनू?
तुम कौन हो?
अरे मुझे नहीं पहचानते?
तुमने ही तो कहा था कि लालन्दा परी गाड़े गए पैसों को दोगुना कर देगी। इसलिए तो मैं यहाँ आई हूँ।
तो तुम लालन्दा परी हो?
हाँ, लेकिन यहाँ आने के लिए पूरे आकाश में उड़ना पड़ा। इतनी देर तक मैं एक साथ कभी नहीं उड़ी। मैं बहुत थक गई हूँ।
तो तुमने इतनी तकलीफ क्यों उठाई?
सोनू ने उत्सुकता के साथ पूछा तो लालन्दा परी कहने लगी। केवल अपने आप को सच्चा रखने के लिए।
क्या मतलब?
मतलब यह कि तुमने मेरा नाम लेकर विकास से झूठ कहा। अगर मैं यहाँ आकर उसके पैसे दुगुने नहीं करती तो वह मुझे झूठी और धोखेबाज़ कहता। इसमें मेरी कितनी बदनामी होती?
लालन्दा परी की बात सुनकर सोनू सोच में पड़ गया।
क्या सोचने लगे सोनू?
मैं सोच रहा था कि अपने आपको झूठा होने से बचाने के लिए आपने कितनी पेरशानी उठाई है। पर क्या मजाक में बोले झूठ से भी बदनामी होती है?
झूठ तो झूठ ही होता है चाहे वह हँसी ही क्यों ना हों।
झूठ बोलने वाले का मान नहीं रहता।भविष्य में कोई उसका विश्वास नहीं करता और कठिनाई आने पर कोई उसका साथ नहीं देता।
लालन्दा परी की बात सुनकर सोनू दुखी हो उठा। उसे अपनी भूल का आभास हो गया और वह मन ही मन पश्चाताप भी करने लगा। उसकी यह दशा देखकर लालन्दा परी उसे समझाने लगी।
सुबह का भूला यदि शाम को घर लौट आए तो वह भूला नहीं कहलाता। तुम वचन दो कि आगे से कभी झूठ बोलकर किसी को परेशान नहीं करोगेे। और हाँ विकास को भी सब सच सच बता दोगेे।
मैं वचन देता हूँ।
अगले दिन सोनू विकास के पास स्कूल जाने से पहले गया। उसे अपने झूठ और लालन्दा परी वाली सारी बात सच सच बता दी।
एक चित्रकार था जिसकी दो बेटियाँ थीं। उसकी एक बेटी बहुत सुंदर और दूसरी बेटी बदसूरत थी। चित्रकार को अपनी सुंदर बेटी को देखकर बहुत खुशी होती थी और वह उसी को देखकर अपनी चित्रकारी करता था।
प्रेरणादायक कहानी : रावण का श्राप लंका नामक स्वर्ण मंडित नगरी की पश्चिमी समरभूमि पर घमासान युद्ध चल रहा था। एक ओर रामचन्द्र जी की वानर सेना डटी थी तो दूसरी ओर लंकाधिपति रावण की भयंकर राक्षसी सेना। दोनों सेनाओं के वीर योद्धा प्राणों से जूझ रहे थे। आज समर भूमि में एक अनोखा कोलाहल और विचित्र उत्तेजना व्याप्त थी। वानर सेना के समरनायक स्वयं प्राभु श्रीराम थे जबकि राक्षसी सेना का हौंसला लंकाधिपति महाबली रावण स्वयं युद्ध का संचालन कर रहा था।
Jungle Story भगवान का दूत: उल्लू वन में सिर्फ उल्लू ही रहते थे। इसलिए उन्हें यह पता नहीं था कि उनके सिवा कोई ऐसा पंछी होता है जो दिन में भी देख सकता हो।
एक दिन अचानक उल्लू वन में एक काला, लंबी चोंच वाला कौआ आ पहुँचा। उसने चश्मा पहन रखा था। उसकी गर्दन में एक थैला लटक रहा था।
रात होतेे ही वन के उल्लू झुण्ड बनाकर उस विचित्र पंछी को देखने पहुँचे। एक उल्लू ने पास आकर उससे पूछा, आप कौन है? और कहाँ से आये हैं?
जी हा! आशा और निराशा दोनों सखियां प्रतिस्पर्धा की भावना से प्रेरित होकर जीवन-पथ पर निरन्तर दौड़ लगाती रहती हैं। कभी आशा आगे निकल जाती है तो कभी निराशा बाजी मार ले जाती हैं। जब आशा जीतने लगती है तो मनुष्य बहुत महत्त्वाकांक्षी हो जाता है। साथ ही अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिये वह जी-जान से परिश्रम करता है। वह सोचने लगता है। कि मेहनत के बल पर वह अवश्य अपनी मंजिल को पा लेगा। इसके विपरीत जब निराशा विजय होने लगती है। तो मनुष्य जीवन से हार मान लेता है। उसे अपने सभी प्रयत्न बेकार लगने लगते हैं।
प्राचीन काल में सोरठ राज्य के राजा वीर भद्र दान-पुण्य के लिए बड़े लोकप्रिय थे। द्वार पर आने वाला कोई भी याचक खाली हाथ न जाता था।, उनका यह सारा दान, अनीति और अधर्म की कमाई से होता था।