Jungle Story: काबीलियत
किसी जंगल में एक बहुत बड़ा तालाब था। तालाब के पास एक बगीचा था, जिसमे अनेक प्रकार के पेड़ पौधे लगे थे। दूर-दूर से लोग वहाँ आते और बगीचे की तारीफ करते।
किसी जंगल में एक बहुत बड़ा तालाब था। तालाब के पास एक बगीचा था, जिसमे अनेक प्रकार के पेड़ पौधे लगे थे। दूर-दूर से लोग वहाँ आते और बगीचे की तारीफ करते।
उस दिन भी पहले पूरब दिशा लाल हुई और तब नये साल का सूरज उग आया। हरी मखमली घास पर फैला कोहरा सूखने लगा और काफी देर बाद जब सर्दी काफी कम हो गई तो मोटा मेंढ़क अपने गर्म घर को छोड़कर बाहर निकल आया।
वन में सभी जानवर व पक्षी बरसात के आगमन की तैयारी करने में लगे थे, सिर्फ चूहा ही निश्चिंत हो अपने बिल में बैठा था, तभी खरगोश वहां आया क्यों चूहे भाई! तुम्हे बरसात की तैयारी नहीं करनी? देखो सभी लोग तैयारी में व्यस्त हैं।
एक रात की बात है, बरसात की वह अंधेरी रात थी। एक बंदर की एक उड़ते हुए जुगनू पर नज़र पड़ गयी। उसने लपक कर उसे पकड़ लिया। बंदर ने खिसिया कर कहा, ‘भाग कर कहाँ जाओगे! डरपोक कहीं के। अंधेरे से डरते हो, तो बाहर क्यों निकलते हो?
एक जंगल था, उस जंगल में बहुत से जानवर रहते थे। शेर भी रहता था। वह बूढ़ा हो चला था। उसे शिकार करने में कठिनाई होती थी। बड़े दिनों से उसे कोई शिकार नहीं मिला था। इसलिए उसने अपने साथी ऊंट को ही अपना शिकार बना लिया।
जंगल का राजा शेर बड़ा नेक दिल और न्यायप्रिय था। सारे जंगल के जानवर उसकी व्यवस्था से खुश थे। न्याय के मामले में किसी के साथ पक्षपात नहीं होता था। धोखेबाजी और मक्कारी से तो राजा को बहुत ही नफरत थी।
बहुत समय पहले की बात है एक सरोवर में बहुत सारे मेंढक रहते थे। सरोवर के बीचों-बीच एक बहुत पुराना धातु का खम्भा भी लगा हुआ था जिसे उस सरोवर को बनवाने वाले राजा ने लगवाया था। खम्भा काफी ऊँचा था और उसकी सतह भी बिलकुल चिकनी थी।