मजेदार हिंदी कहानी: कलाकार
सूर्य नगर में धनंजय नाम का एक बहुरूपिया रहता था अपनी रूप बदलने की कला को प्रदर्शित कर वह लोगों को प्रसन्न करता था। और अपनी जीविका चलाता था इस कला में वह इतना दक्ष था कि कई बार लोग उसे पहचान नहीं पाते थे।
सूर्य नगर में धनंजय नाम का एक बहुरूपिया रहता था अपनी रूप बदलने की कला को प्रदर्शित कर वह लोगों को प्रसन्न करता था। और अपनी जीविका चलाता था इस कला में वह इतना दक्ष था कि कई बार लोग उसे पहचान नहीं पाते थे।
एक सेठ था वह बड़ा ही कंजूस था जीवन में उसने बहुत धन कमाया पर कौड़ी-कौड़ी दांत में दबाकर रखी। कभी किसी को एक भी पैसा नहीं दिया। यहां तक कि अपने बीवी बच्चों को भी पैसे को हाथ न लगाने दिया।
मुर्खानंद गधे ने जब होटल खोला, तो जंगल के जानवरों को बड़ा आश्चर्य हुआ। कारण वे सभी यह अच्छी तरह जानते थे कि गधे जी होटल नहीं चला पाएँगे। भला अनपढ़ भी किसी काम का होता है।
विजय अपने माता-पिता के साथ सुजानगढ़ में रहता था। वह अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। वह बहुत शरारती था। पढ़ने से वह हमेशा जी चुराता था। पढ़ाई की वजह से वह स्कूल से कई बार भाग भी जाता था।
किसी जंगल में एक मक्खी और हाथी की मित्रता की बड़ी चर्चा थी। लेकिन जंगल के अधिकांश पशु-पक्षी उनकी मित्रता की बातों को सुनकर हंसते थे। कारण यह था कि मक्खी जब भी हाथी से मिलती थी।
सिंहपुर के राजा का नाम मूलदेव था। वे बहुत योग्य और प्रतापी राजा थे। कालांतर में उन्होंने वीरपुर राज्य को भी जीत लिया। अब वे दो राज्यों के महाराज थे। मूलदेव के 2 बेटे थे।
रवि गरीब लड़का था। उसके पिताजी का निधन हो चुका था। उसकी माता घर पर सिलाई मशीन चलाकर मुहल्ले वालों के कपड़े सिलकर अपना तथा रवि का गुजारा चलाया करती।