हिंदी नैतिक कहानी: धन का मोल
एक सेठ था वह बड़ा ही कंजूस था जीवन में उसने बहुत धन कमाया पर कौड़ी-कौड़ी दांत में दबाकर रखी। कभी किसी को एक भी पैसा नहीं दिया। यहां तक कि अपने बीवी बच्चों को भी पैसे को हाथ न लगाने दिया।
एक सेठ था वह बड़ा ही कंजूस था जीवन में उसने बहुत धन कमाया पर कौड़ी-कौड़ी दांत में दबाकर रखी। कभी किसी को एक भी पैसा नहीं दिया। यहां तक कि अपने बीवी बच्चों को भी पैसे को हाथ न लगाने दिया।
मुर्खानंद गधे ने जब होटल खोला, तो जंगल के जानवरों को बड़ा आश्चर्य हुआ। कारण वे सभी यह अच्छी तरह जानते थे कि गधे जी होटल नहीं चला पाएँगे। भला अनपढ़ भी किसी काम का होता है।
विजय अपने माता-पिता के साथ सुजानगढ़ में रहता था। वह अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। वह बहुत शरारती था। पढ़ने से वह हमेशा जी चुराता था। पढ़ाई की वजह से वह स्कूल से कई बार भाग भी जाता था।
किसी जंगल में एक मक्खी और हाथी की मित्रता की बड़ी चर्चा थी। लेकिन जंगल के अधिकांश पशु-पक्षी उनकी मित्रता की बातों को सुनकर हंसते थे। कारण यह था कि मक्खी जब भी हाथी से मिलती थी।
सुंदरवन में पलटू नाम का एक गधा रहता था। वह हर समय उटपटांग हरकत करता रहता था और बिना मतलब की बातें सोचा करता था। कभी-कभी उसकी सोच के चक्कर में जंगल के जानवर भी फंस जाते थे।