गोपू और धनिक: आशा का अद्भुत खजाना
गोपू और धनिक के बीच कोई मित्रता नहीं थी और न ही उनके जीवन में कोई समानता। गोपू एक गरीब मजदूर था, जो दिनभर खेतों में कड़ी मेहनत करता। दूसरी ओर, धनिक एक अमीर व्यापारी था
गोपू और धनिक के बीच कोई मित्रता नहीं थी और न ही उनके जीवन में कोई समानता। गोपू एक गरीब मजदूर था, जो दिनभर खेतों में कड़ी मेहनत करता। दूसरी ओर, धनिक एक अमीर व्यापारी था
दरवाजे पर दस्तक हुई। गौरी दरवाजा खोलने में हिचकिचा रही थी क्योंकि वो घर में अकेली थी। उसका पति शंकर घर से कहीं बाहर गया था और तीन दिन बाद वापिस आने वाला था।
शहर के एक छोटे से मोहल्ले में सोनू नाम का एक लड़का रहता था। सोनू को गैजेट्स और नई तकनीक से बहुत प्यार था। वह हमेशा अपने मोबाइल गेम्स और ऐप्स में ही व्यस्त रहता था, लेकिन स्कूल में मोबाइल ले जाना मना था
भारत के किसी प्रान्त में एक गांव था, उस गांव के आस पास 10 कि.मी तक कोई अस्पताल नहीं था। जब भी कोई बीमार पड़ता उसका एक मात्र सहारा गांव के हकीम ही थे।
नरेश के विवाह की सारी तैयारियाँ पूरी हो चुकीं थीं। उसने एक नयी शेरवानी अनिवार्यता बनवाई थी। जब वह अपने कपड़ों को चैक कर रहा था तभी अक्समात उसे पता लगा कि एक वस्त्र तो वह भूल ही गया है।
एक गरीब किसान था, उसके दो बेटे थे। एक का नाम था रामू तथा दूसरे का नाम भोला था। किसान बहुत मेहनती था, पहले वह दूसरे के खेतों में मजदूरी करता था।
गर्मी की एक शाम नसरू घर के बाहर पेड़ के नीचे आराम कर रहा था। तभी उसे कुछ खटपट सुनाई दी। उसने मुड़ कर देखा तो उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। एक चोर उसके मकान में घुस रहा था।