Jungle Story : चुहिया की होशियारी
एक घने जंगल के किनारे, बांस की झाड़ियों के बीच चुहिया रानी का छोटा सा घर था। चुहिया रानी, जो सबकी प्यारी और शरारती थी, दिन भर इधर-उधर उछल-कूद करती रहती।
एक घने जंगल के किनारे, बांस की झाड़ियों के बीच चुहिया रानी का छोटा सा घर था। चुहिया रानी, जो सबकी प्यारी और शरारती थी, दिन भर इधर-उधर उछल-कूद करती रहती।
एक घना जंगल था, जहाँ अलग-अलग तरह के जानवर रहते थे। उसी जंगल में मोनू नाम का एक चालाक बंदर भी रहता था। मोनू अपनी शरारतों और चतुराई के लिए पूरे जंगल में मशहूर था।
किसी घने जंगल में एक बहुत बड़ा पेड़ था। उस पेड़ पर कई बगुलों के परिवार बसे हुए थे। बगुले दिनभर तालाबों और नदियों के किनारे जाकर मछलियां पकड़ते और अपना जीवन खुशी-खुशी बिताते।
नए साल की पहली किरण जैसे ही आसमान में टिमटिमाने लगी, गुलमोहर के पेड़ पर सोया किटू बंदर तुरंत जाग गया। उछलकर जोर से चिल्लाया, "जंगल के सभी प्राणियों की ओर से, सूरज दादा, मैं तुम्हें बधाई देता हूं।"
चंपकपुर जंगल में जानवरों की मस्ती का कोई जवाब नहीं था। यहां के जानवर हंसी-खुशी अपना जीवन बिताते थे। जंगल के दो सबसे मजेदार साथी थे - मोंटी बंदर और भोलू गधा।
कुत्ते का एक छोटा-सा पिल्ला अपने माता-पिता के साथ जंगल के पास रहता था। एक दिन उसके माता-पिता खाना ढूंढने के लिए निकले। शाम होने लगी लेकिन वे वापिस नहीं आए। पिल्ले को डर लगने लगा।
एक समय की बात है, एक घने जंगल में एक ऊंचे पेड़ पर एक गौरैया का घोंसला था। वह घोंसला उसका प्यारा घर था, जिसमें वह और उसके बच्चे रहते थे। सर्दी के दिन थे, और कड़ाके की ठंड से पूरा जंगल ठिठुर रहा था।