Motivational Story: दिवाली का जोश
दिवाली के दिन पटाखों की आवाज़ों की वजह से चंदन अपने कानों को हाथ से ढक रहा था ताकि पटाखों की आवाज़ उसके कानों में ना जाए। पूरा शहर रोशनी से जगमगा रहा था। हर जगह पटाखे फूट रहे थे।
दिवाली के दिन पटाखों की आवाज़ों की वजह से चंदन अपने कानों को हाथ से ढक रहा था ताकि पटाखों की आवाज़ उसके कानों में ना जाए। पूरा शहर रोशनी से जगमगा रहा था। हर जगह पटाखे फूट रहे थे।
एक व्यक्ति ने भगवान बुद्ध से पूछा, ‘‘जीवन का मूल्य क्या है?’’ बुद्ध ने उसे एक चमकता पत्थर दिया और कहा, ‘‘इसका मूल्य पता करके आओ लेकिन ध्यान रखना इसको बेचना नहीं है।’’ वह व्यक्ति बाजार में एक संतरे वाले के पास गया।
दीपक रोज़ शाम को अपने घर से कुछ दूर एक मैदान में फुटबाल खेलने जाता था। उस दिन उसकी बुआ का लड़का पिंकू भी आया हुआ था। वह भी दीपक के साथ जाने की ज़िद करने लगा तो दीपक उसे भी अपने साथ ले गया।
अंगिरा ऋषि अपनी विद्वता और तेजस्विता के लिए प्रसिद्ध थे। उनके मार्गदर्शन में अनेक शिष्य ज्ञान प्राप्त कर अपना जीवन सफल बनाते थे। उदयन उनका एक अत्यंत प्रतिभावान शिष्य था। ऋषि उसके प्रति स्नेह रखते थे।
जब अरुण छोटा था, तो वह बहुत आलसी और कभी कभी डरता भी था। जब कभी नई चीजों की बात आती थी, तो अरुण सोचता ही रह जाता था। वह कुछ भी नए काम करने से पहले बहुत सावधानी बरतता था। कई चीजों को करने से अरुण बहुत डरता था।
बहुत समय पहले की बात है, बहुत दूर एक बहुत सुंदर लड़की रहती थी जो बहुत नाजुक और प्यारी थी। उसके माता पिता ने उसे बढ़े प्यार से बड़ा किया था। जब वह नदी के किनारे बैठती थी, तो सभी चिढ़ियां और पक्षी उसके आसपास घूमते रहते थे।
एक लड़की थी, जिसका नाम था सोनिया। वह बहुत कम बोलती थी, लड़ाई-झगड़ा तो दूर की बात थी। वह अपनी कक्षा में अध्यापक से भी कोई प्रश्न नहीं करती थी। इसीलिए सभी उसे संकोची लड़की के नाम से जानते थे।