थॉमस एडिसन की हार न मानने की जिद: असफलता से सफलता तक का सफर
Web Stories थॉमस एडिसन का नाम सुनते ही हमें उनकी महानतम खोज "बिजली का बल्ब" याद आता है। लेकिन इस सफलता के पीछे एडिसन की कड़ी मेहनत, धैर्य और हार न मानने की जिद छिपी है।
Web Stories थॉमस एडिसन का नाम सुनते ही हमें उनकी महानतम खोज "बिजली का बल्ब" याद आता है। लेकिन इस सफलता के पीछे एडिसन की कड़ी मेहनत, धैर्य और हार न मानने की जिद छिपी है।
थॉमस एडिसन का नाम सुनते ही हमें उनकी महानतम खोज "बिजली का बल्ब" याद आता है। लेकिन इस सफलता के पीछे एडिसन की कड़ी मेहनत, धैर्य और हार न मानने की जिद छिपी है।
यह कहानी है दिल्ली शहर के एक छोटे से मोहल्ले की, जहाँ सभी लोग क्रिसमस की तैयारियों में व्यस्त थे। बच्चे गिफ्ट्स की उम्मीद कर रहे थे और हर घर में चमकते-दमकते क्रिसमस ट्री सजे हुए थे।
मनोहर नाम का एक युवक अपने बड़े भाई सुरेंद्र के साथ अपने पुश्तैनी मकान में रहता था। उनके पिता एक गरीब किसान थे, जो खेती करके परिवार का गुजारा करते थे। मनोहर केवल छठी कक्षा तक पढ़ा था
खींचू खटमल और रिंकी चींटी में बहुत अच्छी दोस्ती थी। दोनों एक साधारण से घर में रहते थे। खींचू खटमल बूढ़े मकान मालिक की चारपाई में रहता था, जबकि रिंकी चींटी उसी कमरे में एक छोटे से बिल में रहती थी।
विद्यालय में पी.टी. के शिक्षक सर मेलन बच्चों के खेलते समय उनकी सावधानी पर नजर रख रहे थे। सभी छात्र खेल के मैदान में अपनी ऊर्जा के साथ झूम रहे थे, लेकिन सर की नजरें एक विशेष घटना पर टिक गईं।
एक बार की बात है, शहर के एक छोटे से मोहल्ले में सूरज नाम का एक नटखट लड़का रहता था। उसकी शरारतों से पूरा मोहल्ला परेशान रहता था, लेकिन सब उसे बहुत प्यार भी करते थे।