बाल कहानी : नया साल कैसे मनाया
पुराना साल बीत चुका था। नए वर्ष का प्रथम दिन था। विद्यालय में पहली घंटी अभी-अभी बज कर खामोश हुई थी। कक्षा में हर विद्यार्थी अपने-अपने सहपाठी से अपनी अनोखी बातें सुनाने को उत्सुक था।
पुराना साल बीत चुका था। नए वर्ष का प्रथम दिन था। विद्यालय में पहली घंटी अभी-अभी बज कर खामोश हुई थी। कक्षा में हर विद्यार्थी अपने-अपने सहपाठी से अपनी अनोखी बातें सुनाने को उत्सुक था।
प्रिया के विशाल बंगले में रंग-बिरंगे गुलाब के पौधे उगे थे। वह स्कूल जाने से पूर्व दो-तीन किस्म के गुलाब के फूल तोड़ती। कभी अपनी मैडम को, तो कभी अपनी सहेलियों को वह फूल भेंट किया करती...
किसी राज्य का राजा अचानक गुजर गया। पूरे दरबार में खलबली मच गई कि अब नया राजा कौन होगा? राज्य के मंत्री और दरबारी गहन विचार में पड़ गए। तभी महल के बाहर से एक फ़कीर गुजर रहा था।
बरसात का मौसम आने वाला था। आसमान में बादल उमड़-घुमड़ रहे थे, और हवा में नमी बढ़ गई थी। एक नन्ही चिड़िया, जो अपने बच्चों के साथ नदी किनारे एक सुरक्षित आश्रय ढूंढ रही थी, वह पेड़ों की ओर जा पहुँची।
एक बार देव शर्मा नाम का एक साधु हुआ करता था, जो शहर से दूर एक मंदिर में रहता था। वह लोगों के बीच काफी चर्चित और सम्मानित भी था। लोग उपहार, खाद्य सामग्री और पैसे लेकर उनसे मिलने और उनका आर्शीवाद लेने आते थे।
शहर में हरिदत्त नाम का एक ब्राह्मण रहता था। वह एक फार्म चलाता था। वह बहुत मेहनती था, लेकिन इतनी मेहनत के बाद भी उसे फार्म से पूरा उत्पादन नहीं मिलता था।
आनंदपुर, एक हरा-भरा और खुशहाल शहर था, जहां लोग सुख-शांति के साथ रहते थे। इसी शहर में वीरू नाम का एक साहसी और मददगार लड़का था, जिसे सभी लोग पसंद करते थे।