Jungle story: कोयल की मीठी बोली
किसी पहाड़ी के समीप हरे-भरे वृक्षों वाला उपवन था। उपवन में पोखर था। पोखर में एक मेंढक रहा करता था। वह पोखर भर में खूब चहलकदमी करता। उपवन की हरियाली उसे बेहद भाती थी।
किसी पहाड़ी के समीप हरे-भरे वृक्षों वाला उपवन था। उपवन में पोखर था। पोखर में एक मेंढक रहा करता था। वह पोखर भर में खूब चहलकदमी करता। उपवन की हरियाली उसे बेहद भाती थी।
एक था सियार। बेहद कामचोर और आलसी। दिन भर अपनी मांद में पड़ा रहता था। उसकी पत्नी भी उससे परेशान थी। बच्चों के लिए खाना उसे ही लाना पड़ता था। लेकिन ऐसे कितने दिनों तक चलता।
चंपक वन में जंबो हाथी की किराने की दुकान थी। एक दिन अचानक दुकान में आग लग गई। सारा सामान जल गया। कुछ भी नहीं बचा। नगद रूपए भी जल गए। जंबो ने बहुत से जानवरों को उधार दे रखे थे।
चंपक वन का राजा शेर सिंह और श्यामल भालू दोनों मित्र थे। दोनों की मित्रता इतनी गहरी थी कि बगैर एक दूसरे को देखे चैन नहीं पड़ता था। एक दिन श्यामल भालू, राजा शेर सिंह के पास नहीं जा सका।
चंचल वन के शिव मन्दिर में कुछ दिन से लगातार चोरियां हो रहीं थीं। मन्दिर का पूरा चढ़ावा इस तरह से गायब हो जाता था कि मानो वहां कुछ था ही नहीं। चोर का अभी तक कुछ पता नहीं चल पा रहा था। इसलिए वन के सभी प्राणी बहुत चिंतित थे।
एक जंगल में एक हाथी और एक बकरी रहते थे। दोनों बहुत पक्के दोस्त थे। दोनों साथ में मिलकर हर दिन खाने की तलाश करते और साथ में ही खाते थे। एक दिन दोनों खाने की तलाश में अपने जंगल से बहुत दूर निकल गए।
अप्पू हाथी और गप्पू बन्दर पक्के दोस्त थे। पिछले तीन सालों से वे एक ही कक्षा में पढ़ते-पढ़ते ऊब गये थे। पढ़ाई-लिखाई में उनका मन नहीं लगता था। दिन भर स्कूल में अध्यापकों से डांट खाते थे और शाम को मम्मी-पापा से।