Jungle Story: बांसुरी की धुन
मोंटी बन्दर बांसुरी बहुत अच्छी बजाता था। उसकी बांसुरी की धुन सुनने के लिए उसके आसपास जानवरों की भीड़ जमा हो जाती थी। जानवर मीठी धुन सुनकर सबकुछ भूल जाते थे। एक दिन मोंटी बंदर पीपल के पेड़ के नीचे।
मोंटी बन्दर बांसुरी बहुत अच्छी बजाता था। उसकी बांसुरी की धुन सुनने के लिए उसके आसपास जानवरों की भीड़ जमा हो जाती थी। जानवर मीठी धुन सुनकर सबकुछ भूल जाते थे। एक दिन मोंटी बंदर पीपल के पेड़ के नीचे।
नंदन वन और सुन्दर वन पास-पास ही थे। नन्दन वन की खुशहाली सुन्दर वन के जानवरों को फूटी आंख न सुहाती थी। सुन्दर वन का राजा किसी भी तरह नन्दन वन पर कब्जा करना चाहता था। नंदन वन का राज वीर बहादुर शेर बहुत पराक्रमी था।
एक बकरी थी और एक उसका मेमना। दोनों जंगल में चर रहे थे। चरते-चरते बकरी को प्यास लगी। मेमने को भी प्यास लगी। बकरी बोली- “चलो, पानी पी आएँ।” मेमने ने भी जोड़ी, “हाँ माँ! चलो पानी पी आएँ।”
एक कौवा एक वन में रहा करता था, उसे कोई कष्ट नहीं था और वह अपने जीवन से पूरी तरह संतुष्ट था। आजादी से जब चाहे, जहां चाहे, उड़ता फिरता था। एक दिन उड़ते हुए वह एक सरोवर के किनारे पहुँचा।
एक नौजवान चीता पहली बार शिकार करने निकला। अभी वो कुछ ही आगे बढ़ा था कि एक लकड़बग्घा उसे रोकते हुए बोला, “अरे छोटू, कहाँ जा रहे हो तुम?” “मैं तो आज पहली बार खुद से शिकार करने निकला हूँ!”
मिंटू जिराफ इतना बदमाश एवं घमंडी हो गया था की दिनों-दिन उसकी शैतानी बढ़ती जा रही थी। वह जवान भी हो चला था। उसका शरीर बलवान एवं ताकतवर बनता जा रहा था। जंगल के जानवर अपनी गर्दन ऊंची करके ही उससे आँखे मिला पाते थे।
चलते-चलते अचानक ऋतु बिल्ली रूक गई। सामने से उसकी पुरानी सहेली चिंकी जा रही थी। ऋतु ने जोर से आवाज लगायी, “अरे ओ चिंकी! कैसी है, कहां जा रही है? आजकल दिखायी नहीं देती।'' चिंकी रास्ता पार करके ऋतु के पास आती है।