Fun Story: बाबापुर की रामलीला
हर वर्ष दशहरे से पूर्व काशी की नाटक मंडली विजयनगर आती थी। सामान्यतः वे राजा कृष्णदेव राय तथा विजयनगर की प्रजा के लिए रामलीला किया करते थे। परंतु एक बार राजा को सूचना मिली कि नाटक मंडली विजयनगर नहीं आ रही है।
हर वर्ष दशहरे से पूर्व काशी की नाटक मंडली विजयनगर आती थी। सामान्यतः वे राजा कृष्णदेव राय तथा विजयनगर की प्रजा के लिए रामलीला किया करते थे। परंतु एक बार राजा को सूचना मिली कि नाटक मंडली विजयनगर नहीं आ रही है।
शैल और शीला के नाम मिलते-जुलते से थे। इसलिए नहीं की उनकी राशि एक थी बल्कि इसलिए कि वे जुड़वा थे उनमें अन्य भाई बहनों की तरह झगड़े नहीं होते थे। वे अच्छे दोस्तों की तरह रहते थे।
राजा चंद्रपाल सिंह राज दरबार में चिंतित बैठे थे। राज्य में चोरी-डकैती का नामोनिशान तक नहीं था। लेकिन इधर कुछ दिनों से उन्हें राज्य में बराबर चोरी होने की खबरें मिल रही थीं।
वह सोलह वर्षीय किशोर उन दिनों दाँतों के असह्य दर्द से बुरी तरह छटपटा रहा था। उच्च माध्यमिक विद्यालय स्तर के स्कूल में पढ़ने वाला यह मेघावी छात्र बेन, को दाँतों की पीडा से राहत पाने की गरज से पूछा तुम्हें किस नाम से पुकारते हैं, भैया?
एक थी गरीब भोली-भाली लड़की कनिका। सीधी, सरल लड़की अपनी मां के साथ रहती। अक्सर दोनों मां-बेटी को भूखा ही सोना पड़ता, क्योंकि जहां वह रहती थीं, वहां उन्हें कोई काम भी नहीं मिल पाता था।
एक नगर में एक महात्मा जी कथा सुनाने हेतु पधारे। लोग रोज़ रात्रि को उनका प्रवचन सुनते और रोज़ कोई न कोई उन्हें अपने घर भोजन के लिये आमंत्रित करता महात्मा जी ज़िन्दगी में बहुत सादे और बुद्धिमान तथा ज्ञान में बहुत ही महान थे।
एक दिन बीरबल दरबार में देर से पहुँचा। जब बादशाह ने देरी का कारण पूछा तो वह बोला, ‘‘मैं क्या करता हुजूर! मेरे बच्चे आज जोर-जोर से रोकर कहने लगे कि दरबार में न जाऊं।