Jungle Story: मनुष्य का शिकार
एक था सियार। बेहद कामचोर और आलसी। दिन भर अपनी मांद में पड़ा रहता था। उसकी पत्नी भी उससे परेशान थी। बच्चों के लिए खाना उसे ही लाना पड़ता था। लेकिन ऐसे कितने दिनों तक चलता।
एक था सियार। बेहद कामचोर और आलसी। दिन भर अपनी मांद में पड़ा रहता था। उसकी पत्नी भी उससे परेशान थी। बच्चों के लिए खाना उसे ही लाना पड़ता था। लेकिन ऐसे कितने दिनों तक चलता।
एक थी गिलहरी, बहुत छोटी सी। मां उसे प्यार से छुटकी कहती थी। छुटकी दिनभर अपने कोटर में उछल-कूद मचाती थी। मां गिलहरी जब भी दाना-दुना लेने कोटर से बाहर जाती, उसे छुटकी की ही चिन्ता लगी रहती।
उपवन में वर्षा की पहली फूहार पड़ी थी। चारों ओर जैसे हरियाली थिरक उठी थी। विविध रंग के फूल मुस्कुराते हुए अपनी भीनी-भीनी सुगंध का खजाना लुटा रहे थे। नदिया कल-कल कर गा उठी थी।
जम्बो हाथी का बेटा मंटु काफी बड़ा हो गया था। परन्तु वह कोई काम न करता। दिनभर सोता रहता, या फिर इधर-उधर मटर गश्ती करता। जम्बो ने उसे समझाने की खूब कोशिश की। परन्तु उस पर जम्बो की बातों का कोई असर नहीं पड़ता।
चंपक वन में जंबो हाथी की किराने की दुकान थी। एक दिन अचानक दुकान में आग लग गई। सारा सामान जल गया। कुछ भी नहीं बचा। नगद रूपए भी जल गए। जंबो ने बहुत से जानवरों को उधार दे रखे थे।
चंपक वन का राजा शेर सिंह और श्यामल भालू दोनों मित्र थे। दोनों की मित्रता इतनी गहरी थी कि बगैर एक दूसरे को देखे चैन नहीं पड़ता था। एक दिन श्यामल भालू, राजा शेर सिंह के पास नहीं जा सका।
चंचल वन के शिव मन्दिर में कुछ दिन से लगातार चोरियां हो रहीं थीं। मन्दिर का पूरा चढ़ावा इस तरह से गायब हो जाता था कि मानो वहां कुछ था ही नहीं। चोर का अभी तक कुछ पता नहीं चल पा रहा था। इसलिए वन के सभी प्राणी बहुत चिंतित थे।