इंकार का भाव: एक प्रेरणादायक कहानी
बरसात का मौसम आने वाला था। आसमान में बादल उमड़-घुमड़ रहे थे, और हवा में नमी बढ़ गई थी। एक नन्ही चिड़िया, जो अपने बच्चों के साथ नदी किनारे एक सुरक्षित आश्रय ढूंढ रही थी, वह पेड़ों की ओर जा पहुँची।
बरसात का मौसम आने वाला था। आसमान में बादल उमड़-घुमड़ रहे थे, और हवा में नमी बढ़ गई थी। एक नन्ही चिड़िया, जो अपने बच्चों के साथ नदी किनारे एक सुरक्षित आश्रय ढूंढ रही थी, वह पेड़ों की ओर जा पहुँची।
शहर में हरिदत्त नाम का एक ब्राह्मण रहता था। वह एक फार्म चलाता था। वह बहुत मेहनती था, लेकिन इतनी मेहनत के बाद भी उसे फार्म से पूरा उत्पादन नहीं मिलता था।
आज रोहन बेहद उदास था. आज 31 दिसम्बर का दिन था. साल का आखिरी दिन. उसके सभी दोस्त उस रात पार्टी मनाने क्लब जा रहे थे. उसका भी पूरा मन था कि वो भी उनके साथ जाये. उसने अपनी माँ से जाने की जिद भी की थी
प्रताप और प्रकाश बचपन से साथ पढ़े थे। प्रताप आजकल दिल्ली में नौकरी कर रहा था प्रकाश अपने पुराने शहर में ही रह रहा था प्रकाश अपने दफ्तर के काम से दिल्ली आया था। अपना काम खत्म कर के उसने कुछ समय अपने दोस्त के साथ बिताया।
एक बार की बात है, कौशलपुरी राज्य के राजा राघवेंद्र सिंह शिकार खेलने के लिए जंगल में गए। लेकिन वहां रास्ता भटक गए और भूख-प्यास से व्याकुल होकर एक वनवासी की झोपड़ी तक जा पहुँचे।
इस कहानी में चिंटू नामक एक छोटे लड़के की यात्रा को दर्शाया गया है, जो अपने दोस्त के साथ खिलौने अदला-बदली करता है। इस दौरान उसे सच्चाई और ईमानदारी का महत्व समझ में आता है।
एक बार राजा मान सिंह ने राज्य में अंधे लोगों को भीख देने का फैसला किया। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई अंधा व्यक्ति भीख लेने से छूट न जाए।