Moral Story: ऐसे गुरु ऐसा शिष्य
एक बार सिकंदर और उसके गुरू अरस्तु कहीं जा रहे थे रास्ता घने जंगलों से होकर गुजरता था। कुछ दूर उफनता हुआ बरसाती नाला था। उसे पार किए बिना आगे बढ़ना संभव नहीं था।
एक बार सिकंदर और उसके गुरू अरस्तु कहीं जा रहे थे रास्ता घने जंगलों से होकर गुजरता था। कुछ दूर उफनता हुआ बरसाती नाला था। उसे पार किए बिना आगे बढ़ना संभव नहीं था।
सुरेश अपने परिवार के साथ एक गांव में रहता था। पढ़ने-लिखने में वह बिलकुल ही कमजोर था। साथ ही उसमें ये कमी थी कि वो खुद को बहुत ही बुद्धिमान समझता था। किसी को कुछ करते देख लेता तो तुरंत उसकी नकल उतारने लगता।
तेंदुआ गांव में एक लड़का रहता था। उसका नाम था मूर्खा। वह बिल्कुल मूर्ख था। हमेशा मूर्खतापूर्ण काम करता था। इस कारण लोग उसे 'मूर्खा' कहकर पुकारते थे। उसकी मां मूर्ख के व्यवहार और बुद्धि से बहुत दुःखी रहा करती थी।
किसी गाँव मे एक साधु रहा करता था, वो जब भी नाचता तो बारिश होती थी। अतः गाँव के लोगों को जब भी बारिश की जरूरत होती थी, तो वे लोग साधु के पास जाते और उनसे अनुरोध करते कि वे नांचें।
एक राजा ने राज्य में क्रूरता से बहुत दौलत इकट्ठा करके आबादी से बाहर जंगल में एक सुनसान जगह पर तहखाना बनवाकर उसमें छुपा दिया। खजाने की सिर्फ दो चाबियां थीं। एक चाबी राजा के पास और एक खास मंत्री के पास।
एक थे पंडित जी नाम था अकलूराम जब तक उनके पिताजी थे, उन्हें रोजी-रोटी सम्बन्धि जरा भी चिंता नहीं हुई क्योकि पिताजी को जजमानों के यहां से अच्छी खासी-आमदनी हो जाया करती थी। अकलू राम भरपेट खाते और गप्पे हांका करते थे।
चमनपुर गांव में एक सुखिया नाम का कुम्हार रहता था। उसके पास एक गधा था। वह गधा ही उसके परिवार के पालन पोषण का साधन था। सुखिया गांव के व्यापारियों का माल शहर से गांव तक गधे पर लादकर लाता था।