मोटू पतलू और नेक काम
फुरफुरी नगर में एक दिन एक चोर सा दिखने वाला आदमी किसी काम को अंजाम देने के लिए योजना बना रहा था और मन ही मन में सोच रहा था कि आज जो योजना बनाई है वो सफल हो गई तो समझो बन गया काम।
फुरफुरी नगर में एक दिन एक चोर सा दिखने वाला आदमी किसी काम को अंजाम देने के लिए योजना बना रहा था और मन ही मन में सोच रहा था कि आज जो योजना बनाई है वो सफल हो गई तो समझो बन गया काम।
एक दिन सुबह सुबह पतलू, डॉ. झटका और घसीटा सैर पर गए हुए थे। जब वे सभी घर के पास पहुंचे तो मोटू की आवाज़ बाहर तक आ रही थी। वे तीनों भाग कर अंदर पहुँचे तो देखा कि मोटू नाच रहा था।
गर्मी की छुट्टियां चल रहीं थीं, सभी बच्चे अपने अपने नानी या दादी के घर पर छुट्टियां मनाने गए हुए थे। ऐसे ही मोटू और पतलू के पड़ोसी के यहाँ भी उनके नाती पोते आए हुए थे।
मई का महीना ख़त्म होने वाला था और गर्मी अपने चरम पर थी, मोटू और पतलू पसीने में लथपथ अपने घर में बैठ कर हाय गर्मी, हाय गर्मी की रट लगा रहे थे।
एक दिन की बात है मोटू अपने घर में आराम कर रहा था, तभी पतलू वहां आता है और मोटू से बोलता है कि भाई मोटू कल तुम एक काम कर लेना। मोटू पतलू से पूछता है कि भाई बताओ क्या काम करना है।
गर्मी की छुट्टियां चल रहीं थीं, फुरफुरी नगर के वासी छुट्टियों का मज़ा ले रहे थे। डॉ. झटका अपने घर में आराम कर रहे थे, तभी घसीटा भागता हुआ वहां आ जाता है और बोलता है- झटके! ओ झटके! मोटू ने तो कमाल कर दिया।
एक दिन की बात है मोटू और पतलू घर में बैठे हुए थे, तभी अचानक से मोटू उठा और अंदर से वेइंग मशीन निकाल कर ले आया और उसपर खड़ा होकर अपना वज़न नापने लगा।
फुरफुरी नगर में आज भी सबकुछ अन्य दिनों की तरह सामान्य चल रहा था, मगर फुरफुरी नगर की गलियों में आज बच्चों के लिए एक अलग ही आकर्षण मौजूद था। और वो था एक गेम वाला जो कोई नए तरीके का गेम सभी बच्चों को बाँट रहा था।