बाल कहानी : गलती का अहसास सोनू के पिता डाॅक्टर अविनाश का जिले भर में नाम था। उनके जैसा कुशल सर्जन और कहीं नहीं था। सोनू डाॅक्टर अविनाश का इकलौता लड़का था। वह काॅन्वेन्ट स्कूल में कक्षा 6 का विद्यार्थी था। एक दिन की बात है। सोनू स्कूल से पैदल ही घर की ओर चला आ रहा था। अभी वह बाजार पार कर घर की ओर जाने वाली सड़क पर मुड़ा ही था कि अचानक एक बूढ़े व्यक्ति ने सोनू को पकड़ लिया। सोनू की समझ में कुछ न आया। उस व्यक्ति ने कहा बेटा सड़क पर मुड़ते समय दोनों दिशाओं में देख लिया करो। अगर अभी मैं तुम्हें नहीं खींचता तो ट्रक तुम्हारे ऊपर से निकल गया होता। By Lotpot 17 Mar 2020 | Updated On 17 Mar 2020 11:45 IST in Stories Moral Stories New Update बाल कहानी (Lotpot Kids Story) गलती का अहसास: सोनू के पिता डाॅक्टर अविनाश का जिले भर में नाम था। उनके जैसा कुशल सर्जन और कहीं नहीं था। सोनू डाॅक्टर अविनाश का इकलौता लड़का था। वह काॅन्वेन्ट स्कूल में कक्षा 6 का विद्यार्थी था। एक दिन की बात है। सोनू स्कूल से पैदल ही घर की ओर चला आ रहा था। अभी वह बाजार पार कर घर की ओर जाने वाली सड़क पर मुड़ा ही था कि अचानक एक बूढ़े व्यक्ति ने सोनू को पकड़ लिया। सोनू की समझ में कुछ न आया। उस व्यक्ति ने कहा बेटा सड़क पर मुड़ते समय दोनों दिशाओं में देख लिया करो। अगर अभी मैं तुम्हें नहीं खींचता तो ट्रक तुम्हारे ऊपर से निकल गया होता। सोनू ने सामने की ओर देखा। बूढ़े की बात सच थी। एक ट्रक बड़ी तेजी से गुजर रहा था। सोनू ने बूढ़े व्यक्ति को धन्यवाद दिया और घर की ओर चल पड़ा। बूढ़ा व्यक्ति भी सोनू के साथ कुछ दूर तक चलता रहा। फिर उसका घर आ गया इसलिए वह चला गया। और पढ़ें : बाल कहानी काम का भूत इस घटना के कई माह बाद की बात है मंगलवार का दिन होने के कारण डाॅक्टर अविनाश का क्लीनिक बंद था। अतः वे बाहर बरामदे में टहल रहे थे। सोनू स्कूल जाने की तैयारी कर रहा था। अचानक सोनू को लगा पिता जी किसी को डांट कर भगा रहे हैं। सोनू ने बरामदे में झाँक कर देखा पिता जी एक बूढ़े व्यक्ति को डाँटते हुए कह रहे थे। कुछ भी हो छुट्टी के दिन मैं मरीज नहीं देखता। तुम्हारा लड़का मर जाए मेरी बला से, शहर में और भी तो डाॅक्टर हैं। व्यक्ति पर नजर पड़ते ही सोनू उसे पहचान गया। उस दिन ट्रक से सोनू की जान बचाने वाला यही व्यक्ति था। सोनू की इच्छा हुई कि वह पापा से कहे कि इसके बच्चे को देख लीजिए। लेकिन सोनू की हिम्मत न पड़ी। वह जानता था कि उसके पापा नियम के पाबंद व्यक्ति हैं। डाॅ. अविनाश के झिड़कने पर वह बूढ़ा व्यक्ति चला गया। सोनू बरामदे में खड़ा उसे बूढ़े व्यक्ति को जाते देखता रहा। और पढ़ें : बाल कहानी : बहन का फर्ज अभी बूढ़े व्यक्ति को गए कुछ ही क्षण बीते थे कि सोनू के बंगले के सामने एसी कार आकर रूकी। कार से एक व्यक्ति उतरा और सोनू के पापा के पास आकर बोला, डाॅक्टर साहब मेरी माँ की हालत बहुत सीरियस है। आप जल्दी चलिए। लेकिन मैं.. डाॅक्टर साहब इतना ही कह पाए थे कि उस व्यक्ति ने कहा, लेकिन वेकिन कुछ नहीं डाॅक्टर साहब, आप अपनी फीस अभी ले लीजिए। इतना कहते हुए उस व्यक्ति ने पर्स से 500-500 के 4 नोट डाॅ. अविनाश के हाथ पर रख दिए। नोट देखते ही डाॅ. अविनाश की आँखों में चमक आ गई। पाँच मिनट के अन्दर ही उन्होंने कपड़े बदले और ब्रीफकेस लेकर उस व्यक्ति के साथ चले गए। पापा के इस दोहरे व्यवहार से सोनू बहुत दुखी हुआ। उसने तो अपने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसके पापा ऐसा भी करेंगे। पापा के व्यवहार से दुखी सोनू स्कूल नहीं गया। उसने दोपहर का खाना भी नहीं खाया। शाम को जब पापा को पता चला तो उन्होंने सोनू को बुलाकर खाना न खाने का कारण पूछा। पहले तो सोनू कुछ न बोला, लेकिन पापा के बार बार पूछने पर उसने अपने मन की बात कह दी। उसने रोते हुए कहा, पापा आप सुबह उस बूढे व्यक्ति के बीमार लड़के को देखने नहीं गए क्योंकि वह आपको अच्छा पैसा नहीं दे सकता था लेकिन आप उस अमीर व्यक्ति की माँ को देखने गए क्योंकि उसने आपको दो हजार रूपये दिए। आपने ऐसा क्यों किया। आपको मालूम है, वह बूढ़ा वही व्यक्ति है जिसने मेरी जान बचाई थी। इतना कहकर सोनू रोने लगा। और पढ़ें : पछतावा लेकिन इसमें तुम्हें रोने की जरूरत क्या हैं? पापा ने रोते हुए सोनू से पूछा। पापा मैं अभी तक आपको एक अच्छा आदमी समझता था लेकिन आज पता चला कि आप अच्छे डाॅक्टर जरूर हैं लेकिन अच्छे आदमी नहीं। आप मरीज को नहीं उसकी जेब को देखते हैं। सोनू ने कहा। सोनू की यह बात डाॅक्टर अविनाश को अन्दर तक लगती चली गई। उन्हें अपनी गलती का अहसास हो गया। उन्हें लगा कि सोनू जो कुछ कह रहा है। सच कह रहा है। डाॅ. अविनाश की आँखे नम हो आई। उन्होंने सोनू को गले से लगाते हुए कहा। मुझे माफ कर देना बेटे मैं वाकई गलत था। आज से मैं अच्छा डाॅक्टर ही नहीं अच्छा आदमी भी बनकर दिखाऊँगा। इसके बाद डाॅक्टर अविनाश सोनू को लेकर उस बूढे़ व्यक्ति के घर गए। उसका लड़का वाकई बहुत बीमार था। डाॅ. अविनाश ने उसे इंजेक्शन लगाया और अपने पैसे से दवाईयाँ भी खरीद कर दीं। #Acchi Kahaniyan #Bacchon Ki Kahani #Best Hindi Kahani #Hindi Story #Inspirational Story #Jungle Story #Kids Story #Lotpot ki Kahani #Mazedaar Kahani #Motivational Story #जंगल कहानियां #बच्चों की कहानी #बाल कहानी #रोचक कहानियां #लोटपोट #शिक्षाप्रद कहानियां #हिंदी कहानी #बच्चों की अच्छी अच्छी कहानियां #बच्चों की कहानियां कार्टून #बच्चों की कहानियाँ पिटारा #बच्चों की नई नई कहानियां #बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ #बच्चों के लिए कहानियां You May Also like Read the Next Article